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30 अक्टूबर 2025

जीएम सोया खली के आयात की अनुमति से उद्योग के साथ किसानों को होगा नुकसान - सोपा

नई दिल्ली। उद्योग ने केंद्र सरकार से आनुवंशिक रूप से संशोधित (जीएम) सोया खली के आयात की अनुमति नहीं देने की मांग की है, क्योंकि देश में सोया खली की उपलब्धता पर्याप्त मात्रा में है। ऐसे में इसके आयात की अनुमति दी जाती है तो किसानों के साथ ही प्रसंस्करण इकाइयों को भी इसका खामियाजा भुगतना पड़ेगा।


सूत्रों के अनुसार भारत और अमेरिका के बीच एक लंबे समय से लंबित व्यापार समझौता लगभग अंतिम चरण में है, जिसके तहत अमेरिका भारतीय आयात पर लगने वाले शुल्क को 50 फीसदी से घटाकर 15 से 16 फीसदी तक कर सकता है। अमेरिका से चल ही इस वार्ता में भारत अमेरिका से मक्का और सोया खली के आयात को बढ़ाने पर विचार कर सकता है।

सोयाबीन एसोसिएशन आफ इंडिया, सोपा ने वाणिज्य सचिव राजेश अग्रवाल को एक ज्ञापन देकर सरकार से अनुरोध किया है कि वह आनुवंशिक रूप से संशोधित (जीएम) सोया खली के आयात की अनुमति नहीं दे और जीएम सोया खली को द्विपक्षीय व्यापार समझौते (बीटीए) आयात अनुमतियों के अंतर्गत शामिल नहीं करे।

सोपा के अनुसार देश में घरेलू मांग को पूरा करने के लिए सोया खली का स्टॉक मांग से अधिक है। फसल सीजन 2025-26 (25 अक्टूबर से 26 सितंबर) के दौरान 77.90 लाख टन सोया खली के घरेलू उत्पादन का अनुमान है जबकि 1.08 लाख टन बकाया स्टॉक को मिलाकर कुल उपलब्धता 78.98 लाख टन की बैठेगी। इसकी घरेलू खपत फीड में 62 लाख टन और डायरेक्ट खपत फूड में 8 लाख टन तथा निर्यात भी 8 लाख टन को मिलाकर कुल खपत 78 लाख टन की होगी।  

यह सोपा का अनुमान है तथा सरकार का अनुमान उससे कहीं ज़्यादा होगा। इस समय जीएम सोया खली के आयात की अनुमति देने से भारत के कृषि क्षेत्र पर विनाशकारी परिणाम होंगे। विशेष रूप से देश के सोयाबीन किसानों को भारी नुकसान होगा, जो पहले से ही न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) नीचे दाम पर सोयाबीन बेचने को मजबूर हैं।

केंद्र सरकार ने अगर इसके आयात की अनुमति दी तो फिर घरेलू बाजार में सोयाबीन की कीमतों में और गिरावट आयेगी। इसका असर घरेलू सोयाबीन प्रसंस्करण उद्योग पर भी पड़ेगा, जिससे हजारों लोगों की आजीविका पर खतरा मंडराएगा।

विश्व बाजार में भारत ने उच्च-गुणवत्ता वाले गैर जीएमओ सोयाबीन के उत्पादों के आपूर्तिकर्ता के रूप में एक खास प्रतिष्ठा प्राप्त की है। अत: जीएम आयात की अनुमति देने से घरेलू बाजार से गैर जीएमओ सोया खली के निर्यात को भी नुकसान पहुंच सकता है।

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