20 फ़रवरी 2013
अब उतरने लगे प्याज के छिल्के
हालिया हफ्तों के दौरान तगड़ी उछाल के बाद अब थोक बाजार में प्याज के भाव में नरमी के संकेत मिलने लगे हैं। महाराष्टï्र के लासलगांव में सोमवार को प्याज का भाव औसतन 1,175 रुपये प्रति क्विंटल रहा, जो 30 जनवरी को 2,150 रुपये प्रति क्विंटल था। इस जिंस का भाव अब लगभग उसी स्तर पर आ गया है, जिस पर जनवरी के शुरुआती सप्ताह में था। पिछले महीने की शुरुआत में प्याज करीब 1,100 रुपये प्रति क्विंटल बिक रहा था।
पिछले महीने प्याज की कीमतों में उछाल बाजार में नई फसल की आवक में देरी की वजह से आई थी। ऐसी खबरें भी आईं थी कि कुछ प्याज उत्पादक इलाकों की फसल को क्षति पहुंची है। लेकिन अब लगता है कि हालात सामान्य होते जा रहे हैं और प्याज की ऊंची कीमतें मांग में सुस्ती की वजह बन गई हैं।
नासिक के एक प्याज व्यापारी ने कहा, 'घरेलू व्यापारियों और निर्यातकों के कम उठाव की वजह से पिछले हफ्ते प्याज की कीमतों में गिरावट आई। महाराष्टï्र और गुजरात के ज्यादातर बाजारों में इस जिंस की आवक भी बढ़ी है।Ó
इस साल 31 जनवरी को देश के थोक बाजार में प्याज का भाव 2,331 रुपये प्रति क्विंटल के उच्च स्तर पर चला गया था। इस कारण उपभोक्ताओं के बीच हंगामा मच गया था। बाजार के व्यापारियों के मुताबिक आवक बढऩे और मांग घटने से प्याज के भावों में गिरावट का रुझान है।
लासलगांव बाजार में मंगलवार को प्याज की आवक 15,775 क्विंटल रही, जबकि गुजरात के महुआ बाजार में जिंस की आवक बढ़कर 46,084 क्विंटल तक पहुंच गई। महुआ बाजार में प्याज का भाव 1,050 रुपये प्रति क्विंटल रहा, जो जनवरी के आखिरी सप्ताह में 1,800 रुपये प्रति क्विंटल के उच्च स्तर से करीब 700-800 रुपये कम है।
महाराष्टï्र एपीएमसी के सूत्रों के मुताबिक इस रबी मौसम के दौरान प्याज के रकबे में 10 से 15 फीसदी कमी की आशंका है। वर्ष 2011-12 में इस जिंस का उत्पादन 56.3 लाख टन रहा था, जो इस साल 45 लाख टन रहने की संभावना है, यानी उत्पादन करीब 20 फीसदी कम रह सकता है।
महाराष्टï्र राज्य कृषि विपणन बोर्ड (एमएसएएमबी) नासिक के एक अधिकारी ने कहा, 'प्याज उत्पादन के मामले में पिछला साल खास था। लेकिन इस साल कम खेती की वजह से महाराष्टï्र में इस जिंस का उत्पादन लगभग 45 लाख टन रहेगा, जो पिछले तीन वर्षों के औसत के करीब है।Ó
राष्टï्रीय बागवानी अनुसंधान एवं विकास फाउंडेशन (एनएचआरडीएफ) ने फसल उत्पादन संबंधी शुरुआती अनुमान में कहा था कि वर्ष 2012-13 के दौरान 1.66 करोड़ टन प्याज की पैदावार होगी, जबकि पिछले साल 1.75 करोड़ टन प्याज का उत्पादन हुआ था। इस जिंस की ज्यादातर पैदावार घरेलू बाजार में खप गई थी, जबकि 8-10 फीसदी का निर्यात किया गया था।
नेफेड की शाखा एनएचआरडीएफ के निदेशक आर पी गुप्ता ने कहा, 'शुरुआती अनुमान दर्शाते हैं कि इस साल प्याज की पैदावार कम रहेगी। देश के कुछ हिस्सों में सूखे जैसी स्थिति के कारण रबी मौसम में पैदा होने वाले प्याज की फसल कमजोर रहेगी। हमारा मानना है कि प्याज की पैदावार करीब 1.66 करोड़ टन रहेगी। फिर भी, कुछ इलाकों में इसकी फसल अब भी लगाई जा रही है, इसलिए इसे उत्पादन का अंतिम आंकड़ा नहीं माना जा सकता।Ó
गुजरात के सरकारी आंकड़ों के मुताबिक वहां प्याज के रकबे में 71 फीसदी ज्यादा गिरावट आई है। इस साल रबी मौसम में प्याज की खेती केवल 17,500 हेक्टेयर में हुई है, जबकि पिछले साल इस फसल का रकबा 61,300 हेक्टेयर रहा था।
इस साल महाराष्टï्र और कर्नाटक में भी फसल का रकबा घटा है। महाराष्टï्र में पिछले साल 3,82,000 हेक्टेयर में प्याज की खेती की गई थी, जबकि कर्नाटक में इस फसल का रकबा 1,77,200 हेक्टेयर रहा था। (BS Hindi)
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