21 फ़रवरी 2013
जिंस वायदा में होंगे मार्केट मेकर
प्रमुख जिंसों में सख्त दिशा निर्देशों के साथ अल्गो ट्रेडिंग की अनुमति देने के बाद कमोडिटी डेरिवेटिव बाजार नियामक वायदा बाजार आयोग (एफएमसी) अब जिंसों के वायदा कारोबार में मार्केट मेकिंग को हरी झंडी देने की तैयारी में है।
कोटक इंस्टिट्यूशनल इक्विटीज की तरफ से मुंबई में आयोजित वैश्विक वार्षिक निवेशक सम्मेलन में एक सवाल के जवाब में एफएमसी के अध्यक्ष रमेश अभिषेक ने कहा, 'हम कारोबार बढ़ाने के लिए आगामी महीनों में मार्केट मेकिंग की इजाजात दे सकते हैं।Ó
मार्केट मेकर्स आम तौर पर दो तरह के भाव बताते हैं, लिवाली और बिकवाली के लिए। ऐसे में यदि बेचने वाले सक्रिय रहते हैं तो ट्रेडरों को सौदे काटने और खरीदने वालों के हावी रहने की स्थिति में ताजा बुकिंग के मौके मिलते हैं। मार्केट मेकर्स को कुछ खास खंडों में कारोबार पैदा करने के लिए एक्सचेंज परोक्ष रुप से भुगतान करते हैं।
जून 2011 में पूंजी बाजार नियामक भारतीय प्रतिभूति एवं विनिमय बोर्ड (सेबी) ने एक्सचेंजों को गैर-लिक्विड (जिन्हें आसानी से नहीं बेचा जा सकता) प्रतिभूतियों में कारोबार पैदा करने की सुविधा दी थी।
एफएमसी के तत्कालीन सदस्य डी एस कलमकार के नेतृत्व वाली समिति ने एक्सचेंजों के साथ परामर्श करने के बाद दो तरह के अनुबंधों में मार्केट मेकर्स को अनुमति देने की सिफारिश की थी। किसी भी एक्सचेंज प्लैटफॉर्म पर एक लॉट ऐसे मौजूदा अनुबंधों का हो जिन्हें आसानी से नकदी में तब्दील नहीं किया जा सकता और उसके बाद ऐसे अनुबंधों का लॉट हो जिनकी लॉन्चिंग की जानी हो। इस कदम से नए और छोटे एक्सचेंजों को जिंस डेरिवेटिव में कारोबार पैदा करने में मदद मिलेगी।
बहरहाल, नए एक्सचेंजों ने एफएमसी से सभी लिक्विड और गैर-लिक्विड अनुबंधों में मार्केट मेकिंग की अनुमाति देने की गुजारिश की है, ताकि उन्हें प्रतिस्पद्र्घा का समान मौका मिल सके। एक एक्सचेंज के वरिष्ठï अधिकारी ने कहा कि नियामक को नए एक्सचेंजों के साथ भेदभाव नहीं करना चाहिए, सेबी की तरह नए एवं पुराने शेयरों और एक्सचेंजों के बीच कोई अंतर नहीं रखना चाहिए।
अमेरिका जैसे विकसित बाजारों में मार्केट मेकर्स ने कॉमेक्स, नैस्डैक और सीएमई पर सक्रिय अनुबंधों में तगड़े तरीके से वॉल्यूम बढ़ाया है। लंदन मेटल एक्सचेंज और चीन में शांघाई फ्यूचर एक्सचेंज ने भी यही तरीका अपनाया है।
भारतीय एक्सचेंज फिलहाल बाजार आधारित प्रणाली अपनाते हैं, जिसमें शेयरों की कीमतें बाजार रुझान के हिसाब से तय होती हैं। हालांकि कमोडिटी एक्सचेंजों में कोट-आधारित प्रणाली काम करती है, जिसमें ट्रेडरों को केवल एक तरह का कोट उपलब्ध कराया जाता है, बेचने के लिए या फिर खरीदने के लिए। आम तौर पर तकरीबन आधे दर्जन सक्रिय और सबसे प्रभावी ट्रेडरों की पहचान मार्केट मेकर्स के रूप में की जाती है, जो गैर-लिक्विड अनुबंधों में वॉल्यूम बढ़ाते हैं।
एफएमसी ने वैसे 1 जनवरी से अति सूक्ष्म और छोटे अनुबंधों में अल्गो ट्रेडिंग बंद कर दी है, लेकिन प्रमुख जिंसों में तकनीकी तौर पर इस उन्नत ट्रेडिंग के लिए नियम-कायदे बनाए गए हैं। अभिषेक ने कहा कि ये तमाम प्रयास जिंस वायदा बाजार में निवेशकों की भागीदारी बढ़ाने के लिए हैं। (BS Hindi)
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