01 जून 2013
अमेरिका में जीएम गेहूं के खुलासे से एशिया में हड़कंप
गंभीर मसला - अमेरिका के ओरेगोन में उगाई जा रही है प्रतिबंधित जीएम किस्म
खाद्यान्न पर संकट
अमेरिका है दुनिया का सबसे बड़ा गेहूं सप्लायर
एशियाई देश खरीदते हैं वैश्विक व्यापार का तिहाई गेहूं
कई वर्षों पूर्व मोनसेंटो की विकसित किस्म को मंजूरी नहीं
फिर भी ओरेगोन में इस जीएम किस्म की खेती हो रही
यूएसडीए इस गेहूं की सप्लाई होने से किया इंकार
विस्फोटक खुलासे के बाद जापान ने आयात रोका, फिलीपींस, चीन व दक्षिण कोरिया भी सतर्क
रॉयटर्स - सिंगापुर/टोक्यो
अमेरिका के जेनेटिकली मॉडीफाइड (जीएम) गेहूं की एक किस्म का खुलासा होने के बाद समूचे एशिया में खलबली मच गई है। जापान ने गुरुवार को अपना गेहूं खरीद टेंडर तुरंत रद्द करने के साथ ही फिलहाल अमेरिकी गेहूं आयात पर पूरी तरह प्रतिबंध लगा दिया है।अमेरिकी सरकार को ओरेगोन राज्य के एक खेत में जीएम गेहूं की फसल मिली है। इसके बाद एशिया के दूसरे प्रमुख आयातक देश दक्षिण कोरिया, चीन और फिलीपींस ने कहा है कि वे पूरे मसले पर कड़ी नजर रखे हुए हैं।
अमेरिका ने कहा है कि गेहूं की इस किस्म को बेचने और उपयोग करने की कभी मंजूरी नहीं दी गई। एशिया में उपभोक्ता जीएम फसलों के प्रति काफी संवेदनशील हैं। हालांकि कुछ देशों ने मानव उपयोग के लिए इस तरह के खाद्यान्न का आयात करने की अनुमति दी है। लेकिन अमेरिका से जीएम मक्का व सोयाबीन का ज्यादातर आयात पशु चारे के लिए किया जा रहा है। जापान के कृषि मंत्रालय में गेहूं कारोबार के प्रभारी तोरू हिसडोम ने कहा कि हम गुरुवार से पश्चिमी जगत का सफेद व खाने योग्य गेहूं की खरीद नहीं करेंगे।
इससे पहले बुधवार को अमेरिकी कृषि विभाग (यूएसडीए) ने कहा था कि गेहूं की यह किस्म कई वर्ष पहले बायोटैक्नोलॉजी कंपनी मोनसेंटों ने विकसित की थी। पूरी दुनिया में जीएम गेहूं के विरोध को देखते हुए इसका इस्तेमाल कभी शुरू नहीं किया गया। एशिया में हर साल करीब 400 लाख टन गेहूं का आयात किया जाता है। एशिया का कुल आयात वैश्विक कारोबार के मुकाबले करीब एक तिहाई है। पूरी दुनिया में 1400-1500 लाख टन गेहूं का अंतरराष्ट्रीय कारोबार किया जाता है।
बड़ी मात्रा में गेहूं की सप्लाई अमेरिका से होती है। दुनिया भर में गेहूं निर्यात में अमेरिका पहले और ऑस्ट्रेलिया दूसरे स्थान पर है। यूएसडीए ने कहा है कि अभी तक जीएम गेहूं आयातक देशों में पहुंचने की जानकारी नहीं है। हालांकि विश्लेषकों ने चेतावनी दी है कि अवांछित गेहूं किस्म मिलने से अमेरिकी गेहूं की विश्व बाजार में मांग प्रभावित हो सकती है।
सिंगापुर में स्टेंडर्ड चार्टर्ड बैंक के एनालिस्ट एबे ओफोन ने कहा कि एशियाई उपभोक्ता जीएम गेहूं का उपयोग करने से घबराते हैं। विश्व बाजार में गेहूं की क्वालिटी और सुलभता को लेकर पहले ही दिक्कतें रही हैं। इस मसले से समस्या और बढ़ सकता है। इससे पहले 2006 में अमेरिका के बड़े क्षेत्र में लंबे दाने वाली चावल फसल में बेयर क्रॉपसाइंस की प्रायोगिक नस्ल की मिलावट पाई गई थी।
इसके बाद यूरोप और जापान ने इसका आयात रोक दिया था और अमेरिकी चावल का दाम धराशायी हो गए थे। कंपनी ने 2011 में अदालत में उत्पादकों को 75 करोड़ डॉलर हर्जाना देने की रजामंदी दी थी। जीएम गेहूं किस्म पाए जाने का खुलासा होने के बाद चीन के एक फ्लोर मिलर ने कहा कि वह गेहूं आयात में सावधानी बरतेगा। पिछले कुछ महीनों से यह कंपनी बड़े पैमाने पर अमेरिकी गेहूं आयात कर रही थी।
यूएसडीए के अनुसार चीन अगले जून तक करीब 35 लाख टन गेहूं आयात कर सकता है। उसके आयात में 21 फीसदी बढ़ोतरी का अनुमान लगाया गया था।
इसमें से ज्यादातर गेहूं अमेरिका, कनाडा व ऑस्ट्रेलिया से आना है। उधर, जापान के मंत्री ने कहा कि सरकार ने अमेरिकी अधिकारियों से इसके बारे में और जानकारी मांगी है, जिससे समूचे मामले की विस्तृत जानकारी हो सके। जापान ने फिलहाल गेहूं का आयात बंद कर दिया है।
जापान कम से कम तब तक गेहूं का आयात नहीं करेगा, जब तक जीएम नस्ल की जांच करने के लिए टेस्ट किट विकसित नहीं कर लेता है। अमेरिका के पास भी अभी इस तरह की कोई टेस्ट किट उपलब्ध नहीं है।
मनीला में फिलीपींस कृषि मंत्रालय के एक अधिकारी ने कहा कि कोई कदम उठाने से पहले और जानकारी मिलने का इंतजार है। फिलीपींस पूरी तरह अमेरिकी गेहूं पर निर्भर है और हर साल वह 40 लाख टन गेहूं आयात करता है। (Business Bhaskar)
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