बिजनेस भास्कर नई दिल्ली
पूर्वोत्तर राज्यों के साथ ही बिहार, पश्चिम बंगाल, झारखंड तथा उड़ीसा के लिए सरकार खाद्यान्न की खरीद और भंडारण के लिए नई नीति बनाएगी। इससे इन राज्यों के किसानों को अपनी फसलों का वाजिब दाम मिल सकेगा। भंडारण की सुविधा होने से खाद्यान्न की बर्बादी में भी कमी आएगी। साथ ही प्रस्तावित खाद्य सुरक्षा बिल के लिए अधिक खाद्यान्न की आवश्यकता को भी पूरा किया जा सकेगा।
खाद्य मंत्रालय के एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि उत्तर भारत के राज्यों की तरह ही पूर्वोत्तर भारत के राज्यों असम, मणिपुर, अरुणाचल प्रदेश, सिक्किम, नगालैंड, मिजोरम, मेघालय, त्रिपुर के साथ ही बिहार, झारखंड, पश्चिमी बंगाल तथा उड़ीसा में खाद्यान्न की न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) पर खरीद करने के साथ ही भंडारण के लिए नई नीति बनाई जाएगी। इससे प्रस्तावित खाद्य सुरक्षा बिल के लिए ज्यादा खाद्यान्न की आवश्यकता को भी पूरा किया जा सकेगा।
खाद्य मंत्रालय नई नीति की रूपरेखा बनाएगा तथा इसमें कृषि मंत्रालय भी सहयोग करेगा। उन्होंने बताया कि इन राज्यों में खाद्यान्न की सरकारी खरीद की समुचित व्यवस्था नहीं होने के कारण कई बार किसानों को औने-पौने दाम पर अपनी फसल बेचने को मजबूर होना पड़ता है। उन्होंने बताया कि खाद्यान्न की सरकारी खरीद में उत्तर भारत के राज्यों की हिस्सेदारी 85 से 90 प्रतिशत है।
जबकि पूर्वोत्तर राज्यों के साथ ही बिहार, पश्चिमी बंगाल, झारखंड और उड़ीसा से एमएएपी पर धान, गेहूं और मोटे अनाजों की खरीद सीमित मात्रा ही हो पाती है। इसलिए इन राज्यों में खाद्यान्न की सरकारी खरीद को बढ़ाने के लिए बुनियादी ढांचा तैयार किया जाएगा।
जिससे इन राज्यों के किसान भी अपनी उपज को सरकारी खरीद केंद्रों पर बेच सकेंगे। उन्होंने बताया कि भंडारण क्षमता बढ़ाने के लिए पूर्वोत्तर राज्यों में नए गोदाम बनाए जाएंगे। ताकि पूर्वोत्तर राज्यों में तीन-चार महीनों की खपत का खाद्यान्न भंडार किया जा सके। इससे भंडारण के अभाव में खराब होने वाले अनाजों की मात्रा में कमी आएगी। साथ ही उत्तर भारत के राज्यों पर भंडारण का दबाव भी कम होगा। (Business Bhaskar...R S Rana)
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