आर.एस. राणा नई दिल्ली नई दिल्ली
टायर निर्माता कंपनियों के खिलाफ लगाए गए कार्टलाइजेशन के आरोपो पर भारतीय प्रतिस्पर्धा आयोग (सीसीआई) में मंगलवार को सुनवाई होनी है। ऑल इंडिया टायर डीलर फेडरेशन ने देश की पांच बड़ी टायर निर्माता कंपनियों पर गुटबंदी करके टायरों के दाम बढ़ाने का आरोप लगाया था। सूत्रों के अनुसार, मंगलवार को इस पर फैसला आने की संभावना है। इस मसले पर इससे पहले 12 जुलाई को सीसीआई के सामने सुनवाई हुई थी। टायर निर्माताओं के साथ ही इनसें जुड़ी संस्था ऑटोमेटिव टायर मैन्यूफैक्चर्स एसोसिएशन (एटीएमए) ने जरुरी दस्तावेज जमा कराने के लिए सीसीआई से एक महीने का समय मांगा था जिसे आयोग ने स्वीकार कर लिया था। सीसीआई ने टायर निर्माताओं को 12 अगस्त तक जरुरी दस्तावेज जमा कराने का समय दिया था तथा सुनवाई की अगली तारीख 23 अगस्त तय की थी। पांच बड़े टायर निर्माताओं अपोलो, जे के टायर, सीएट, एमआरएफ और बिरला टायर पर ऑल इंडिया टायर डीलर फैडरेशन ने कार्टलाइजेशन करके दाम बढ़ाने का आरोप लगाया था। उद्योग सूत्रों के अनुसार, बड़े टायर निर्माताओं का टायर बाजार पर एकाधिकार है। ऐसे में बड़े टायर निर्माता गठजोड़ करके कीमतों में बढ़ोतरी कर देते हैं। लेकिन उपभोक्ता इसके खिलाफ आवाज नहीं उठा पाते हैं। इसीलिए ऑल इंडिया टायर डीलर फैडरेशन ने 2006-07 में इसके खिलाफ आवाज उठाई थी। इसके बाद से लगातार जांच चल रही है। फरवरी 2010 के बाद से मामला सीसीआई के पास है। सीसीआई ने डायरेक्टर जरनल इनवेंस्टीगेशन (डीडीजी) से इसकी जांच करवाई थी। जांच करने के बाद डीडीजी ने 25 मई को बड़े टायर निर्माताओं के खिलाफ चार्जशीट दाखिल कर दी है। सूत्रों के अनुसार, पिछले पांच महीनों में घरेलू बाजार में नैचुरल रबर की कीमतों में 17.5 फीसदी की गिरावट आ चुकी है। कोट्टायम में सोमवार को नैचुरल रबर के दाम घटकर 191 से 198 रुपये प्रति किलो रह गए जबकि अप्रैल में भाव ऊपर में 238-240 रुपये प्रति किलो थे। उधर, अंतरराष्ट्रीय बाजार में भी इस दौरान नैचुरल रबर की कीमतों में 20 फीसदी से अधिक की गिरावट आ चुकी है। इसके उलट, टायर निर्माता कंपनियों ने टायर की कीमतों में इस दौरान बढ़ोतरी ही की है। (Business Bhaskar....R S Rana)
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