07 फ़रवरी 2013
बजट से पहले नियंत्रण मुक्त होगा चीनी उद्योग
कैबिनेट नोट जारी करने से पहले मंत्रियों से होगी चर्चा : थॉमस
केंद्रीय खाद्य मंत्री के. वी. थॉमस ने कहा है कि सरकार आम बजट से पहले चीनी उद्योग को नियंत्रण मुक्त करने के बारे में फैसला ले लेगी। करीब 80 हजार करोड़ रुपये का यह उद्योग लंबे अरसे से पाबंदियां हटाने की मांग कर रहा है।
उन्होंने कहा कि वरिष्ठ मंत्रियों खासकर कृषि व रक्षा मंत्री के साथ बातचीत करने के बाद जल्दी ही इसके बारे में कैबिनेट नोट तैयार किया जाएगा। लेवी चीनी और खुले बाजार में बिक्री के नियमों में डिकंट्रोल के लिए जल्दी ही फैसला किया जाएगा। निश्चित ही यह फैसला आम बजट से पहले हो जाएगा।
चीनी उद्योग पर सरकार कई तरह की पाबंदियां लगाती है और कुछ विशेष अधिकार भी देती है। सरकार खुले बाजार में चीनी बिक्री के लिए हर मिल का निश्चित कोटा जारी करती है। मिलों को तय मात्रा में चीनी अवश्य बेचनी होती है। इसके अलावा उनका दस फीसदी उत्पादन सस्ते मूल्य पर लेवी चीनी के रूप में लेती है। इस चीनी की वितरण गरीब उपभोक्ताओं को सस्ते मूल्यों पर किया जाता है।
लेकिन मिलों को निश्चित आकार के केन एरिया का अधिकार भी मिलता है। केन रिजर्व एरिया का गन्ना खरीदने का विशेषाधिकार नामित मिल के पास होता है। मिलें खुले बाजार में बिक्री के लिए कोटा व्यवस्था और लेवी चीनी खत्म करने की मांग कर रही हैं। मिलों का कहना है कि इससे उन्हें करीब 3,000 करोड़ रुपये का नुकसान होता है।
प्रधानमंत्री की आर्थिक सलाहकार परिषद (पीएमईएसी) के प्रमुख सी. रंगराजन की अगुवाई वाली विशेषज्ञ समिति ने ये दोनों प्रतिबंध तुरंत हटाने की सिफारिश की थी।
हालांकि किसान संगठन इन सिफारिशों को हटाने का विरोध कर रहे हैं। थॉमस ने कहा कि अगले दो दिनों में सीसीईए नोट तैयार करके विचार विमर्श के लिए वरिष्ठ मंत्रियों को भेजा जाएगा। हमें यह विचार करना है कि लेवी चीनी व्यवस्था हटाने की स्थिति में सार्वजनिक वितरण प्रणाली (पीडीएस) में गरीब उपभोक्ताओं को सस्ते दामों पर चीनी वितरण के लिए क्या इंतजाम करने होंगे। (Buisnes Bhaskar)
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