26 जून 2013
मुश्किल में इंदौर का एनबोट
इंदौर के क्षेत्रीय एक्सचेंज नैशनल बोर्ड ऑफ ट्रेड (एनबोट) के कारोबार में पिछले पांच वर्षों के दौरान भारी गिरावट आई है। इसकी वजह एक्सचेंज के सदस्यों में तकनीकी रूप से सुसज्जित राष्ट्रीय एक्सचेंजों से जुडऩे की प्रवृत्ति बढऩा है। इंदौर के इस एक्सचेंज पर सोयाबीन और रिफाइंड सोया तेल जैसे उत्पादों का वायदा कारोबार होता है।
एक्सचेंज का मासिक कारोबार इस साल मई में घटकर महज 15.77 करोड़ रुपये पर आ गया है, जो पांच साल पहले 5,510.07 करोड़ रुपये और पिछले साल के इसी महीने में 1,779.14 करोड़ रुपये था। एनबोट के कारोबार में भारी गिरावट के लिए विशेषज्ञ कई वजहों को जिम्मेदार मानते हैं। एक्सचेंज ने अपने कर्मचारियों की संख्या घटाकर लगभग 'शून्यÓ कर दी है, जबकि एक दशक पहले इसके कर्मचारियों की तादाद 100 से ज्यादा थी। इसके सदस्य एनबोट को छोड़कर राष्ट्रीय एक्सचेंजों का रुख कर रहे हैं, जिससे एक्सचेंज में कारोबार घटता जा रहा है।
एनबोट के चेयरमैन कैलाश शाहरा ने कहा, 'हमारे सदस्य एनबोट पर कारोबार करने के इच्छुक नहीं हैं, इसलिए वे राष्ट्रीय एक्सचेंजों में जा रहे हैं। हमने अपने स्तर पर उन्हें रोकने की खूब कोशिश की, लेकिन सफल नहीं हो सके। इससे ज्यादा हम क्या कर सकते हैं।Ó वर्ष 1999 में इस एक्सचेंज की स्थापना हुई थी। उस समय यह रिफाइंड सोया तेल, सोयाबीन और सरसों का बेंचमार्क एक्सचेंज था और उद्योग के लिए रेफरेंस कीमत तय करता था। खुद को राष्ट्रीय एक्सचेंज में तब्दील करने के लिए जिंस डेरिवेटिव बाजार नियामक वायदा बाजार आयोग (एफएमसी) के पास आवेदन करने वाला यह पहला एक्सचेंज था। यह आवेदन मल्टी कमोडिटी एक्सचेंज (एमसीएक्स), नैशनल कमोडिटी ऐंड डेरिवेटिव्ज एक्सचेंज (एनसीडीईएक्स) और नैशनल मल्टी कमोडिटी एक्सचेंज (एनएमसीई) जैसे राष्ट्रीय एक्सचेंजों के 2003 में वजूद में आने से पहले किया गया था।
इन तीन राष्ट्रीय एक्सचेंजों के शुरू होने से तकनीक ने भारत में वायदा कारोबार की परिभाषा ही बदल दी है। जहां एनबोट में कारोबारियों को आवाज लगाकर खुली बोली लगाने के लिए ट्रेडिंग वेल में खुद उपस्थिति होना पड़ता था, वहीं राष्ट्रीय एक्सचेंजों में ऑनलाइन कारोबार की सुविधा होने से देश के किसी भी हिस्से से कारोबार किया जा सकता था और इसके लिए खुद हाजिर होने की जरूरत नहीं थी। आवाज देकर खुली बोली लगाने में कारोबार के आंकड़ों की प्रामाणिकता संदेहास्पद होती थी, जबकि ऑनलाइन कारोबार में यह यह मसला आड़े नहीं आता है।
हालांकि कारोबारी तरीके के पुनर्गठन और खुली बोली के बजाय ऑनलाइन प्रक्रिया अपनाने के लिए एनबोट के बोर्ड की कई बार बैठकें हुईं। इसके लिए एक प्रस्ताव एफएमसी के पास भी भेजा गया था, लेकिन बोर्ड सदस्यों में मतभेद की वजह से कुछ सकारात्मक नतीजा नहीं निकल सका। एफएमसी ने एक्सचेंज से कहा कि वह उसके द्वारा निर्धारित शेयरधारिता की शर्तों को पूरा करे और उसके बाद राष्ट्रीय स्तर के ऑनलाइन एक्सचेंज में बदलाव के लिए नए सिरे से आवेदन करे। लेकिन एक्सचेंज के सदस्यों में सहमति नहीं बन सकी। नतीजतन कारोबारियों ने राष्ट्रीय स्तर के एक्सचेंजों में जाना शुरू कर दिया।
एक दशक पहले एनबोट के सदस्यों की संख्या 500 से ज्यादा थी, जो घटकर मुश्किल से 50 रह गई है। ये सदस्य एनबोट में कारोबार करने के इच्छुक ही नहीं हैं। एक दिग्गज सोयाबीन कारोबारी ने कहा, 'एक बार हमने तकनीक में सुधार की योजना बनाई थी, लेकिन हमारे सदस्यों के सहयोग के अभाव में यह फलीभूत नहीं हो पाई। (BS Hindi)
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