08 फ़रवरी 2013
बढ़ सकती है कच्चे काजू की पैदावार
देश में कच्चे काजू की फसल इस साल 15 फीसदी अधिक हो सकती है। हालांकि इस बार काजू के पौधों में देर से फूल आए थे। महाराष्ट्र, गोवा, कर्नाटक और केरल में काजू की अगैती किस्म की कटाई शुरू हो चुकी है और यह मई तक जारी रहेगी।
काजू और कोकोआ विकास महानिदेशालय (डीसीसीडी) के मुताबिक इस साल फसल 8,00,000 टन रह सकती है, जबकि 2012 में यह 6,93,000 टन थी।
डीसीसीडी के निदेशक वेंकटेश हुब्बाली के मुताबिक, 'बारिश की वजह से इस साल देश के कई इलाकों में फसल में देर से नवंबर तक फूल आए। हालांकि लगातार बारिश से फल लगने में मदद ही मिली है।'
इस साल काजू का रकबा 18,000 हेक्टेयर बढ़कर 9,42,000 हेक्टेयर पर पहुंच गया है। इस बार ओडिशा और झारखंड में भी काजू की खेती की गई है।
साल 2005-06 से ही डीसीसीडी राष्ट्रीय बागवानी मिशन (एनएचएम) कार्यक्रम के तहत तकरीबन 22,000 हेक्टेयर जमीन पर काजू के उत्पादन को बढ़ावा देती रही है। उन्होंने कहा कि सभी पुराने पौधों को निकालकर नए प्रकार के पौधे रोपे जा रहे हैं।
काजू की पैदावार मुख्य रूप से महाराष्ट्र, आंध्र प्रदेश, ओडिशा, केरल, कर्नाटक और तमिलनाडु में होती है। डीसीसीडी छत्तीसगढ़, पूर्वोत्तर राज्यों और अंडमान निकोबार द्वीपसमूहों में भी उत्पादन बढ़ाने के लिए गंभीर प्रयास कर रही है। उन्होंने कहा कि पिछले साल अधिक उत्पादन करने वाले बीजों की मदद से द्वीपों में करीब 750 हेक्टेयर जमीन पर उत्पादन शुरू किया गया।
12वीं पंचवर्षीय योजना के तहत सरकार ने ज्यादातर राज्यों में 40 साल पुराने पौधरोपण को बदलने पर जोर दिया है। राज्यों के काजू विकास निकायों के साथ मिलकर डीसीसीडी ने करीब 3,20,000 हेक्टेयर पुरानी जमीन की पहचान की है। हुब्बाली ने बताया कि एनएचएम कार्यक्रम के तहत सरकार की योजना हर साल करीब 25,000 हेक्टेयर जमीन को काजू के रकबे में शामिल करने की है।
खराब उत्पादन के चलते जरूरत का आधे से ज्यादा काजू आयात करना पड़ता है। भारत करीब 7,00,000 टन आयात करता है जिसे बाद में काजू दानों में परिवर्तित किया जाता है। वर्ष 2011-12 में भारत ने 4,390 करोड़ रुपये के 1,31,760 टन काजू दानों का निर्यात किया था। भारत में काजू की घरेलू खपत का अनुमान 1,50,000 टन का है जिसकी कीमत 5,000 करोड़ रुपये से भी ज्यादा है। (BS Hindi)
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