आर एस राणा
नई दिल्ली। केंद्र सरकार चीनी मिलों को राहत देने के लिए बफर स्टॉक को 30 लाख टन से बढ़ाकर 50 लाख टन कर सकती है इस के लिए खाद्य मंत्रालय ने कैबिनेट नोट जारी किया है जिस पर अगले सप्ताह होने वाली कैबिनेट की बैठक में फैसला हो सकता है। किसानों के बकाया भुगतान में तेजी लाने के लिए केंद्र सरकार मिलों को करीब 1,100 करोड़ रुपये की सब्सिडी दे सकती है।
खाद्य मंत्रालय के एक वरिष्ठ अधिकारी के अनुसार चीनी के बफर स्टॉक को बढ़ाकर 50 लाख टन करने का प्रस्ताव है, जोकि इस समय 30 लाख टन का है। उन्होंने बताया कि बफर स्टॉक की मियाद अवधि को भी एक साल के लिए बढ़ाये जाने का प्रस्ताव है। इस पर करीब 1,100 करोड़ रुपये की सब्सिडी दी जा सकती है। उन्होंने बताया इस प्रस्ताव पर अगले सप्ताह होने वाली कैबिनेट की बैठक में फैसला होने की संभावना है।
चीनी मिलों पर 18,958 करोड़ रुपये है बकाया
पहली अक्टूबर 2018 से शुरू हुए चालू पेराई सीजन 2018-19 (अक्टूबर से सितंबर) में चीनी मिलों में पेराई बंद होने के बाद भी गन्ना किसानों का बकाया 18,958 करोड़ रुपये बचा हुआ है। बकाया में सबसे हिस्सेदारी उत्तर प्रदेश के गन्ना किसानों की है। उत्तर प्रदेश के चीनी मिलों पर किसानों का बकाया 11,082 करोड़ रुपये तक पहुंच गया है। इसके बाद कर्नाटक की चीनी मिलों पर 1,704 करोड़ रुपये और महाराष्ट्र की चीनी मिलों पर 1,338 करोड़ रुपये का बकाया है।
गन्ना खरीदने के 14 दिन के अंदर करना होता है भुगतान
अन्य राज्यों में पंजाब में गन्ना किसानों का राज्य की मिलों पर बकाया 989 करोड़ रुपये, गुजरात और बिहार की चीनी मिलों पर किसानों का बकाया क्रमश: 965 करोड़ रुपये और 923 करोड़ रुपये हैं। गन्ना खरीदने के 14 दिन के अंदर चीनी मिलों को बकाया का भुगतान करना होता है लेकिन चालू पेराई सीजन में चीनी मिलों में पेराई बंद हो चुकी है, इसके बावजूद भी किसानों के बकाया का भुगतान नहीं हो रहा है। जिससे गन्ना किसानों में राज्य और केंद्र सरकार के खिलाफ रोष बढ़ रहा है।
आगामी पेराई सीजन में चीनी उत्पादन घटने का अनुमान
उद्योग के अनुसार चालू पेराई सीजन में चीनी का उत्पादन 330 लाख टन होने का अनुमान है जोकि इसके पिछले पेराई सीजन के 320 लाख टन टन से ज्यादा है। उद्योग के अनुसार देश के कई राज्यों में सूखे जैसे हालात होने के कारण पहली अक्टूबर 2019 से शुरू होने वाले पेराई सीजन में चीनी के उत्पादन में करीब 15 फीसदी की कमी आने की आशंका है।........ आर एस राणा
नई दिल्ली। केंद्र सरकार चीनी मिलों को राहत देने के लिए बफर स्टॉक को 30 लाख टन से बढ़ाकर 50 लाख टन कर सकती है इस के लिए खाद्य मंत्रालय ने कैबिनेट नोट जारी किया है जिस पर अगले सप्ताह होने वाली कैबिनेट की बैठक में फैसला हो सकता है। किसानों के बकाया भुगतान में तेजी लाने के लिए केंद्र सरकार मिलों को करीब 1,100 करोड़ रुपये की सब्सिडी दे सकती है।
खाद्य मंत्रालय के एक वरिष्ठ अधिकारी के अनुसार चीनी के बफर स्टॉक को बढ़ाकर 50 लाख टन करने का प्रस्ताव है, जोकि इस समय 30 लाख टन का है। उन्होंने बताया कि बफर स्टॉक की मियाद अवधि को भी एक साल के लिए बढ़ाये जाने का प्रस्ताव है। इस पर करीब 1,100 करोड़ रुपये की सब्सिडी दी जा सकती है। उन्होंने बताया इस प्रस्ताव पर अगले सप्ताह होने वाली कैबिनेट की बैठक में फैसला होने की संभावना है।
चीनी मिलों पर 18,958 करोड़ रुपये है बकाया
पहली अक्टूबर 2018 से शुरू हुए चालू पेराई सीजन 2018-19 (अक्टूबर से सितंबर) में चीनी मिलों में पेराई बंद होने के बाद भी गन्ना किसानों का बकाया 18,958 करोड़ रुपये बचा हुआ है। बकाया में सबसे हिस्सेदारी उत्तर प्रदेश के गन्ना किसानों की है। उत्तर प्रदेश के चीनी मिलों पर किसानों का बकाया 11,082 करोड़ रुपये तक पहुंच गया है। इसके बाद कर्नाटक की चीनी मिलों पर 1,704 करोड़ रुपये और महाराष्ट्र की चीनी मिलों पर 1,338 करोड़ रुपये का बकाया है।
गन्ना खरीदने के 14 दिन के अंदर करना होता है भुगतान
अन्य राज्यों में पंजाब में गन्ना किसानों का राज्य की मिलों पर बकाया 989 करोड़ रुपये, गुजरात और बिहार की चीनी मिलों पर किसानों का बकाया क्रमश: 965 करोड़ रुपये और 923 करोड़ रुपये हैं। गन्ना खरीदने के 14 दिन के अंदर चीनी मिलों को बकाया का भुगतान करना होता है लेकिन चालू पेराई सीजन में चीनी मिलों में पेराई बंद हो चुकी है, इसके बावजूद भी किसानों के बकाया का भुगतान नहीं हो रहा है। जिससे गन्ना किसानों में राज्य और केंद्र सरकार के खिलाफ रोष बढ़ रहा है।
आगामी पेराई सीजन में चीनी उत्पादन घटने का अनुमान
उद्योग के अनुसार चालू पेराई सीजन में चीनी का उत्पादन 330 लाख टन होने का अनुमान है जोकि इसके पिछले पेराई सीजन के 320 लाख टन टन से ज्यादा है। उद्योग के अनुसार देश के कई राज्यों में सूखे जैसे हालात होने के कारण पहली अक्टूबर 2019 से शुरू होने वाले पेराई सीजन में चीनी के उत्पादन में करीब 15 फीसदी की कमी आने की आशंका है।........ आर एस राणा
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