आर एस राणा
नई दिल्ली। रोक के बावजूद महाराष्ट्र के यवतमाल, परभणील, वर्धा और गढ़चिरौली के किसान हर्बिसाइड-टोलरेंट बीटी (एचटीबीटी) कपास की बुवाई कर रहे हैं। यवतमाल तालूक के किसान विजय निवाल ने कहा कि उन्होंने इस बार दो एकड़ में एचटीबी कपास की बुवाई की है। परभणी के एक किसान गजानन देशमुख ने बताया कि एचटीबीटी से प्रति हेक्टेयर उत्पादन तो ज्यादा हो रहा है, जबकि इसमें कीटनाशकों का उपयोग भी करना पड़ता है।
कपास किसान विजय निवाल ने बताया कि एक एकड़ में एचटीबीटी की फसल लगाने पर फसल पकने तक खर्च औसत खर्च आता है कि 22,700 रुपये तथा प्रति एकड़ उत्पादन औतसन 10 क्विंटल का होता है। सरकार ने कपास का न्यूनतम समर्थन मूल्य 5,450 रुपये प्रति क्विंटल तय किया हुआ है। अत: एक एकड़ में 54,500 रुपये की फसल होती है। दूसरी तरफ अगर एक एकड़ में बीटी कपास की बुवाई करते हैं तो उसमें फसल पकने तक 110 दिन में खर्च आता है करीब 26,000 रुपये, जबकि औसत उत्पादन होता है 5 से 6 क्विंटल प्रति एकड़। अत: फसल हुई 25 से 30 हजार रुपये की। ऐसे में एचटीबीट कपास की खेती पर हमें लगभग दोगुना फायदा होता है।
एचटीबीटी की खेती करने पर जुर्माने और सजा का प्रावधान
उन्होंने बताया कि एचटीबीटी में खरतवार कम होता है, जिस कारण कीटनाशकों का छिड़काव केवल दो से तीन बार करना पड़ता है, जबकि बीटी कपास की फसल में 8 से 10 तक कीटनाशकों का छिड़काव करना पड़ता है। महाराष्ट्र सरकार के कृषि विभाग के एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि राज्य में एचटीबीटी कपास की बुवाई करने पर 1,00,000 लाख रुपये का जुर्माना और पांच साल की सजा का प्रावधान है। इस बारे में अभी जानकारी नहीं मिली है, जानकारी मिलने पर कार्यवाही की जायेगी।
एचटीबीटी कपास में औसत उत्पादन दोगुने के करीब
किसान गजानन देशमुख ने बताया कि पिछले साल मैंने तीन एकड़ में एचटीबीटी और दो एकड़ में पुराने बीटी की फसल लगाई थी। जहां एचटीबीटी का औसत: उत्पादन 12 क्विंटल हुआ, वहीं बीटी से औसत उत्पादन 6 से 7 क्विंटल मिला। इसलिए इस बार भी मैं एचटीबीटी की फसल की बुवाई करूंगा। उन्होंने बताया कि सरकार अगर एचटीबीट कपास को अनुमति दे देती है तो फिर किसानों को उचित दाम पर बीज मिल सकेंगे। उन्होंने बताया कि पुराने बीटी के 450 ग्राम के पैकेट का भाव 740 रुपये है जबकि हम एजेंट के माध्यम से एचटीबीटी कपास का पैकेट 800 रुपये में खरीदना पड़ता है। उन्होंने बताया कि राज्य में एचटीबीटी कपास के बीज गुजरात से लाकर एजेंटों द्वारा बेचे जा रहे हैं।
आनुवंशिक रूप से संशोधित फसलों की बुवाई की दी जाए अनुमति
शेतकारी संगठन का कहना है कि किसानों के लिए लाभकारी होने के कारण सरकार से मांग की है कि आनुवंशिक रूप से संशोधित फसलों के उपयोग की अनुमति दे जाए। गन्ना किसान और शेतकरी संगठन के विज्ञान और प्रौद्योगिकी प्रकोष्ठ के प्रमुख अजीत नारडे ने बताया कि जीएम फसलें न केवल किसानों के लिए बल्कि भारत की आर्थिक समृद्धि के लिए महत्वपूर्ण है। उन्होंने बताया कि सभी विकसित देशों में जीएम फसलों का उत्पादन हो रहा है, हमारे यहां भी करीब 10 से 15 फीसदी क्षेत्रफल में एचटीबीटी कपास की बुवाई अवैध रुप से की जा रही है, इसलिए सरकार को इसके उपयोग की अनुमति दे देनी चाहिए ताकि किसानों को इसका लाभ मिल सके। उन्होंने बताया कि मक्का, सोया, कपास जैसी एक दर्जन जीएम फसलों की दुनिया भर में बुवाई की जा रही है, पिछले दो दशकों से लाखों लोग और पशुधन इन्हें खा रहे हैं। मनुष्यों या जानवरों पर किसी भी प्रतिकूल स्वास्थ्य प्रभाव का कोई सबूत नहीं है। ....... आर एस राणा
