08 फ़रवरी 2013
वजह बताएं अधिकारी: एफएमसी
कमोडिटी डेरिवेटिव बाजार नियामक वायदा बाजार आयोग (एफएमसी) ने देश के तीन कमोडिटी एक्सचेंजों के अधिकारियों से पूछा है कि उनका नेटवर्थ (निवल मूल्य) 100 करोड़ रुपये की सांविधिक जरूरत से कम क्यों है।
अनिल धीरूभाई अंबानी समूह (एडीएजी) के इंडियन कमोडिटी एक्सचेंज (आईसीईएक्स), कोटक समूह से संबंधित एस डेरिवेटिव्स ऐंड कमोडिटी एक्सचेंज (एस) और अहमदाबाद स्थित नैशनल मल्टी कमोडिटी एक्सचेंज (एनएमसीई) के अधिकारियों को एफएमसी ने तलब (समन) किया है। वायदा बाजार आयोग ने अगले सप्ताह इन अधिकारियों की एक बैठक बुलाई है, लेकिन इस बैठक की अंतिम तारीख का फैसला फिलहाल नहीं हुआ है।
बहरहाल, इस जानकारी की पुष्टि करते हुए एफएमसी के एक अधिकारी ने कहा, 'हां, हमने उन्हें बुलाया है, ताकि उन वजहों का पता लगाया जा सके जिनके चलते उनके नेटवर्थ में गिरावट आई है। हम उनसे यह भी पूछने वाले हैं कि वे इसे बढ़ाने के लिए क्या कर रहे हैं।'
एफएमसी ने 9 जुलाई, 2009 को संशोधित दिशानिर्देश जारी किए थे, जो राष्ट्रीय स्तर के कमोडिटी एक्सचेंजों पर लागू हैं। इनके मुताबिक सभी राष्ट्रीय कमोडिटी एक्सचेंजों की चूकता इक्विटी पूंजी कम-से-कम 50 करोड़ रुपये और नेटवर्थ 100 करोड़ रुपये होना चाहिए। इस वैधानिक अनिवार्यता का यह मतलब हुआ कि कमोडिटी में वायदा कारोबार के लिए मान्यता हासिल करते समय राष्ट्रीय स्तर के कमोडिटी एक्सचेंजों का न्यूनतम नेटवर्थ 100 करोड़ रुपये होना चाहिए और यह स्तर हमेशा बरकरार रहना चाहिए। आईसीईएक्स का नेटवर्थ इस स्तर से कम रह गया है। एक्सचेंज के प्रबंध निदेशक रजनीकांत पटेल ने इसकी वजह कमोडिटी वायदा कारोबार में अनिश्चितता बताई है।
पिछले साल 1 और 15 अक्टूबर को आईसीईएक्स का कारोबार गिरकर 3,561.73 करोड़ रुपये के न्यूनतम स्तर पर आ गया था, जो इस साल 1 और 15 जनवरी को सुधरकर 5,708 करोड़ रुपये के स्तर पर चला गया। लेकिन यह अब भी दो वर्ष पहले के समान पखवाड़े के 15,274.12 करोड़ रुपये के स्तर से 57 फीसदी कम है। जनवरी, 2011 में एडीएजी समूह की कंपनी आर-कैप ने इंडियाबुल्स फाइनैंशियल सर्विसेज से आईसीईएक्स की 26 फीसदी हिस्सेदारी का अधिग्रहण किया था। आर-कैप ने इसके साथ-साथ एक्सचेंज के कारोबार के दैनिक प्रबंधन पर भी नियंत्रण कर लिया था। पटेल ने कहा, 'आप इसकी वास्तविक वजहों के बारे में विनियामक के साथ चर्चा के बाद ही जान पाएंगे।' इस एक्सचेंज के कुल कारोबार में कच्चा तेल, तांबा, चांदी और प्राकृतिक गैस जैसे प्रमुख कमोडिटी का हिस्सा 80 फीसदी से अधिक है।
लेकिन एनएमसीई का मसला अलग है। इसके नेटवर्थ में आई गिरावट की वजहें दूसरी हैं। एनएमसीई के प्रबंध निदेशक अनिल मिश्र ने कहा, 'असल में हम 100 करोड़ रुपये न्यूनतम नेटवर्थ का स्तर हासिल करने के लिए कुछ निवेशकों से बातचीत कर रहे हैं। लेकिन निवेशक नियामक के साथ चल रहे कानूनी विवाद के बारे में स्पष्टïता चाहते हैं। चूंकि यह मामला सर्वोच्च न्यायालय के पास लंबित है, लिहाजा कोई निवेशक हमारे एक्सचेंज में निवेश करना नहीं चाहता।' यह एक्सचेंज कॉफी, कच्चा जूट, सरसों, इसबगोल, रबर और सोया तेल जैसे विविध जिंसों में वायदा करोबार की पेशकश करती है। फिलहाल एनएमसीई का नेटवर्थ 72 करोड़ रुपये है। मिश्र ने कहा, 'हम इस मुश्किल से निजात पाने की रणनीति का विश्लेषण करने के लिए नियामक के साथ बैठक कर रहे हैं।'
सूत्रों के मुताबिक बड़े पैमाने पर कृषि जिंसों में वायदा कारोबार की पेशकश करने वाले एस डेरिवेटिव्स ऐंड कमोडिटी एक्सचेंज का नेटवर्थ तकरीबन 80 करोड़ रुपये है। हकीकत यही है कि यह एक्सचेंज नेटवर्थ का न्यूनतम सांविधिक स्तर हासिल करने के लिए मोहलत मांगने की तैयारी में है। (BS Hindi)
सदस्यता लें
टिप्पणियाँ भेजें (Atom)
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें