14 जून 2013
खाद्य सुरक्षा बिल पर अध्यादेश लाने का फैसला टला
नई दिल्ली।। यूपीए सरकार ने विपक्ष के साथ-साथ सहयोगी दलों के कड़े विरोध के बाद फिलहाल खाद्य सुरक्षा बिल को अध्यादेश के जरिए लागू करने का फैसला टाल दिया है। कैबिनेट की बैठक के बाद वित्त मंत्री पी. चिदंबरम ने कहा कि बिल तैयार है और सरकार विपक्षी दलों को इस पर राजी करने की अंतिम कोशिश करके देखना चाहती है। उन्होंने कहा कि अगर विपक्षी दल राजी होते हैं, तो स्पेशल सेशन बुलाकर बिल को पास कराया जाएगा। उन्होंने कहा कि संसदीय कार्यमंत्री कमलनाथ और खाद्य मंत्री केवी थॉमस बिल पर रजामंदी बनाने के लिए विपक्षी दलों से मुलाकात करेंगे।
सूत्रों के मुताबिक कैबिनेट की बैठक में केंद्रीय कृषि मंत्री शरद पवार ने अप्रत्याशित रूप से बिल पर विरोध नहीं जताया। प्रधानमंत्री ने ही बिल पर विपक्ष को साथ लेने की आखिरी कोशिश करने देखने की बात रखी, जिसके बाद इसे टाल दिया गया। माना जा रहा है कि अगर बात बनती है तो आठ से 12 जुलाई के बीच स्पेशल सेशन बुलाकर बिल पास कराया जा सकता है। गौरतलब है कि सरकार को बाहर से समर्थन दे रही समाजवादी पार्टी इस बिल के विरोध में है। ऐसे में सरकार अभी उसे नाराज करने का खतरा मोल नहीं लेना चाहती।
इस विधेयक का लक्ष्य देश की 1.2 अरब आबादी के लगभग 67% लोगों को सस्ते दर पर अनाज मुहैया कराना है। बिल में गरीब परिवारों को 3 रुपये किलो चावल, 2 रुपये किलो गेहूं और 3 रुपये किलो मोटा अनाज देने का प्रस्ताव है। केंद्र सरकार तीन साल बाद अनाज की दरों में बदलाव पर विचार करेगी।
गौरतलब है कि विपक्षी पार्टियों के साथ सहयोगी पार्टियों को सरकार की 'हड़बड़ी' पर आपत्ति है। बीजेपी, लेफ्ट पार्टियों का कहना है कि सरकार को अध्यादेश लाने के बजाय बिल को मॉनसून सेशन में पेश करना चाहिए और संसद में व्यापक चर्चा के बाद ही इसे लागू करना चाहिए। केंद्रीय कृषि मंत्री शरद पवार ने पिछले सप्ताह बिल पर संसद में चर्चा कराए जाने का सुझाव दिया था। उनके इस सुझाव का संकेत साफ था कि वह किसी अध्यादेश के खिलाफ हैं। पूर्व में पवार ने विधेयक पर यह कहते हुए असंतोष जताया था कि इससे खजाने पर सब्सिडी का भारी बोझ पड़ेगा और किसानों के हितों को भी नुकसान पहुंचेगा।
दूसरी तरफ, कांग्रेस नेतृ्तव को लगता है कि यह बिल 2014 के आम चुनावों में गेम चेंजर साबित हो सकता है। लिहाजा, इसे लागू करने में देर नहीं करना चाहिए। थॉमस ने पिछले सप्ताह सोनिया गांधी से बात की थी, उसके बाद अध्यादेश लाने का फैसला किया गया। सूत्रों के मुताबिक सरकार ने अध्यादेश लाने का फैसला विधेयक में बड़ी संख्या में प्रस्तावित संशोधनों को देखते हुए किया है। इसके अलवा सरकार को यूपीए-1 के दौरान लागू किए गए मनरेगा कार्यक्रम से मिले फायदे का अहसास है, इसी वजह से वह खाद्य सुरक्षा बिल लाने की जल्दबाजी में दिख रही है।
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