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22 अगस्त 2011

कृषि उपज के विपणन के लिए नियामक बनाएं राज्य


मुंबई August 21, 2011
कृषि मंत्रालय ने बिना एपीएमसी अधिनियम वाले राज्यों से कृषि विपणन गतिविधियों की निगरानी के लिए राज्य स्तर पर नियामकीय ढांचा स्थापित करने के लिए कहा है। फिलहाल छह राज्य हैं, जिनमें कोई एपीएमसी अधिनियम नहीं है। इन राज्यों में बिहार, केरल, दमन व दीव, लक्षद्वीप, अंडमान और निकोबार द्वीप समूह, मणिपुर और दादर व नागर हवेली शामिल हैं। एपीएमसी- कृषि उपज विपणन अधिनियम 2003 में संशोधन 2006 में किया गया है, इसमें फलों, सब्जियों, पशुओं आदि की खरीद-फरोख्त के लिए बुनियादी आधार तैयार करने का प्रावधान किया गया है। वरिष्ठ अधिकारियों ने कहा कि 'हालांकि अत्यधिक सरकारी नियंत्रण से भी कृषि उपजों का प्रभावी विपणन हतोत्साहित होता है, लेकिन इन राज्यों की तरह पूरी तरह से निजीकरण करने से भी कीमतों में विकृति आ रही है और ग्राहकों को कम कीमत पर उत्पाद नहीं मिल रहे हैं। उन्होंने कहा कि उचित अध्ययन से यह निष्कर्ष निकाला गया है कि इन राज्यों में कृषि उपजों के विपणन की स्थिति बहुत खराब है। अधिकारी ने कहा कि 'एपीएमसी बाजार के मामले में सभी को अपना उत्पाद बेचने का अधिकार है और किसी तरह का शुल्क देने की जरूरत नहीं होती है। केवल ग्राहकों से वसूली जाने वाली कीमत की निगरानी रखी जाती है। अधिकारी ने कहा कि इसके अलावा पूरा लाभ मार्केटर्स द्वारा हड़प लिया जाता है और इसके कारण ही बाजार परिसरों में न तो पशुओं के लिए और न ही किसानों के लिए एपीएमसी बाजारों जैसा बुनियादी ढांचा होता है। इसलिए हमने इन राज्यों से अपने राज्यों में कृषि उपज के विणणन के लिए कोई नियामक बनाने या ढांचा तैयार करने का आग्रह किया है। साल 2006 तक बिहार में एपीएमसी अधिनियम था और इसके बाद राज्य ने अधिनियम को निरस्त कर कृषि विपणन ढांचे का पूरी तरह से निजीकरण कर दिया था। अधिकारियों ने कहा कि एशियाई विकास बैंक ने जापान के लिए तैयार अपनी रिपोर्ट में इन चीजों का जिक्र किया है, जो बिहार व महाराष्ट्र के छोटे किसानों में सुधार लाने और बाजार तक पहुंच आसान बनाने के लिए कोष मुहैया कराने का इच्छुक है। राज्यों के लिए सामाजिक आर्थिक विश्लेषण व रणनीति पर की गई स्टडी में रिपोर्ट में कर्ज व बुनियादी ढांचे का अभाव और गुणवत्ता वाली सामग्री के अभाव बताया है। साथ ही अपने उत्पाद के विपणन के लिए बाजार की सही सूचना भी किसानों तक नहीं पहुंच पाती है।एपीएमसी अधिनियम कृषि उत्पादों के विपणन को राज्य का विषय बताता है, लिहाजा ऐसे उत्पादों का विपणन सरकार द्वारा मंजूर बाजार ढांचे के जरिए होता है। संशोधन के बाद अधिनियम ने बाजार के बुनियादी ढांचे में निजी निवेश को सुलभ बनाया है ताकि किसानों को विपणन के वैकल्पिक मौके उपलब्ध हों और विचौलिये की लागत में कमी आए। 20 से ज्यादा राज्यों ने अब तक एपीएमसी अधिनियम को संशोधित कर लिया है। इसके अतिरिक्त केंद्र सरकार ने तय किया है कि बाजार के बुनियादी ढांचे तैयार करने में वैसे राज्यों को मदद दी जाएगी जो बाजार शुल्क माफ कर देंगे और किसानों को उपभोक्ताओं, प्रसंस्करण इकाइयों, थोक खरीदार, कोल्ड स्टोरेज की सुविधा देने वालों के साथ सीधे विपणन की अनुमति देंगे। (BS Hindi)

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