24 जून 2013
जल्दी मानसून आने से लबालब हो जाएंगे खाद्यान्न भंडार
आर एस राणा नई दिल्ली | Jun 24, 2013, 03:33AM IST
एक माह पहले मानसून पूरे देश में सक्रिय होने से हर किसी को राहत
खुशहाली की बारिश
जल्दी बारिश से खरीफ फसलों की बुवाई में तेजी
देश में चावल, दलहन व तिलहन का उत्पादन सुधरेगा
दलहन व तिलहन के आयात पर निर्भरता होगी कम
जल्दी बारिश से किसानों की उत्पादन लागत में कमी आएगी
इससे किसानों को अच्छी आमदनी होगी और खुशहाली होगी
जल्दी उपज मंडियों में आने से खाद्य वस्तुओं की कीमत घटेगी
इस साल दक्षिण-पश्चिम मानसून अपने निर्धारित समय से करीब एक माह पहले ही पूरे देश में सक्रिय हो गया है। भले ही उत्तराखंड और हिमाचल प्रदेश में अत्यधिक वर्षा जनित प्राकृतिक आपदाओं से भारी जान-माल का नुकसान हुआ हो लेकिन जल्दी मानसून सक्रिय होने से खरीफ सीजन की फसलों को खासा फायदा होने की उम्मीद बंधी है। इससे देश में खाद्यान्न भंडार भर जाएंगे और दलहन व खाद्य तेलों की सुलभता बढऩे से इनके आयात पर निर्भरता कम होगी।
फसलों की बुवाई के लिए खेत तैयार करना किसानों के लिए जल्दी बारिश से किफायती हो गया है। फसलों की बुवाई के बाद भी सिंचाई के लिए किसानों को महंगा डीजल खर्च नहीं करना पड़ेगा। जल्दी मानसून आने से किसानों ने खरीफ फसलों की बुवाई भी जल्दी शुरू कर दी है। इससे उम्मीद है कि दलहनी और तिलहनी फसलों की बुवाई तेज होने से न सिर्फ इनकी पैदावार सुधरने की उम्मीद है, बल्कि ये फसलें जल्दी पककर कटाई के लिए तैयार हो जाएंगी।
मंडियों में इनकी आवक भी जल्दी शुरू हो जाएगी। एक फायदा यह भी होगा कि अगले रबी सीजन की बुवाई के लिए भी खेत जल्दी खाली हो जाएंगे और खेतों में बेहतर नमी होने से रबी फसलों को भी इसका फायदा मिलने की संभावना है। चालू खरीफ में अभी तक 109.07 लाख हैक्टेयर में खरीफ फसलों की बुवाई हो चुकी है। दलहन और तिलहनों की बुवाई चालू खरीफ में बढ़ी है।
भारतीय मौसम विभाग (आईएमडी) के अनुसार मानसून सामान्य रहने की संभावना है, ऐसे में खरीफ में खाद्यान्न की पैदावार बढऩे का अनुमान है। कृषि मंत्रालय के एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि देश के अधिकांश भाग में जून महीने में हुई मानसूनी वर्षा से खरीफ फसलों की बुवाई में तेजी आई है। खासकर के दलहन और तिलहनों की बुवाई चालू खरीफ में पिछले साल की तुलना में बढ़ रही है जो एक अच्छा संकेत है।
उन्होंने बताया कि घरेलू आवश्यकता की पूर्ति के हमें हर साल कुल खपत के करीब 50 फीसदी खाद्य तेलों का आयात करना पड़ता है, जबकि दालों का भी सालाना करीब 30 से 35 लाख टन (करीब 15-17 फीसदी) आयात करना पड़ता है। ऐसे में अगर दलहन और तिलहनों की बुवाई बढ़ेगी तो आयात पर निर्भरता में कुछ कमी आएगी।
उन्होंने बताया कि भारतीय मौसम विभाग ने चालू खरीफ में देश में सामान्य मानसून रहने की भविष्यवाणी की है तथा अगर मानसूनी वर्षा अच्छी हुई तो चालू खरीफ में खाद्यान्न उत्पादन वर्ष 2012-13 के 12.82 करोड़ टन से भी ज्यादा होने का अनुमान है।
पिछले साल इस समय तक दालों की बुवाई शुरू नहीं हो पाई थी जबकि चालू खरीफ में अभी तक 3.74 लाख हैक्टेयर में दलहन की बुवाई हो चुकी है। इसी तरह से तिलहनों की बुवाई चालू खरीफ में बढ़कर 8.13 लाख हैक्टेयर में हो चुकी है इसमें भी सबसे ज्यादा बुवाई मूंगफली की हुई है जिसमें तेल की मात्रा अन्य तिलहनों से ज्यादा होती है।
कृषि मंत्रालय द्वारा जारी बुवाई आंकड़ों के अनुसार चालू खरीफ में अभी तक 109.07 लाख हैक्टेयर में बुवाई हो चुकी है जबकि पिछले साल की समान अवधि में 108.27 लाख हैक्टेयर में हुई थी। धान की रोपाई चालू खरीफ में अभी तक 16.40 लाख हैक्टेयर में हो चुकी है जबकि पिछले साल इस समय तक 16.29 लाख हैक्टेयर में हुई थी।
इसी तरह से दालों की बुवाई चालू खरीफ में 3.74 लाख हैक्टेयर में हो चुकी है जबकि पिछले साल की समान अवधि में बुवाई शुरू भी नहीं हुई थी। तिलहनों की बुवाई चालू खरीफ में बढ़कर 8.13 लाख हैक्टेयर में हुई है जबकि पिछले साल की समान अवधि में तिलहनों की 3.19 लाख हैक्टेयर में ही बुवाई हुई थी।
हालांकि महाराष्ट्र में सूखे से गन्ने के बुवाई क्षेत्रफल में कमी आई है जबकि महाराष्ट्र, हरियाणा और आंध्र प्रदेश में कपास की बुवाई कम हुई है। चालू खरीफ में गन्ने की बुवाई 44.55 लाख हैक्टेयर में ही हो पाई है जबकि पिछले साल 49.35 लाख हैक्टेयर में हुई थी। इसी तरह से कपास की बुवाई पिछले साल के 31.38 लाख हैक्टेयर से घटकर 28.13 लाख हैक्टेयर में ही हो पाई है। (Business Bhaskar....R S Rana)
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