27 अगस्त 2011
धान प्रोसेसिंग को बढ़ावा देने के लिए नीति बनेगी
मॉडल - पंजाब व हरियाणा में उन्नत तकनीक से प्रोसेसिंग होती है धान कीक्या फायदा होगा:- प्रोसेसिंग की उच्च तकनीक अपनाने पर वेस्टेज कम होगी और खाद्यान्न की बर्बादी रुकेगी। किसान और प्रोसेसर्स को इसका लाभ मिलेगा। एफसीआई के नियमों के मुताबिक धान की मिलिंग हो सकेगी।किन राज्यों में प्रोत्साहन मिलेगाबिहार, उत्तर प्रदेश, पश्चिम बंगाल, झारखंड, उड़ीसा, असम और पूर्वोत्तर के राज्यों में नई नीति के तहत मिलों की स्थापना को बढ़ावा दिया जाएगापंजाब और हरियाणा की तर्ज पर पूर्वोत्तर व दूसरे क्षेत्रों के राज्यों में भी धान प्रोसेसिंग के लिए सरकार नई नीति बनाएगी और धान की प्रोसेसिंग के लिए मिलों की स्थापना को बढ़ावा देगी। इससे चावल की वेस्टेज में कमी आएगी।
नई नीति की रूपरेखा खाद्य प्रसंस्करण उद्योग मंत्रालय बनाएगा तथा नीति बनाने में कृषि मंत्रालय और खाद्य मंत्रालय सहयोग करेगा। इससे प्रस्तावित खाद्य सुरक्षा बिल के लिए अधिक खाद्यान्न की आवश्यकता को भी पूरा किया जा सकेगा। खाद्य मंत्रालय के एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि चालू महीने में कृषि मंत्री शरद पवार और खाद्य राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार) प्रो. के. वी. थॉमस की बैठक में धान प्रोसेसिंग के लिए नई नीति बनाने पर फैसला हुआ है।
नई नीति बनाने की जिम्मेदारी खाद्य प्रसंस्करण उद्योग मंत्रालय की होगी तथा कृषि एवं खाद्य मंत्रालय इसमें सहयोग करेंगे। अधिकारी ने बताया कि पंजाब और हरियाणा में धान की प्रोसेसिंग के लिए उच्च तकनीक का इस्तेमाल किया जाता है इसीलिए इन राज्यों में वेस्टेज काफी कम होती है। लेकिन बिहार, उत्तर प्रदेश, पश्चिम बंगाल, झारखंड, उड़ीसा, असम और पूर्वोत्तर के राज्यों में प्रोसेसिंग की उच्च तकनीक नहीं होने के कारण वेस्टेज की मात्रा ज्यादा आती है। इससे खाद्यान्न की बर्बादी तो होती ही है, साथ में किसान और प्रोसेसर्स को उचित भाव भी नहीं मिल पाता है।
भारतीय खाद्य निगम (एफसीआई) पंजाब और हरियाणा में चावल की प्रोसेसिंग एक क्विंटल धान से 76 किलो चावल के आधार पर करवाती है। उन्होंने बताया कि चावल उत्पादन में उत्तर प्रदेश, बिहार, पश्चिमी बंगाल, झारखंड, उड़ीसा और असम की महत्वपूर्ण भूमिका है। प्रोसेसिंग में नई तकनीक आने से इन राज्यों में उच्च क्वालिटी के चावल की उपलब्धता बढ़ेगी।
इससे केंद्रीय पूल में भी ज्यादा खाद्यान्न होगा जिससे प्रस्तावित खाद्य सुरक्षा बिल के लिए अधिक खाद्यान्न की आवश्यकता को भी पूरा किया जा सकेगा। केंद्रीय पूल में एक अगस्त को 252.71 लाख टन चावल का स्टॉक मौजूद है।
कृषि मंत्रालय के चौथे अग्रिम अनुमान के अनुसार वर्ष 2010-11 में देश में चावल का उत्पादन बढ़कर 953.2 लाख टन होने का अनुमान है। जबकि चालू खरीफ सीजन में धान की रोपाई 348.78 लाख हैक्टेयर में हो चुकी है जो पिछले साल की समान अवधि के मुकाबले 36.03 लाख हैक्टेयर ज्यादा है। (Business Bhaskar....R S Rana)
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