कुल पेज दृश्य

04 नवंबर 2020

व्यापारियों का अनुमान - सरसों का बकाया स्टॉक 15.50 लाख टन

नई दिल्ली। अक्टूबर 2020 अंत तक देश में सरसों का बकाया स्टॉक केवल 15.50 लाख टन का ही बचा हुआ है। अक्टूबर में सरसों की आवक 3.90 लाख टन की हुई, जबकि सितंबर 2020 में आवक 4 लाख टन की हुई थी। माना जा रहा है कि अक्टूबर में 6 लाख टन सरसों की पेराई हुई है।
जयपुर स्थित फर्म मरुधर ट्रेडिंग एजेंसी की रिपोर्ट के अनुसार, चालू सीजन में सरसों की कुल उपलब्धता 74 लाख टन की थी, जिसमें पिछले साल का बकाया 5 लाख टन भी शामिल है। अत: चालू सीजन में कुल उत्पादन लगभग 69 लाख टन का होने का अनुमान है। जबकि सबसे पहले सरसों का आरंभिक उत्पादन अनुमान 76 लाख टन का था लेकिन बाद में इसे घटाकर 72 लाख टन कर दिया, जबकि अंत में इसका उत्पादन अनुमान केवल 69 लाख टन माना गया।
रिपोर्ट के अनुसार विभिन्न उत्पादक राज्यों की मंडियों में मार्च से अक्टूबर तक लगभग 60.05 लाख टन सरसों की आवक हुई। नई फसल की आवक के समय उत्पादक राज्यों की मंडियों में आवक ज्यादा रही तथा मार्च, अप्रैल, मई और जून के दौरान क्रमशः 7.25 लाख टन, 9.8 लाख टन, 14.50 लाख टन और 10.65 लाख टन की आवक दर्ज की गई। सरसों की पेराई और खपत मई से अगस्त (प्रत्येक माह 8 लाख टन) के दौरान ज्यादा हुई थी। मार्च में पेराई 7.5 लाख टन, अप्रैल में 6.50 लाख टन, सितंबर में 6.5 लाख टन और अक्टूबर में 6 लाख टन की हुई।
मालूम हो कि अप्रैल से अगस्त के दौरान सरसों के तेल की खपत ज्यादा हुई क्योंकि कोविड -19 महामारी में बचाव के कारण इसकी खरीद ज्यादा हुई। उत्पादन अनुमान कम और खपत ज्यादा होने के कारण सरसों की कीमतों में तेजी जारी है तथा जयपुर में मंगलवार को इसके भाव बढ़कर 6300 रुपये प्रति क्विंटल पर पहुंच गए। फूड सेफ्टी एंड स्टैंडर्ड्स अथॉरिटी ऑफ इंडिया (एफएसएसएआई) के हालिया आदेश सरसों के तेल में अन्य सस्ते तेल की मिलावट पर प्रतिबंध लगाने के कारण भी अक्टूबर में कीमतों में तेजी बनी। पहली अक्टूबर को जयपुर में सरसों का भाव 5630-5635 प्रति क्विंटल (42 फीसदी कंडीशन) था तथा अक्टूबर में इसके भाव में करीब 12 फीसदी की तेजी आई है।
अब, जनवरी तक अगले 3 महीनों की खपत के लिए सरसों के बकाया स्टॉक का अनुमान 15.5 लाख टन है तथा नई फसल फरवरी में मंडियों में पहुंचेगी इसलिए घरेलू बाजार को जनवरी तक मौजूदा स्टॉक पर निर्भर रहना होगा। रिपोर्ट के आंकड़ों के अनुसार, 31 अक्टूबर को किसानों के पास 8.4 लाख टन का स्टॉक था। इसके अलावा नेफेड, हैफेड और तेल मिलों के पास क्रमशः 2.75 लाख टन, 0.65 लाख टन और 3.70 लाख टन का स्टॉक बचा हुआ है। अत: उत्पादन कम होने के साथ ही अधिक खपत होने के कारण नई फसल के समय बकाया स्टॉक नाममात्र का ही बचने का अनुमान है।

कोई टिप्पणी नहीं: