आर एस राणा
नई दिल्ली। डेयरी सहकारी समितियों अमूल और नंदिनी द्वारा लंबी अवधि के लिए लीज पर केंद्र सरकार के स्वामित्व वाली दिल्ली मिल्क स्कीम (डीएमएस) को संचालित करने के लिए दी गई बोली आरक्षित मूल्य से कम है। कृषि मंत्रालय के एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि इनकी बोली कम होने के कारण सरकार अन्य विकल्पों की तलाश कर रही है।
वर्ष 2015 में केंद्रीय मंत्रिमंडल ने डीएमएस के निगमीकरण के लिए प्रस्ताव दिया था जिसके बाद डीएमएस को लीज पर देने के लिए बोलियां आमंत्रित की गई। डीएमएस की दूध पैकेजिंग क्षमता दैनिक 5 लाख लीटर है, इसके अलावा एनसीआर में कंपनी के 1,298 आउटलेटस का नेटवर्क भी है।
अमूल और नंदिनी की बोली आरक्षित मूल्य से कम
उन्होंने बताया कि सरकार को अमूल और नंदिनी के दो प्रस्ताव मिले, लेकिन बोली आरक्षित मूल्य से काफी कम है। अमूल ब्रांड का विपणन गुजरात कोऑपरेटिव मिल्क मार्केटिंग फेडरेशन (जीसीएमएमएफ) द्वारा किया जाता है, जबकि नंदिनी का विपणन कर्नाटक सहकारी दुग्ध उत्पादक महासंघ (केएमएफ) द्वारा किया जाता है।
उचित मूल्य पर दूध की सप्लाई के लिए शुरू की थी कंपनी
उन्होंने कहा कि घाटे में चल रही डीएमएस को पुनर्जीवित करने की आवश्यकता है इसलिए अन्य विकल्पों पर काम करने की आवश्यकता है। इस मामले पर कैबिनेट को निर्णय लेना है। डीएमएस की स्थापना 1959 में, उचित मूल्य पर दिल्ली के नागरिकों को पौष्टिक दूध की आपूर्ति के प्राथमिक उद्देश्य के साथ-साथ दुग्ध उत्पादकों को पारिश्रमिक मूल्य प्रदान करने के लिए की गई थी। कंपनी में 800 कर्मचारी काय कर रहे हैं।
डीएमएस का प्लांट 25 एकड़ में है
डीएमएस पंजाब, हरियाणा, उत्तर प्रदेश, राजस्थान और बिहार से कच्चा/ताजा दूध खरीद रहा है। दूध के प्रसंस्करण और आपूर्ति के अलावा, डीएमएस दही, घी, मक्खन, पनीर, मक्खन दूध और सुगंधित दूध का उत्पादन और विपणन भी करती है। डीएमएस को 1959 में तत्कालीन राष्ट्रपति राजेंद्र प्रसाद ने शुरू किया था। इसके पास दिल्ली में 5 लाख लीटर की क्षमता वाला मिल्क प्रोसेसिंग प्लांट है, जोकि 25 एकड़ में फैला हुआ है। डीएमएस के पास 5 मिल्क कलेक्शन और चिलिंग सेंटर भी हैं। ........ आर एस राणा
नई दिल्ली। डेयरी सहकारी समितियों अमूल और नंदिनी द्वारा लंबी अवधि के लिए लीज पर केंद्र सरकार के स्वामित्व वाली दिल्ली मिल्क स्कीम (डीएमएस) को संचालित करने के लिए दी गई बोली आरक्षित मूल्य से कम है। कृषि मंत्रालय के एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि इनकी बोली कम होने के कारण सरकार अन्य विकल्पों की तलाश कर रही है।
वर्ष 2015 में केंद्रीय मंत्रिमंडल ने डीएमएस के निगमीकरण के लिए प्रस्ताव दिया था जिसके बाद डीएमएस को लीज पर देने के लिए बोलियां आमंत्रित की गई। डीएमएस की दूध पैकेजिंग क्षमता दैनिक 5 लाख लीटर है, इसके अलावा एनसीआर में कंपनी के 1,298 आउटलेटस का नेटवर्क भी है।
अमूल और नंदिनी की बोली आरक्षित मूल्य से कम
उन्होंने बताया कि सरकार को अमूल और नंदिनी के दो प्रस्ताव मिले, लेकिन बोली आरक्षित मूल्य से काफी कम है। अमूल ब्रांड का विपणन गुजरात कोऑपरेटिव मिल्क मार्केटिंग फेडरेशन (जीसीएमएमएफ) द्वारा किया जाता है, जबकि नंदिनी का विपणन कर्नाटक सहकारी दुग्ध उत्पादक महासंघ (केएमएफ) द्वारा किया जाता है।
उचित मूल्य पर दूध की सप्लाई के लिए शुरू की थी कंपनी
उन्होंने कहा कि घाटे में चल रही डीएमएस को पुनर्जीवित करने की आवश्यकता है इसलिए अन्य विकल्पों पर काम करने की आवश्यकता है। इस मामले पर कैबिनेट को निर्णय लेना है। डीएमएस की स्थापना 1959 में, उचित मूल्य पर दिल्ली के नागरिकों को पौष्टिक दूध की आपूर्ति के प्राथमिक उद्देश्य के साथ-साथ दुग्ध उत्पादकों को पारिश्रमिक मूल्य प्रदान करने के लिए की गई थी। कंपनी में 800 कर्मचारी काय कर रहे हैं।
डीएमएस का प्लांट 25 एकड़ में है
डीएमएस पंजाब, हरियाणा, उत्तर प्रदेश, राजस्थान और बिहार से कच्चा/ताजा दूध खरीद रहा है। दूध के प्रसंस्करण और आपूर्ति के अलावा, डीएमएस दही, घी, मक्खन, पनीर, मक्खन दूध और सुगंधित दूध का उत्पादन और विपणन भी करती है। डीएमएस को 1959 में तत्कालीन राष्ट्रपति राजेंद्र प्रसाद ने शुरू किया था। इसके पास दिल्ली में 5 लाख लीटर की क्षमता वाला मिल्क प्रोसेसिंग प्लांट है, जोकि 25 एकड़ में फैला हुआ है। डीएमएस के पास 5 मिल्क कलेक्शन और चिलिंग सेंटर भी हैं। ........ आर एस राणा
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