आर एस राणा
नई दिल्ली। प्याज किसानों को उचित भाव मिलने लगा तो सरकार ने निर्यात पर दी जा रही छूट को वापिस ले लिया। इससे प्याज की कीमतों मेें हुई बढ़ोतरी रुक सकती है। विदेश व्यापार महानिदेशालय (डीजीएफटी) द्वारा जारी अधिसूचना के अनुसार प्याज पर एमईआईएस के लाभ को तत्काल 10 फीसदी से घटाकर शून्य कर दिया गया है।
प्याज के निर्यातक पर मर्चेंडाइज एक्सपोर्ट्स फ्रॉम इंडिया स्कीम (एमईआईएस) के तहत निर्यात माल के एफओबी (लदान मूल्य) के 10 फीसदी के बराबर शुल्क की पर्ची का लाभ दिया जा रहा था। इस पर्ची का इस्तेमाल मूल आयात शुल्क सहित कई प्रकार के शुल्कों के भुगतान में इस्तेमाल किया जा सकता है। डीजीएफटी ने कहा कि वह ताजा और शीत भंडारित प्याज के निर्यात के लिए दिए जाने वाले लाभों को समाप्त कर रहे है। इसमें कहा गया है प्याज पर एमईआईएस के लाभ को तत्काल 10 फीसदी से घटाकर शून्य कर दिया गया है।
सूखे के मद्देनजर लिया फैसला
पिछले साल दिसंबर में इस योजना के तहत प्याज निर्यात पर प्रोत्साहन की दर को पांच फीसदी से बढ़ाकर 10 फीसदी कर दिया था। इसे इस वर्ष 30 जून तक जारी रखना था। प्रोत्साहन को वापस लेने का निर्णय इस मायने में महत्वपूर्ण है कि केंद्र सरकार ने उत्पादक राज्यों में सूखे की स्थिति को देखते हुए आने वाले महीनों में कीमतों को अंकुश में रखने के लिए 50,000 टन प्याज का बफर स्टॉक बनाना शुरू कर दिया है।
किसानों को मिलने लगा था उचित भाव
प्याज के सबसे बड़े उत्पादक राज्य महाराष्ट्र के लासलगांव में मंगलवार को प्याज का भाव 600 से 1,428 रुपये प्रति क्विंटल हो गया जबकि राज्य के पीपलगांव में इसका भाव 400 से 1,601 रुपये प्रति क्विंटल रहा। 13 मई को लासलगांव में प्याज का भाव 400 से 851 रुपये और पीपलगांव में 200 से 1,121 रुपये प्रति क्विंटल था। खुदरा में प्याज 20 से 25 रुपये प्रति किलो बिक रहा है।
उत्पादन वाले राज्यों में सूखा
महाराष्ट्र, कर्नाटक और आंध्र प्रदेश जैसे प्रमुख प्याज उगाने वाले राज्य इस साल सूखे की स्थिति का सामना कर रहे हैं। कृषि मंत्रालय के दूसरे आरंभिक अनुमान के अनुसार चालू फसल सीजन 2018-19 में प्याज का उत्पादन 232.8 लाख टन होने का अनुमान है जबकि पिछले साल प्याज का उत्पादन 232.6 लाख टन हुआ था। सरकार के द्वारा सूखे के प्रभाव के कारण अनुमान को संशोधित किये जाने की उम्मीद है। भारत में प्याज का उत्पादन रबी और खरीफ दोनों सीजनों में होता है, तथा कुल उत्पादन का 60 फीसदी हिस्सा रबी सीजन में होता है।
पिछले साल प्याज किसानों को नीचे भाव बेेचनी पड़ी थी फसल
इस साल महाराष्ट्र में पानी की कमी के चलते प्याज की फसल प्रभावित होने की आशंका है। इसी के मद्देनज़र सरकार ने प्याज की कीमतों में बढ़ोतरी होने से पहले 50,000 टन प्याज का भंडारण करना शुरू कर दिया है। पिछले वर्ष प्याज के अधिक उत्पादन के चलते किसानों को इसे महज 50 पैसे और एक रुपये प्रति किलो की सस्ती कीमत पर बेचना पड़ा था।
महाराष्ट्र का 60 फीसदी हिस्सा सूखे की चपेट में
इस वर्ष महाराष्ट्र में पानी की कमी के कारण सूखे जैसे हालात बने हुए हैं। जिसके कारण यहां के इलाकों में प्याज़ के उत्पादन में कमी की आशंका है। उत्पादन में कमी के कारण, अप्रैल से नवम्बर के दौरान होने वाली प्याज़ की मांग बढ़ने से कीमतों में बढ़ोत्तरी भी हो सकती है। महाराष्ट्र का 60 फीसदी हिस्सा पानी की भयानक कमी से जूझ रहा है।............ आर एस राणा
