07 फ़रवरी 2013
स्वर्ण बैंक के सुझाव पर पुनर्विचार
सोने के लिए भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) के एक कार्यकारी समूह ने स्वर्ण बैंक के प्रस्ताव को फिर से आगे बढ़ाए जाने का सुझाव दिया है ताकि निष्क्रिय पड़े सोने को बाहर लाकर सोने के आयात को कम किए जाने के उपाय के तौर पर इसका इस्तेमाल किया जा सके। वर्ष 1992 में तत्कालीन वित्त मंत्री डॉ. मनमोहन सिंह ने यह प्रस्ताव रखा था। तब स्वर्ण बैंक या 'भारतीय सर्राफा निगम' की स्थापना के लिए कठोर स्वर्ण नियंत्रण अधिनियम को समाप्त किया गया था।
आरबीआई के कार्यकारी समूह ने आज यह सुझाव दिया कि यह निगम सोने को गिरवी रखे जाने के मुकाबले संस्थागत उधारी के लिए पुनर्वित्त मुहैया कराए जाने के लिए प्रमुख सुविधा के तौर पर काम कर सकेगा। यह स्वर्ण बैंक सिस्टम में पड़े निष्क्रिय सोने में भी रिटेलिंग गतिविधियों को कार्यान्वित कर सकेगा। इसके लिए इसे सोने से जुड़ी वाणिज्यिक नीतियों से संबद्घ गतिविधियों के साथ सशक्त बनाया जा सकता है। स्वर्ण बैंक सोने की खरीदारी और बिक्री कर सकता है। यह गोल्ड बॉन्ड जारी कर सकता है और गोल्ड स्टॉक एकत्रित कर सकता है। ऐसे सर्राफा निगम के लक्ष्यों में घरेलू गैर-आधिकारिक स्वर्ण पूंजी को सामने लाना भी शामिल हो सकता है।
मौजूदा समय में वाणिज्यिक बैंकों को सोना एकत्रित करने और आभूषण विक्रताओं को इसे उधार देने की अनुमति हासिल है, लेकिन इस दिशा में सफलता नहीं मिली है, क्योंकि देश में 20,000-25,000 टन सोना घरों और मंदिरों में निष्क्रिय तौर पर पड़ा हुआ है जिसका मूल्य 1 ट्रीलियन डॉलर से अधिक है। बैंक सोना एकत्रित करने में इसलिए भी विफल रहे हैं क्योंकि न्यूनतम 500 ग्राम सोने को जमाओं के रूप में स्वीकार किया जा सकता है जबकि ज्यादातर स्वर्ण मालिक अधिक मात्रा होने की वजह से इसका लाभ नहीं उठा सकते। उधारी के लिए बैंकों ने इस सोने को छड़ों में तब्दील किया है और इसे जमा किया है। बैंकों के लिए इन सब का प्रबंधन करना एक बोझिल प्रक्रिया है। प्रस्तावित स्वर्ण बैंक इन समस्याओं के प्रबंधन के लिए जिम्मेदार होगा।
हालांकि कार्यकारी समूह ने सुझाव दिया है कि शुरू में इस बैंक को आरबीआई द्वारा 51 फीसदी की पूंजी हिस्सेदारी के साथ किया जा सकेगा लेकिन 2000 करोड़ रुपये की अधिकृत पूंजी और 1000 करोड़ रुपये की चुकता पूंजी के साथ बैंक और संस्थान इसमें बाकी हिस्सेदारी खरीद सकेंगे।
इस योजना को सफल बनाए जाने के संदर्भ में स्वतंत्र सर्राफा विश्लेषक भार्गव वैद्य कहते हैं, 'न्यूनतम स्वर्ण जमा की मात्रा को घटा कर 1 ग्राम भी किया जाना चाहिए और कम सोना रखने वाले लोग, जो कर योग्य आय के दायरे में नहीं भी आ सकते हैं और इसलिए पैन कार्ड की अनिवार्यता नहीं होनी चाहिए। उनसे सोना एकत्रित किए जाने के लिए पोस्ट ऑफिस की जमा योजनाओं की तरह ऐसे एजेंटों का नेटवर्क तैयार किए जाने की जरूरत है जो सोना एकत्रित कर सकें और प्रस्तावित बैंक के साथ जमा कर सकें।' (BS Hindi)
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