नई दिल्ली। उत्तरी महाराष्ट्र के कई क्षेत्रों में हाल ही में हुई भारी बारिश एवं जलभराव से कपास की नई फसल की पिकिंग में देरी से क्षेत्र की जिनिंग मिलों को मुश्किल का सामना करना पड़ रहा है। अधिकांश जिनर्स ने अगले पंद्रह से 20 दिनों के लिए संचालन बंद कर दिया है।
जानकारों के अनुसार महाराष्ट्र में आमतौर पर अक्टूबर के पहले सप्ताह में नई कपास की पहली पिकिंग आरंभ हो जाती है, तथा जिनिंग मिलें पहले से दूसरे सप्ताह तक ओटाई का कार्य शुरू कर देती है। इस बार उत्तरी महाराष्ट्र में हाल ही में हुई भारी बारिश से जहां नई फसल की आवकों में देरी की आशंका है, वहीं नई फसल की क्वालिटी के साथ ही जलभराव वाले क्षेत्रों में उत्पादकता में भी कमी आने की आने की आशंका है।
इस समय महाराष्ट्र में कपास की आवक करीब 5,000 गांठ, एक गांठ 170 किलो की हो रही है, तथा हाल ही में मौसम साफ हुआ है। ऐसे में व्यापारियों को उम्मीद है कि दीपावली के बाद ही नई कपास की आवकों में बढ़ोतरी होगी। अत: जिनिंग मिलें दीपावली के बाद ही ओटाई का कार्य आरंभ कर पायेंगी। क्षेत्र में स्थित करीब 150 जिनिंग मिलें अक्टूबर मध्य के बाद या फिर फिर नवंबर के पहले सप्ताह में 100 फीसदी चल पायेंगी।
खानदेश जिनिंग एंड प्रेसिंग फैक्ट्री ओनर्स एसोसिएशन (केजीपीएफओए) के एक बयान के अनुसार इस साल जिनिंग मिलों द्वारा कच्चे कपास का प्रसंस्करण करके 10 लाख गांठ उत्पादन की उम्मीद है, जबकि पिछले सीजन में यह 13 लाख गांठ थी। आमतौर पर, जिनिंग मिलें पहली अक्टूबर से अपना कार्य आरंभ कर देती हैं, लेकिन उत्तरी महाराष्ट्र की अधिकांश जिनिंग मिल 25-40 फीसदी से ज्यादा नमी वाले कपास की कम आवक के कारण अभी तक काम शुरू नहीं कर पाए हैं।
हाल ही में हुई भारी बारिश के कारण पहली पिकिंग में देरी हुई है, जबकि ओटाई के लिए कच्चे कपास में नमी का स्तर 8 फीसदी से कम होना चाहिए। माना जा रहा है कि मौसम अनुकूल रहा तो दिवाली के बाद नई कपास की आवक शुरू हो जायेगी। इस समय नमी युक्त कपास के दाम 6,000 से 6,310 प्रति क्विंटल है, जोकि समर्थन मूल्य से काफी नीचे हैं।
केंद्र सरकार ने फसल सीजन 2025-26 के लिए कपास का न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) मध्यम रेशे वाली कपास का 7,710 रुपये और लंबे रेशे वाली कपास का 8,110 रुपये प्रति क्विंटल तय किया है, जो पिछले वर्ष की तुलना में ज्यादा है।
सूत्रों के अनुसार पिछले खरीफ सीजन में उत्तरी महाराष्ट्र के चार जिलों जलगांव, धुले और नंदुरबार के साथ ही नासिक में कपास की बुआई 8.86 लाख हेक्टेयर में हुई थी, जो कि चालू खरीफ सीजन में घटकर 7.54 लाख हेक्टेयर रह गई।

कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें