19 फ़रवरी 2013
खुदरा मांग से चमका सोना सोने का आयात कम करने के सरकारी उपाय विफल
सोने के प्रति खुदरा उपभोक्ताओं के तगड़े आकर्षण के चलते बढ़ते चालू खाता घाटे को रोकने के उद्देश्य से सोने का आयात थामने की सरकारी कोशिश अब तक विफल रही है। नतीजतन 2012 की चौथी तिमाही के दौरान देश में सोने की मांग अप्रत्याशित रूप से 41 फीसदी बढ़ गई।
विश्व स्वर्ण परिषद (डब्ल्यूजीसी) के आंकड़े दर्शाते हैं कि पिछली तिमाही के दौरान भारत में सोने की मांग 262 टन रही, जबकि एक साल पहले इसी तिमाही में यहां सोने की मांग 185.5 टन रही थी।
सोने के आयात को हतोत्साहित करने के लिए सरकार की तरफ से शुल्क में चार गुनी बढ़ोतरी किए जाने के बावजूद कैलेंडर वर्ष 2012 में इस पीली धातु की आवक 12 फीसदी की मामूली गिरावट के साथ 864.2 टन रही, जबकि एक साल पहले 986.3 टन सोने का आयात हुआ था।
श्री गणेश ज्वैलरी हाउस के प्रबंध निदेशक उमेश पारेख ने कहा, 'भारत में सोने की बड़ी मांग खुदरा और शहरी उपभोक्ताओं की तरफ से आती है। जहां शहरी लोग उसी अनुपात में सोने की खरीद बढ़ाते हैं, जिस अनुपात में उनकी आमदनी बढ़ती है, वहीं कृषि जिंसों के न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएएपी) में लगातार इजाफे की वजह से ग्रामीणों के पास भी निवेश करने लायक अतिरिक्त नकदी आ गई है। चूंकि खाने पीने की चीजों और घर की व्यवस्था करने के बाद सोने में ही पैसा लगाया जाता है, इसलिए ग्रामीण आबादी के पास जो अतिरिक्त धन बचता है, उसका निवेश इस पीली धातु में किया जा रहा है।Ó
जनवरी, 2011 में जब सोने पर आयात शुल्क 1 फीसदी से भी कम था, उस दौरान सरकार को लगा था कि कर में बढ़ोतरी करने से यह बहुमूल्य धातु महंगी हो जाएगी जिसकी वजह से सोने के प्रति उपभोक्ताओं का आकर्षण कम हो जाएगा। यही सोचकर सरकार ने 17 जनवरी, 2011 को सोने पर आयात शुल्क दोगुना यानी 2 फीसदी कर दिया, जिसे बाद में बढ़ाकर 4 फीसदी कर दिया गया।
बहरहाल, पारेख ने कहा, 'देश में सोने की कुल मांग में खुदरा उपभोक्ताओं की भूमिका तकरीबन 75 फीसदी है और सोने पर आयात शुल्क बढऩे के बावजूद उनके रुझान में कोई बदलाव नहीं आया है।Ó खुदरा उपभोक्ता शादी और इस तरह के अन्य मौकों पर अपने निकट संबंधियों को उपहार में देने के लिए सोने के जेवर खरीदते हैं।
विशेष रूप से शादी के मौके पर बच्चों को उपहार में सोने के जेवरात देना जरूरी माना जाता है। इसके अलावा युवा और उत्साही निवेशक भविष्य की सुरक्षा के लिए सोने के सिक्के खरीदते हैं।
जाहिरा तौर पर वर्ष 2012 की चौथी तिमाही के दौरान देश में सोने से बने जेवरों की मांग 34.8 फीसदी बढ़कर 153 टन रही, जबकि वर्ष 2011 की इसी तिमाही में सोने की मांग 113.5 टन रही थी। इसी अवधि में हालांकि निवेश के लिए सोने की मांग भी 51 फीसदी से अधिक बढ़कर 108.9 टन रही, जबकि एक साल पहले इसी अवधि में निवेश के लिए 72 टन सोने की मांग रही थी।
देश के सबसे बड़े ब्रांडेड जेवर निर्माता एवं खुदरा कारोबार करने वाली कंपनी गीतांजलि ग्रुप के प्रबंध निदेशक मेहुल चोकसी ने कहा, 'भारतीय उपभोक्ता मुद्रास्फीति बढऩे से सुरक्षा के लिए सोना खरीदते हैं। चूंकि औसत भारतीय परिवार के लिए महंगाई बड़ी समस्या है, लिहाजा वे सोने में पैसा लगाते हैं।Ó
चोकसी के मुताबिक देश में सोने की तगड़ी मांग बनी रहेगी क्योंकि शादी जैसे मौकों के लिए इसकी खरीदारी अनिवार्य होती है। (BS Hindi)
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