आर एस राणा
नई दिल्ली। देश के कई राज्यों में सूखे जैसे हालात के कारण पहली अक्टूबर 2019 से शुरू होने वाले पेराई सीजन में चीनी के उत्पादन में कमी आने की आशंका है। उद्योग के अनुसार आगामी पेराई सीजन में चीनी का उत्पादन घटकर 280 से 290 लाख टन होने का अनुमान है जबकि चालू पेराई सीजन में चीनी का उत्पादन 320 लाख टन होने का अनुमान है।
राष्ट्रीय सहकारी चीनी कारखाना संघ लिमिटेड (एनएफसीएसएफ) के प्रबंध निदेशक प्रकाश नाइकनवरे का कहना है कि ब्राजील के बाद दुनिया का दूसरा सबसे बड़े चीनी उत्पादक देश भारत में आगामी पेराई सीजन में चीनी का उत्पादन कम होने का अनुमान है। सूखे के कारण पेराई सीजन 2019-20 (अक्टूबर से सितंबर) चीनी का उत्पादन घटकर 280 से 290 लाख टन रहने का अनुमान है। चालू पेराई सीजन में लाख टन और उसके पहले 320 लाख टन टन चीनी का उत्पादन हुआ था। इस तरह आगामी पेराई सीजन में यह तीन वर्षों के निचले स्तर पर पहुंच जाएगा।
महाराष्ट्र-कर्नाटक में सूखे की ज्यादा मार
सबसे बड़े गन्ना उत्पादक राज्यों में शामिल महाराष्ट्र के साथ ही कर्नाटक में सूखे की मार सबसे ज्यादा पड़ी है। महाराष्ट्र के चीनी आयुक्त शेखर गायकवाड का कहना है कि कम बारिश की वजह से इस साल प्रदेश में गन्ने का रकबा करीब 28 फीसदी कम हो गया है। इस कारण चीनी उत्पादन भी पिछले साल के 65 लाख टन के मुकाबले 39 फीसदी कम रहने का अनुमान है। कर्नाटक में अमूमन 5 जून को और महाराष्ट्र में 10 जून को मानसून आ जाता है, लेकिन इस साल इसमें देरी हो रही है।
गन्ना चारे में हो रहा है इस्तेमाल
सूखे की मार झेल रहे राज्यों में पानी की कमी के कारण जानवरों के लिए चारे का उत्पादन भी नहीं हो सका है। ऐसे में किसान गन्ने का इस्तेमाल अपने जानवरों के चारे के रूप में कर रहे हैं। महाराष्ट्र के एक किसान रामदास पवार का कहना है कि उन्होंने दो एकड़ गन्ने की खेती को मवेशियों के शिविरों में बेच दिया। उन्होंने कहा कि अगले 6-8 महीने तक इसकी सिंचाई का साधन नहीं है और चारे के खरीदार मिलों की अपेक्षा बेहतर दाम भी दे रहे हैं।
कीमतों में सुधार आने की उम्मीद
पिछले साल चीनी का बंपर उत्पादन होने से घरेलू बाजार में इसकी कीमतों में भारी गिरावट आई थी। साथ ही वैश्विक स्तर पर भी चीनी के दाम 20 फीसदी तक लुढ़क गए थे। एस्मा के अनुसार, देश में चीनी का भंडार काफी ज्यादा बढ़ गया है और इस साल उत्पादन कम होने से इसे खपाने में मदद मिलेगी। साथ ही कीमतों को भी सहारा मिलेगा जिसका लाभ मिलों और किसानों तक पहुंचेगा।...... आर एस राणा
नई दिल्ली। देश के कई राज्यों में सूखे जैसे हालात के कारण पहली अक्टूबर 2019 से शुरू होने वाले पेराई सीजन में चीनी के उत्पादन में कमी आने की आशंका है। उद्योग के अनुसार आगामी पेराई सीजन में चीनी का उत्पादन घटकर 280 से 290 लाख टन होने का अनुमान है जबकि चालू पेराई सीजन में चीनी का उत्पादन 320 लाख टन होने का अनुमान है।
राष्ट्रीय सहकारी चीनी कारखाना संघ लिमिटेड (एनएफसीएसएफ) के प्रबंध निदेशक प्रकाश नाइकनवरे का कहना है कि ब्राजील के बाद दुनिया का दूसरा सबसे बड़े चीनी उत्पादक देश भारत में आगामी पेराई सीजन में चीनी का उत्पादन कम होने का अनुमान है। सूखे के कारण पेराई सीजन 2019-20 (अक्टूबर से सितंबर) चीनी का उत्पादन घटकर 280 से 290 लाख टन रहने का अनुमान है। चालू पेराई सीजन में लाख टन और उसके पहले 320 लाख टन टन चीनी का उत्पादन हुआ था। इस तरह आगामी पेराई सीजन में यह तीन वर्षों के निचले स्तर पर पहुंच जाएगा।
महाराष्ट्र-कर्नाटक में सूखे की ज्यादा मार
सबसे बड़े गन्ना उत्पादक राज्यों में शामिल महाराष्ट्र के साथ ही कर्नाटक में सूखे की मार सबसे ज्यादा पड़ी है। महाराष्ट्र के चीनी आयुक्त शेखर गायकवाड का कहना है कि कम बारिश की वजह से इस साल प्रदेश में गन्ने का रकबा करीब 28 फीसदी कम हो गया है। इस कारण चीनी उत्पादन भी पिछले साल के 65 लाख टन के मुकाबले 39 फीसदी कम रहने का अनुमान है। कर्नाटक में अमूमन 5 जून को और महाराष्ट्र में 10 जून को मानसून आ जाता है, लेकिन इस साल इसमें देरी हो रही है।
गन्ना चारे में हो रहा है इस्तेमाल
सूखे की मार झेल रहे राज्यों में पानी की कमी के कारण जानवरों के लिए चारे का उत्पादन भी नहीं हो सका है। ऐसे में किसान गन्ने का इस्तेमाल अपने जानवरों के चारे के रूप में कर रहे हैं। महाराष्ट्र के एक किसान रामदास पवार का कहना है कि उन्होंने दो एकड़ गन्ने की खेती को मवेशियों के शिविरों में बेच दिया। उन्होंने कहा कि अगले 6-8 महीने तक इसकी सिंचाई का साधन नहीं है और चारे के खरीदार मिलों की अपेक्षा बेहतर दाम भी दे रहे हैं।
कीमतों में सुधार आने की उम्मीद
पिछले साल चीनी का बंपर उत्पादन होने से घरेलू बाजार में इसकी कीमतों में भारी गिरावट आई थी। साथ ही वैश्विक स्तर पर भी चीनी के दाम 20 फीसदी तक लुढ़क गए थे। एस्मा के अनुसार, देश में चीनी का भंडार काफी ज्यादा बढ़ गया है और इस साल उत्पादन कम होने से इसे खपाने में मदद मिलेगी। साथ ही कीमतों को भी सहारा मिलेगा जिसका लाभ मिलों और किसानों तक पहुंचेगा।...... आर एस राणा
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