नई दिल्ली. इस साल जुलाई तक 540 टन से ज्यादा अनाज नष्ट हो चुका है। इसमें अकेले पश्चिम बंगाल में आधे से ज्यादा अनाज नहीं बचा। लोकसभा में लिखित जवाब में खाद्य एवं उपभोक्ता मामलों के राज्यमंत्री केवी थॉमस ने बताया कि एक जुलाई तक देश में 541.33 टन अनाज नष्ट हुआ। इसमें 359.07 टन चावल और 182.26 टन गेहूं शामिल है। पश्चिम बंगाल में सबसे ज्यादा 355 टन अनाज बर्बाद हुआ। शेष अनाज गुजरात (171 टन), उत्तरप्रदेश (11 टन) और आंध्र प्रदेश (4.33 टन) में नष्ट हुआ। उन्होंने बताया कि 2009-10 में 6,702 टन गेहूं और चावल नष्ट हुआ था, जबकि 2010-11 में यह आंकड़ा 6,346 टन रह गया। अनाज नष्ट होने का कारण संग्रहण की समस्या, परिवहन, तूफान, बाढ़, बारिश और कुछ मामलों में अधिकारियों की लापरवाही रही।चावल उत्पादन मामले में वैश्विक औसत से पिछड़े दुनिया में दूसरे नंबर के चावल उत्पादक भारत प्रति हेक्टेयर उत्पादन के मामले में वैश्विक औसत से काफी पीछे है। संसद में दी गई जानकारी के अनुसार 2008 में वैश्विक का औसत 4.21 टन/हेक्टेयर है, जबकि भारत में 2.17 टन/हेक्टेयर चावल उत्पादन हो रहा है। कृषि राज्यमंत्री हरीश रावत ने बताया कि इसके लिए मिट्टी की स्थिति, सिंचाई की पर्याप्त सुविधा न होना, हाइब्रिड चावल व उन्नत किस्मों का विस्तार नहीं होना एवं गैर-विवेकपूर्ण उर्वरकों का इस्तेमाल है। (Dainik Bhaskar)
10 अगस्त 2011
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