कुल पेज दृश्य

06 अक्टूबर 2025

केंद्र ने डिऑयल्ड राइस ब्रान के निर्यात पर लगी रोक हटाई, प्रसंस्करणकर्ताओं को मिलेगी राहत

नई दिल्ली। केंद्र सरकार ने शुक्रवार को मवेशियों के चारे में इस्तेमाल होने वाले डी ऑयल्ड राइस ब्रान (चोकर) के निर्यात पर लगी रोक तुरंत प्रभाव से हटा दिया है। सरकार ने यह घोषणा विदेश व्यापार महानिदेशालय (डीजीएफटी) की एक अधिसूचना के माध्यम से की, जिसमें डीओआरबी की निर्यात नीति को प्रतिबंधित से मुक्त श्रेणी में संशोधित किया गया।


डी-ऑयल्ड राइस ब्रान चावल की भूसी से तेल निकालने के बाद बचा हुआ ठोस हिस्सा होता है। इसमें प्रोटीन, फाइबर और खनिज भरपूर मात्रा में होते हैं जिस कारण इसे मवेशियों, मुर्गियों और मछलियों के चारे के रूप में इस्तेमाल किया जाता है, क्योंकि यह प्रोटीन का सस्ता और अच्छा स्रोत है। इसकी विदेशों में बहुत मांग है।

सॉल्वेंट एक्सट्रैक्टर्स एसोसिएशन ऑफ इंडिया (एसईए) के अनुसार डी ऑयल्ड राइस ब्रान का निर्यात, जिस पर पहले जुलाई 2023 में और फिर 30 सितंबर, 2025 तक प्रतिबंध लगाया गया था, अब बिना किसी प्रतिबंध के स्वतंत्र रूप से निर्यात की अनुमति होगी।

एसईए ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और संबंधित मंत्रालयों भारत के माननीय वाणिज्य एवं उद्योग मंत्री पीयूष गोयल, उपभोक्ता मामले, खाद्य एवं सार्वजनिक वितरण मंत्री प्रहलाद जोशी, कृषि मंत्री शिवराज सिंह चौहान और भारत के मत्स्य पालन, पशुपालन एवं डेयरी मंत्री ललन सिंह को उनके प्रगतिशील और दूरदर्शी निर्णय के लिए हार्दिक बधाई दी। एसईए उद्योग की इस लंबे समय से लंबित मांग को पूरा करने में सरकार के सक्रिय हस्तक्षेप की ईमानदारी से सराहना करता है।

गौरतलब है कि प्रतिबंध से पहले, भारत सालाना 5 से 6 लाख टन डी ऑयल्ड राइस ब्रान का निर्यात करता था, जिसका मूल्य प्रति वर्ष लगभग 1,000 करोड़ रुपये था। इसका निर्याति मुख्य रूप से वियतनाम, थाईलैंड और अन्य एशियाई देशों को किया जाता था। भारत अंतरराष्ट्रीय बाजार में एक विश्वसनीय आपूर्तिकर्ता के रूप में स्थापित था। एसईए के कार्यकारी निदेशक डॉ. बीवी मेहता कहते हैं कि एक बार फिर, इससे भारत के कृषि-प्रसंस्करण निर्यात को बढ़ावा मिलेगा और वैश्विक चारा बाजारों में एक विश्वसनीय आपूर्तिकर्ता के रूप में देश की प्रतिष्ठा मजबूत होगी।

केंद्र सरकार के इस कदम से चावल मिलिंग और सॉल्वेंट एक्सट्रैक्शन उद्योग को, विशेष रूप से पूर्वी भारत में, निर्यात के अवसर खुलने से लाभ होने की उम्मीद है, साथ ही किसानों और प्रसंस्करणकर्ताओं को डी ऑयल्ड राइस ब्रान के उप-उत्पादों की बेहतर कीमत प्राप्त करने में भी मदद मिलेगी। इससे डी ऑयल्ड राइस ब्रान के प्रसंस्करण को भी बढ़ावा मिलेगा। इस बहुप्रतीक्षित कदम से उद्योग, किसानों और देश के कृषि-व्यापार जगत को व्यापक लाभ होगा।

डॉ. मेहता ने कहा कि हम पूरी कोशिश करेंगे और अपने 1,000 करोड़ रुपये के वार्षिक कारोबार को फिर से हासिल करेंगे।

कोई टिप्पणी नहीं: