18 फ़रवरी 2013
शरद पवार ने चीनी पर उत्पाद शुल्क बढ़ाने का समर्थन किया
कृषि मंत्रालय ने चीनी पर उत्पाद शुल्क बढ़ाए जाने के प्रस्ताव का समर्थन किया है.
इस तरह का प्रस्ताव खाद्य मंत्रालय ने मंत्रिमंडल को भेजा था जिसमें चीनी पर उत्पाद शुल्क बढ़ाने की बात कही गई है.
इसके पीछे यह तर्क दिया गया है कि राशन की दुकानों के लिए केन्द्र सरकार यदि खुले बाजार से चीनी खरीदती है तो उसका वित्तीय बोझ कम किया जा सकेगा.
प्रधानमंत्री की आर्थिक सलाहकार परिषद के अध्यक्ष सी. रंगराजन की अध्यक्षता वाली विशेषज्ञ समिति ने अक्तूबर 2012 में दी गई अपनी सिफारिश में चीनी पर जारी दो किस्म के नियंत्रण- पहला चीनी जारी करने की नियंत्रित प्रणाली और लेवी चीनी उत्तरदायित्व - तुरंत खत्म करने का सुझाव दिया था.
लेवी चीनी प्रणाली के तहत मिलों को अपने उत्पादन का 10 फीसद हिस्सा केंद्र को राशन की दुकानों से बेचने के लिए कम कीमत पर बेचना होता है जिससे उद्योग को सालाना 3,000 करोड़ रुपए का नुकसान होता है.
पवार ने एक समारोह के मौके पर कहा ‘‘खाद्य मंत्रालय ने लेवी चीनी प्रणाली को खत्म करने और सार्वजनिक वितरण प्रणाली में सब्सिडीशुदा चीनी की आपूर्ति जारी रखने का प्रस्ताव किया है. फिलहाल सरकार चीनी मिलों से 17 रुपए प्रति किलो की दर पर चीनी खरीदती है और 13.50 रुपए प्रति किलो पर बेचती है. लेवी प्रणाली खत्म होने पर सरकार को खुले बाजार से चीनी खरीदनी होगी.’’
उन्होंने कहा ‘‘वित्तीय बोझ कम करने और सब्सिडी वाली चीनी की आपूर्ति जारी रखने के लिए खाद्य मंत्रालय ने उत्पाद शुल्क बढ़ाने का प्रस्ताव किया है. हमने प्रस्ताव का समर्थन किया है.’’
फिलहाल चीनी पर उत्पाद शुल्क करीब 70 पैसे प्रति किलो है. केंद्र को सार्वजनिक वितरण प्रणाली के लिए सालाना 27 लाख टन चीनी की जरूरत होती है.
रंगराजन समिति ने चीनी जारी करने की उस प्रणाली को भी खत्म करने का सुझाव दिया था जिसके तहत केंद्र चीनी का कोटा तय करती है जिसे खुले बाजार में बेचा जा सकता ह (Samay Live)
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