नई दिल्ली August 25, 2011 |
एथेनॉल मिश्रित पेट्रोल से 154 करोड़ रुपये की बचत होने की वजह से तेल विपणन कंपनियों ने पेट्रोल में मिलावट के लिए 1.01 अरब लीटर एथेनॉल की खरीद के लिए निविदाएं जारी की हैं। चीनी उद्योग निविदाओं की पूर्ति करने मे सक्षम है। ये निविदाएं 2 सितंबर को बंद होंगी। एथेनॉल की आपूर्ति अक्टूबर से शुरू होने वाले नए चीनी वर्ष में की जाएगी।
देश की सबसे बड़ी तेल विपणन कंपनी इंडियन ऑयल कॉरपोरेशन ने 45.5 करोड़ लीटर एथेनॉल खरीदने के लिए निविदाएं जारी की हैं। वहीं, भारत पेट्रोलियम और हिंदुस्तान पेट्रोलियम ने क्रमश: 28.3 और 27.7 लाख लीटर एथेनॉल की खरीद के लिए निविदाएं जारी की हैं। तेल विपणन कंपनियां फिलहाल 27 रुपये प्रति लीटर की दर पर एथेनॉल खरीदती हैं। यह कीमत थोड़े समय के लिए हैं। अगर सरकार सौमित्र चौधरी समिति की सिफारिशों को स्वीकार कर लेती है तो इसकी कीमत बढ़ सकती है। समिति ने सुझाव दिया है कि एथेनॉल की कीमतों को इसकी कैलोरिफिक वैल्यू, माइलेज और कर प्रोत्साहन आदि पर विचार करने के बाद पिछली तिमाही की पेट्रोल कीमतों से जोड़ा जाना चाहिए।
पिछले साल तेल विपणन कंपनियों ने 1.04 अरब लीटर पेट्रोल खरीदने की इच्छा जताई थी। रेणुका शुगर, बजाज हिंदुस्तान और बलरामपुर चीनी के नेतृत्व वाले चीनी उद्योग ने करीब 1 अरब लीटर की आपूर्ति करने की पेशकश की थी। हालांकि अंतिम अनुबंध 55.9 करोड़ लीटर के लिए हो सके।
फिलहाल पेट्रोल में 5 फीसदी एथेनॉल 13 राज्यों और 3 संघ शासित प्रदेशों में मिलाया जाता है। इस साल 55.9 करोड़ लीटर की अनुबंधित मात्रा के मुकाबले 15 अगस्त तक आपूर्ति 30.7 करोड़ हुई है।
कम आपूर्ति के पीछे सबसे बड़ा कारण उत्तर प्रदेश सरकार द्वारा राज्य के बाहर एथेनॉल की बिक्री पर इस साल तीन महीने के लिए (अप्रैल से) प्रतिबंध लगाना है। हालांकि यह विवाद अब सुलझ चुकी है। उत्तर प्रदेश देश का सबसे बड़ा आपूर्तिकर्ता है और ज्यादातर उत्तरी राज्यों की मांग पूरी करता है।
एथेनॉल और पेट्रोल की कीमतों में अंतर होने के कारण पेट्रोल में एथेनॉल मिलाना तेल विपणन कंपनियों के लिए फायदेमंद रहता है। अन्यथा कीमतों में संशोधन नहीं होने की वजह से इन कंपनियों को पेट्रोल की बिक्री पर नुकसान होता है। पेट्रोलियम मंत्री आरपीएन सिंह द्वारा संसद में दी गई जानकारी के अनुसार पिछले वित्त वर्ष में तेल विपणन कंपनियों को एथेनॉल के मिश्रण से 154 करोड़ रुपये का लाभ हुआ है। 2008-09-2009-10 के दौरान तेल विपणन कंपनियों का संयुक्त लाभ 153 रुपये रहा था। तेल विपणन कंपनियों को मिश्रण से और अधिक मुनाफा होने की उम्मीद है, क्योंकि इस साल गन्ने के अधिक उत्पादन से एथेनॉल का भी अधिक उत्पादन होगा।
पेट्रोल के साथ 5 फीसदी के अनुपात में एथेनॉल की मिलावट वर्ष 2007 में शुरू हुई थी। लेकिन 2009 में गन्ने का उत्पादन घटने और एथेनॉल के एकमात्र उत्पादक द्वारा आपूर्ति में डिफॉल्ट करने से यह बंद हो गई थी। पिछले साल नवंबर में फिर इसे शुरू किया गया है। एथेनॉल को ग्रीन फ्यूल माना जाता है और पेट्रोल के साथ इसकी मिलावट से भारत की तेल आयात पर निर्भरता कम होगी। (BS Hindi)