नई दिल्ली। प्याज किसानों को उचित भाव मिलने लगा तो सरकार ने निर्यात पर दी जा रही छूट को वापिस ले लिया। इससे प्याज की कीमतों मेें हुई बढ़ोतरी रुक सकती है। विदेश व्यापार महानिदेशालय (डीजीएफटी) द्वारा जारी अधिसूचना के अनुसार प्याज पर एमईआईएस के लाभ को तत्काल 10 फीसदी से घटाकर शून्य कर दिया गया है।
प्याज के निर्यातक पर मर्चेंडाइज एक्सपोर्ट्स फ्रॉम इंडिया स्कीम (एमईआईएस) के तहत निर्यात माल के एफओबी (लदान मूल्य) के 10 फीसदी के बराबर शुल्क की पर्ची का लाभ दिया जा रहा था। इस पर्ची का इस्तेमाल मूल आयात शुल्क सहित कई प्रकार के शुल्कों के भुगतान में इस्तेमाल किया जा सकता है। डीजीएफटी ने कहा कि वह ताजा और शीत भंडारित प्याज के निर्यात के लिए दिए जाने वाले लाभों को समाप्त कर रहे है। इसमें कहा गया है प्याज पर एमईआईएस के लाभ को तत्काल 10 फीसदी से घटाकर शून्य कर दिया गया है।
सूखे के मद्देनजर लिया फैसला
पिछले साल दिसंबर में इस योजना के तहत प्याज निर्यात पर प्रोत्साहन की दर को पांच फीसदी से बढ़ाकर 10 फीसदी कर दिया था। इसे इस वर्ष 30 जून तक जारी रखना था। प्रोत्साहन को वापस लेने का निर्णय इस मायने में महत्वपूर्ण है कि केंद्र सरकार ने उत्पादक राज्यों में सूखे की स्थिति को देखते हुए आने वाले महीनों में कीमतों को अंकुश में रखने के लिए 50,000 टन प्याज का बफर स्टॉक बनाना शुरू कर दिया है।
किसानों को मिलने लगा था उचित भाव
प्याज के सबसे बड़े उत्पादक राज्य महाराष्ट्र के लासलगांव में मंगलवार को प्याज का भाव 600 से 1,428 रुपये प्रति क्विंटल हो गया जबकि राज्य के पीपलगांव में इसका भाव 400 से 1,601 रुपये प्रति क्विंटल रहा। 13 मई को लासलगांव में प्याज का भाव 400 से 851 रुपये और पीपलगांव में 200 से 1,121 रुपये प्रति क्विंटल था। खुदरा में प्याज 20 से 25 रुपये प्रति किलो बिक रहा है।
उत्पादन वाले राज्यों में सूखा
महाराष्ट्र, कर्नाटक और आंध्र प्रदेश जैसे प्रमुख प्याज उगाने वाले राज्य इस साल सूखे की स्थिति का सामना कर रहे हैं। कृषि मंत्रालय के दूसरे आरंभिक अनुमान के अनुसार चालू फसल सीजन 2018-19 में प्याज का उत्पादन 232.8 लाख टन होने का अनुमान है जबकि पिछले साल प्याज का उत्पादन 232.6 लाख टन हुआ था। सरकार के द्वारा सूखे के प्रभाव के कारण अनुमान को संशोधित किये जाने की उम्मीद है। भारत में प्याज का उत्पादन रबी और खरीफ दोनों सीजनों में होता है, तथा कुल उत्पादन का 60 फीसदी हिस्सा रबी सीजन में होता है।
पिछले साल प्याज किसानों को नीचे भाव बेेचनी पड़ी थी फसल
इस साल महाराष्ट्र में पानी की कमी के चलते प्याज की फसल प्रभावित होने की आशंका है। इसी के मद्देनज़र सरकार ने प्याज की कीमतों में बढ़ोतरी होने से पहले 50,000 टन प्याज का भंडारण करना शुरू कर दिया है। पिछले वर्ष प्याज के अधिक उत्पादन के चलते किसानों को इसे महज 50 पैसे और एक रुपये प्रति किलो की सस्ती कीमत पर बेचना पड़ा था।
महाराष्ट्र का 60 फीसदी हिस्सा सूखे की चपेट में
इस वर्ष महाराष्ट्र में पानी की कमी के कारण सूखे जैसे हालात बने हुए हैं। जिसके कारण यहां के इलाकों में प्याज़ के उत्पादन में कमी की आशंका है। उत्पादन में कमी के कारण, अप्रैल से नवम्बर के दौरान होने वाली प्याज़ की मांग बढ़ने से कीमतों में बढ़ोत्तरी भी हो सकती है। महाराष्ट्र का 60 फीसदी हिस्सा पानी की भयानक कमी से जूझ रहा है।............ आर एस राणा
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