यह सर्वविदित तथ्य है कि छोटे किसानों के पास, बाजार भाव के अनुकूल होने तक अपनी उपज को भंडारित करने की आर्थिक क्षमता नहीं होती। ग्रामीण गोदामों का एक नेटवर्क तैयार होने से उनकी भंडारण क्षमता बढ़ जाएगी और वे अपने उत्पादों को अच्छी कीमतों पर बेच सकेंगे और उन्हें औने-पौने दामों में बेचने के दबाव से मुक्ति पा सकेंगे।
इसी को ध्यान में रखते हुए भारत सरकार ने 01.04.2001 से ‘ग्रामीण भंडारण योजना’ की शुरुआत की है।
योजना का लक्ष्य
इस योजना का मुख्य लक्ष्य है ग्रामीण क्षेत्रों में सहयोगी सुविधाओं के साथ वैज्ञानिक भंडारण प्रणाली का निर्माण करना, ताकि किसानों द्वारा अपनी कृषि उपज, प्रसंस्कृत कृषि उपज, कृषि आदानों इत्यादि को भंडारित करने की विभिन्न जरूरतों की पूर्ति की जा सके, साथ ही किसानों को बंधक ऋण तथा मार्केटिंग क्रेडिट की उपलब्धता द्वारा औने-पौने दामों पर अपने उत्पाद को बेचने की मजबूरी से मुक्ति दिलाया जा सके।
इस योजना का क्रियान्वयन 31.03.2012 तक जारी रहेगा।
प्रमुख विशेषताएं
अर्हताप्राप्त संगठन
ग्रामीण गोदामों के निर्माण की परियोजना नगर निगम, फेडरेशन, कृषि उत्पाद मार्केटिंग समिति, मार्केटिंग बोर्ड तथा ऐग्रो प्रॉसेसिंग कॉरपोरेशन के अलावा कोई व्यक्ति, किसान, किसानों/उत्पादकों के समूह, पार्टनरशिप/स्वामित्व वाले संगठन, एनजीओ, स्वयं सहायता समूह, कंपनियां, कॉरपोरेशन, सहकारी निकाय, स्थानीय निकाय संचालित कर सकते हैं। हालांकि ग्रामीण गोदामों का जीर्णोद्धार केवल सहकारी संगठन द्वारा निर्मित मौजूदा गोदामों तक ही सीमित रहेगा।
स्थान
इस योजना के अंतर्गत उद्यमी किसी भी स्थान पर अपने व्यावसायिक निर्णय द्वारा गोदाम का निर्माण कर सकता है, पर यह नगर निगम की सीमा से बाहर के क्षेत्र में ही अवस्थित होना चाहिए। इस योजना के तहत खाद्य प्रसंस्करण उद्योग मंत्रालय द्वारा बढ़ावा दिए जा रहे फूड पार्क में भी ग्रामीण गोदामों का निर्माण शामिल होगा।
आकार
गोदाम की क्षमता उद्यमी द्वारा ही निर्धारित की जाएगी। हालांकि इस योजना के तहत इसके लिए मिलने वाला अनुदान न्यूनतम 100 टन की क्षमता और अधिकतम 10,000 टन की क्षमता के लिए लागू होगा। NCDC द्वारा सहायता प्राप्त सहकारी ग्रामीण गोदाम वाली परियोजना के मामले में कोई अधिकतम अनुदान सीमा नहीं होगी।
50 टन जैसी कम क्षमता वाले ग्रामीण गोदाम भी इस स्कीम के तहत व्यावहारिकता के विश्लेषण के आधार पर अनुदान के अंतर्गत आएंगे, जो स्थलाकृति/राज्य/क्षेत्र की विशेष आवश्यकता पर निर्भर करेगा। पहाड़ी क्षेत्रों में (जहां परियोजना स्थल औसत समुद्र स्तर से 1000 मीटर की ऊंचाई पर स्थित हो) 25 टन जैसी कम क्षमता वाले ग्रामीण गोदाम भी इस स्कीम के तहत अनुदान पाएंगे।
अनुदान
उत्तर-पूर्व राज्यों, पहाड़ी क्षेत्रों तथा महिला किसानों/ उनके स्वयं सहायता समूहों/ सहकारियों तथा SC/ST उद्यमियों और उनके सहायता समूहों/ सहकारियोंके गोदामों को मूल लागत का 33.33% अनुदान दिया जाएगा, जिसकी अधिकतम अनुदान सीमा Rs.62.50 लाख की होगी। NCDC द्वारा सहायता प्राप्त सहकारी ग्रामीण गोदाम वाली परियोजना की स्थिति में कोई अधिकतम अनुदान सीमा नहीं होगी।
किसानों (महिला किसानों को छोड़कर), कृषि स्नातक, सहकारी तथा राज्य/केंद्रीय वेयरहाउसिंग कॉरपोरेशन के सभी वर्गों के लिए परियोजना लागत का 25% अनुदान होगा जिसकी अधिकतम सीमा Rs. 46.87 लाख होगी। NCDC द्वारा सहायता प्राप्त सहकारी निकायों के गोदामों के लिए अनुदान की कोई अधिकतम सीमा नहीं है।
व्यक्तियों, कंपनियों तथा कॉरपोरेशन इत्यादि के सभी अन्य वर्गों के लिए मूल लागत का 15% अनुदान, जिसकी अधिकतम सीमा Rs. 28.12 लाख की होगी।
NCDC द्वारा सहायता प्राप्त गोदामों के जीर्णोद्धार के लिए मूल लागत का 25% अनुदान।
इस स्कीम के तहत अनुदान के उद्देश्य के लिए परियोजना की मूल लागत की गणना निम्नानुसार की जाएगी:
1000 टन तक क्षमता के गोदाम के लिए – वित्तीय बैंक द्वारा मूल्यांकित अथवा वास्तविक लागत या Rs 2500/- प्रति टन भंडारण क्षमता में जो भी कम हो।
1000 टन से अधिक भंडारण क्षमता वाले गोदामों के लिए– बैंक द्वारा मूल्यांकित लागत या Rs 1875/- प्रति टन भंडारण क्षमता में जो भी कम हो। हालांकि 10,000 टन की क्षमता से अधिक वाले गोदामों के लिए अनुदान केवल 10,000 टन के लिए ही उपलब्ध होगा, जो सहकारियों के लिए ऊपर दर्शाए अनुसार रियायत पर निर्भर करेगा।
NCDC से सहायता प्राप्त कोऑपरेटिव द्वारा निर्मित गोदामों के जीर्णोद्धार के लिए- बैंक/ NCDC द्वारा निर्धारित परियोजना लागत अथवा Rs.625/- प्रति टन भंडारण क्षमता, जो भी निम्न हो।
कोई लाभार्थी गोदाम परियोजना या उसके किसी घटक के लिए एक से अधिक स्रोत से अनुदान नहीं प्राप्त कर सकता।
गोदाम की क्षमता की गणना @ 0.4 M.T. प्रति क्यूबिक मीटर के हिसाब से की जाएगी। (indg)
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