11 फ़रवरी 2013
मूंगफली छिलका संयंत्रों का पंजीकरण जरूरी
ऐसे समय में जब भारतीय मूंगफली और इसके उत्पादों में अफ्लाटॉक्सिन एवं नमी बढऩे से आयातक देशों की चिंता बढ़ गई है, कृषि एवं प्रसंस्कृत खाद्य उत्पाद निर्यात विकास प्राधिकरण (एपीडा) ने मूंगफली और संबंधित उत्पादों के निर्यात के लिए मूंगफली छीलने वाले संयंत्रों का पंजीकरण अनिवार्य बना दिया है।
एपीडा द्वारा जारी दिशा-निर्देशों के मुताबिक मूंगफली और संबंधित उत्पादों के आपूर्तिकर्ताओं को अपनी कंपनियों के नाम, पता, संयंत्र की क्षमता जैसी जानकारियां कारोबार संस्था इंडियन ऑयलसीड ऐंड प्रोड्यूस एक्सपोर्ट प्रमोशन काउंसिल (आईओपीईपीसी) को 31 मार्च, 2013 तक मुहैया करानी होंगी। इसके बाद आईओपीईपीसी इन जानकारियों को एपीडा के ऑनलाइन सॉफ्टवेयर पीनट डॉट नेट पर दर्ज करेगा। अपने निर्देशों में एपीडा ने कहा है, 'निर्यातकों को यह सुनिश्चित करना होगा कि जिन मूंगफली और मूंगफली संबंधित उत्पाद संयंत्रों से वे माल लेते हैं उन सभी संयंत्रों की जानकारी पीनट डॉट नेट पर 31 मार्च, 2013 तक उपलब्ध हो जाए। ऐसा करना इसलिए भी जरूरी है क्योंकि सीमा शुल्क विभाग एपीडा की सलाह के मुताबिक 1 अप्रैल, 2013 को जारी किए गए निर्यात प्रमाण पत्र ही स्वीकार करेगा।' इसके अलावा निर्यातकों को सभी संयंत्रों के अलावा एकीकृत मूंगफली प्रसंस्करण संयंत्र, मूंगफली छीलने वाले संयंत्र, मूंगफली काटने वाले संयंत्र, छीलने-काटने वाले संयुक्त संयंत्रों और गोदामों को भी 31 जुलाई तक एचएसीसीपी प्रमाणपत्र लेने के निर्देश जारी किए गए हैं।
हालांकि उद्योग से जुड़े लोगों ने नए नियमों पर एतराज जताते हुए कहा है कि नए नियम ठीक नहीं हैं और कारोबारी संभावनाओं पर इन बातों का बुरा असर पड़ेगा।
इस साल जनवरी में ही कुछ कारोबारियों ने नए नियमों का कड़ा विरोध करते हुए आईओपीईपीसी की सदस्यता लेने से इनकार कर दिया। गुजरात के मूंगफली कारोबारियों ने विदेश व्यापार महानिदेशालय (डीजीएफटी) द्वारा जारी नए नियमों का विरोध करने के लिए गुजरात ऑयलसीड प्रोसेसर्स एसोसिएशन (जीओपीए) नाम की संस्था बनाने का फैसला किया है। हाल में बनाई गई संस्था जीओपीए के अध्यक्ष मुकुंद शाह ने कहा, 'नए निर्यात नियमों के खिलाफ लडऩे के लिए हमें एकजुट होने जरूरत थी। आईओपीईपीसी हमारा प्रतिनिधित्व नहीं करती है, इसलिए हमने अपना संगठन बनाने का फैसला किया और केंद्र सरकार से बातचीत शुरू की।'
लेकिन एपीडा ने स्पष्टï किया है कि निर्यातकों को मूंगफली के निर्यात के लिए एफ्लाटॉक्सिन स्तरों और नमी की जांच भी करानी होगी। नियमों के मुताबिक यह स्तर 7 फीसदी से अधिक नहीं होना चाहिए। (BS Hindi)
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