08 फ़रवरी 2013
तगड़े स्टॉक से सुस्त पड़ा मेंथा तेल
भारी स्टॉक और कमजोर मांग से महीने भर में मेंथा तेल 10 फीसदी तक फिसल चुका है। दरअसल पिछले साल बंपर पैदावार के बीच मेंथा किसान व स्टॉकिस्टों ने ऊंचे भाव की उम्मीद में माल कम बेचा था, जिससे उनके पास इस समय कुल पैदावार का 40 फीसदी स्टॉक बचा हुआ है और मई के आखिर में आने वाली नई फसल भी ज्यादा होने की उम्मीद है। लिहाजा मेंथा तेल की बिकवाली का माहौल है, जबकि घरेलू व निर्यात मांग कमजोर है।
मुख्य उत्पादक राज्य उत्तर प्रदेश की चंदौसी मंडी में एक माह में मेंथा तेल 10 फीसदी घटकर 1,450 रुपये प्रति किलोग्राम पर आ गया है। वायदा बाजार एमसीएक्स 7 जनवरी को फरवरी अनुबंध 1,438 रुपये पर बंद हुआ था, जिसने आज करीब 1,335 रुपये प्रति किलोग्राम पर कारोबार किया।
ग्लोरियस केमिकल्स के निदेशक अनुराग रस्तोगी ने कहा कि स्टॉकिस्टों के पास करीब 40 फीसदी मेंथा तेल का स्टॉक पड़ा है। तीन माह बाद फिर से बंपर नई फसल आनी वाली है और गुटखा उद्योग पर पाबंदी के चलते मांग कमजोर है। जिससे बाजार में बिकवाली के दबाव में मेंथा तेल के दाम गिर रहे हैं।
कमोडिटीइनसाइटडॉटकॉम के वरिष्ठï जिंस विश्लेषक प्रशांत कपूर कहते हैं कि गुटखा पर पांबदी के चलते मेंथा तेल की सालाना घरेलू खपत करीब 17,000 टन से घटकर 12,500 टन रह गई है।
नई फसल के समय ओपनिंग स्टॉक करीब 22,000 टन रहने का अनुमान है। भारी स्टॉक के साथ मेंथा तेल में सुस्ती की बड़ी वजह आगामी पैदावार पिछले साल के 51,000-53,000 टन से बढ़कर 62,000-65,000 टन होने का अनुमान है। मेंथा तेल कारोबारी धर्मेंद्र कुमार का कहना है कि वायदा बाजार तो सटोरियों के हवाले है, लेकिन हाजिर बाजार में नई फसल तक मेंथा तेल में और गिरावट आएगी। सटोरियों की चाल से बीते 4 दिन से वायदा भाव धीरे-धीरे चढ़ रहे है, लेकिन हाजिर भाव रुके हुए है। रस्तोगी भी आगे 100 रुपये की और मंदी देख रहे हैं। (BS Hindi)
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