पिछले लगातार दो सालों से लाभ अर्जित करने के बाद नाफेड को वित्त वर्ष 2007-08 में 56.69 करोड़ रुपये का नुकसान हुआ है। नाफेड को टाई-अप व्यापार की बकाया देनदारियों की वजह से यह नुकसान हुआ है। सरकारी अधिकारियों के अनुसार टाई-अप व्यापार में हुए नुकसान के चलते नाफेड पर ब्याज सहित 1429.87 करोड़ रुपये की देनदारियां हैं। जिसमें से 1076.18 करोड़ रुपये की शुद्ध देनदारियां हैं।
इसमें से दो कंपनियों दिल्ली की अर्थटेक इंटरप्राइसेस और मुंबई की स्वरूप ग्रुप ऑफ कंपनी पर नाफेड का 782.13 करोड़ रुपये बकाया हैं। संस्था को इस व्यापार द्वारा 2003-04 से 2005-06 के बीच 88.38 करोड़ रुपये का लाभ हुआ था। इस व्यापार में नाफेड ने कुल 62 कंपनियों के पब्लिक-प्राइवेट मॉडल के अंनुसार साझेदारी की थी। वर्ष 2003 में शुरू किये गये इस व्यापार में नाफेड ने कुल 3962.24 करोड़ रुपये का निवेश किया था। जिसके लिए उसने व्यावसायिक बैंको से कर्ज भी लिया था।
टाई-अप व्यापार के तहत नाफेड ने इन कंपनियों को आयात-निर्यात के लिए अग्रिम भुगतान किए थे। जिसमें से कई कंपनियों ने कोई आयात-निर्यात नही किया।
नाफेड को इस समय 27 कंपनियों से बकाया की वसूली करनी है। वित्त वर्ष 2007-08 में संस्था के कुल कारोबार में भी गिरावट आई है। नाफेड के चेयरमैन बिजेन्द्र सिंह ने कारोबार में इस कमी का मुख्य कारण टाई-अप व्यापार और प्राइस सपोर्ट स्कीम (पीएसएस)को बताया है। (Business Bhaskar )
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