नई दिल्ली। रोक के बावजूद महाराष्ट्र के यवतमाल, परभणील, वर्धा और गढ़चिरौली के किसान हर्बिसाइड-टोलरेंट बीटी (एचटीबीटी) कपास की बुवाई कर रहे हैं। यवतमाल तालूक के किसान विजय निवाल ने कहा कि उन्होंने इस बार दो एकड़ में एचटीबी कपास की बुवाई की है। परभणी के एक किसान गजानन देशमुख ने बताया कि एचटीबीटी से प्रति हेक्टेयर उत्पादन तो ज्यादा हो रहा है, जबकि इसमें कीटनाशकों का उपयोग भी करना पड़ता है।
कपास किसान विजय निवाल ने बताया कि एक एकड़ में एचटीबीटी की फसल लगाने पर फसल पकने तक खर्च औसत खर्च आता है कि 22,700 रुपये तथा प्रति एकड़ उत्पादन औतसन 10 क्विंटल का होता है। सरकार ने कपास का न्यूनतम समर्थन मूल्य 5,450 रुपये प्रति क्विंटल तय किया हुआ है। अत: एक एकड़ में 54,500 रुपये की फसल होती है। दूसरी तरफ अगर एक एकड़ में बीटी कपास की बुवाई करते हैं तो उसमें फसल पकने तक 110 दिन में खर्च आता है करीब 26,000 रुपये, जबकि औसत उत्पादन होता है 5 से 6 क्विंटल प्रति एकड़। अत: फसल हुई 25 से 30 हजार रुपये की। ऐसे में एचटीबीट कपास की खेती पर हमें लगभग दोगुना फायदा होता है।
एचटीबीटी की खेती करने पर जुर्माने और सजा का प्रावधान
उन्होंने बताया कि एचटीबीटी में खरतवार कम होता है, जिस कारण कीटनाशकों का छिड़काव केवल दो से तीन बार करना पड़ता है, जबकि बीटी कपास की फसल में 8 से 10 तक कीटनाशकों का छिड़काव करना पड़ता है। महाराष्ट्र सरकार के कृषि विभाग के एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि राज्य में एचटीबीटी कपास की बुवाई करने पर 1,00,000 लाख रुपये का जुर्माना और पांच साल की सजा का प्रावधान है। इस बारे में अभी जानकारी नहीं मिली है, जानकारी मिलने पर कार्यवाही की जायेगी।
एचटीबीटी कपास में औसत उत्पादन दोगुने के करीब
किसान गजानन देशमुख ने बताया कि पिछले साल मैंने तीन एकड़ में एचटीबीटी और दो एकड़ में पुराने बीटी की फसल लगाई थी। जहां एचटीबीटी का औसत: उत्पादन 12 क्विंटल हुआ, वहीं बीटी से औसत उत्पादन 6 से 7 क्विंटल मिला। इसलिए इस बार भी मैं एचटीबीटी की फसल की बुवाई करूंगा। उन्होंने बताया कि सरकार अगर एचटीबीट कपास को अनुमति दे देती है तो फिर किसानों को उचित दाम पर बीज मिल सकेंगे। उन्होंने बताया कि पुराने बीटी के 450 ग्राम के पैकेट का भाव 740 रुपये है जबकि हम एजेंट के माध्यम से एचटीबीटी कपास का पैकेट 800 रुपये में खरीदना पड़ता है। उन्होंने बताया कि राज्य में एचटीबीटी कपास के बीज गुजरात से लाकर एजेंटों द्वारा बेचे जा रहे हैं।
आनुवंशिक रूप से संशोधित फसलों की बुवाई की दी जाए अनुमति
शेतकारी संगठन का कहना है कि किसानों के लिए लाभकारी होने के कारण सरकार से मांग की है कि आनुवंशिक रूप से संशोधित फसलों के उपयोग की अनुमति दे जाए। गन्ना किसान और शेतकरी संगठन के विज्ञान और प्रौद्योगिकी प्रकोष्ठ के प्रमुख अजीत नारडे ने बताया कि जीएम फसलें न केवल किसानों के लिए बल्कि भारत की आर्थिक समृद्धि के लिए महत्वपूर्ण है। उन्होंने बताया कि सभी विकसित देशों में जीएम फसलों का उत्पादन हो रहा है, हमारे यहां भी करीब 10 से 15 फीसदी क्षेत्रफल में एचटीबीटी कपास की बुवाई अवैध रुप से की जा रही है, इसलिए सरकार को इसके उपयोग की अनुमति दे देनी चाहिए ताकि किसानों को इसका लाभ मिल सके। उन्होंने बताया कि मक्का, सोया, कपास जैसी एक दर्जन जीएम फसलों की दुनिया भर में बुवाई की जा रही है, पिछले दो दशकों से लाखों लोग और पशुधन इन्हें खा रहे हैं। मनुष्यों या जानवरों पर किसी भी प्रतिकूल स्वास्थ्य प्रभाव का कोई सबूत नहीं है। ....... आर एस राणा
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें