09 फ़रवरी 2013
नारियल के रेशों से बनेगा सस्ता कागज
आर एस राणा अलपुझा (केरल) | Feb 09, 2013, 01:06AM IST
नारियल के रेशों से कागज बनाने की विधि विकसित कर ली गई है। नारियल का रेशा सह उत्पाद होने के कारण इससे बनने वाले कागज में लागत कम आएगी। केरल, तमिलनाडु और देश के अन्य नारियल उत्पादक राज्यों के किसानों को इसका सीधा लाभ मिलेगा।
भारतीय कालीन प्रौद्योगिकी संस्थान के निदेशक प्रो. के. के. गोस्वामी ने बिजनेस भास्कर को बताया कि नारियल के रेशे से कागज बनाने की तकनीक विकसित कर ली गई है।
इससे उम्दा किस्म का कागज तैयार होता है। नारियल का रेशा एक सह उत्पाद है तथा आमतौर पर किसान इसका उपयोग नहीं करते हैं इसलिए इससे बनने वाले कागज की लागत लकड़ी से बनने वाले कागज के मुकाबले काफी कम आएगी।
पिछले दिनों कॉयर केरल एक्सपो 2013 इंटरनेशनल इवेंट ऑन कॉयर एंड नेचुरल फाइबर प्रोडक्ट पर आयोजित सेमिनार में प्रो. के के गोस्वामी ने आयोजकों को नारियल के रेशे से कागज बनाने की तकनीक के बारे में जानकारी दी। उनकी इस तकनीक को केरल के राजस्व एवं कॉयर मंत्री अधूर प्रकाश तथा अन्य अधिकारियों ने एक क्रांतिकारी कदम बताया।
डॉ. गोस्वामी ने बताया कि केरल सरकार से उन्हें काफी उम्मीदें है तथा इस बारे में बातचीत चल रही है। नारियल के रेशे से फाइबर, यार्न, मैट और कालीन इत्यादि उत्पाद बनाए जाते हैं। उन्होंने बताया कि एक नारियल से 800 से 900 ग्राम तक रेशा प्राप्त होता है। नारियल का रेशा एक सह उत्पाद है इसीलिए इससे बनने वाले कागज की लागत लकड़ी से बनने वाले कागज के मुकाबले कम आएगी।
रेशे से कागज बनाने की मशीनरी की कीमत भी ज्यादा नहीं है। नारियल के रेशे से कागज बनाने की तकनीक को पेटेंट कराने के लिए आवेदन किया हुआ है इसीलिए डॉ. गोस्वामी ने इसके बारे में ज्यादा जानकारी नहीं दी। उन्होंने बताया कि इससे नारियल किसानों की आय में तो बढ़ोतरी होगी ही, साथ ही नारियल उत्पादक राज्यों में रोजगार के अवसर भी बढ़ेंगे।
केरल सरकार के राजस्व एवं कॉयर मंत्री अधूर प्रकाश ने बताया कि कॉयर उद्योग से राज्य के करीब 3.5 लाख लोग जुड़े हुए हैं तथा इसमें करीब 80 फीसदी हिस्सेदारी महिलाओं की है। स्वयं सहायता समूहों के माध्यम से कॉयर उद्योग से बड़े पैमाने पर राज्य की महिलाएं जुड़ी हुई हैं। राज्य सरकार कॉयर उत्पादों को बढ़ावा देने के लिए हर संभव प्रयास कर रही है। (Business Bhaskar.....R S Rana)
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