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30 अक्टूबर 2025

सीसीआई द्वारा कॉटन की बिक्री कीमतों में कटौती के बावजूद हाजिर बाजार में भाव तेज

नई दिल्ली। सीसीआई द्वारा कॉटन की कीमतों में कटौती के बावजूद हाजिर बाजार में सोमवार को सत्र में सत्र में इसके भाव तेज हुए। कई उत्पादक राज्यों में मौसम खराब होने से आवक प्रभावित होने का डर है, जिससे भाव में सुधार देखा गया।


कॉटन कारपोरेशन ऑफ इंडिया (सीसीआई) ने सोमवार को कॉटन की बिक्री कीमतों में 500–700 प्रति कैंडी की कटौती की। यह निर्णय मौजूदा बाजार परिस्थितियों और मिलों की सीमित खरीदारी को देखते हुए लिया गया। फसल सीजन 2024–25 के स्टॉक की बिक्री के भाव में निगम ने कटौती की, जोकि अकोला, औरंगाबाद, वारणगल, हब्ले, महबूबनगर और रायगढ़ जैसे प्रमुख केंद्रों पर आयोजित की गई।

हालांकि स्पिनिंग मिलों की मांग बढ़ने से शाम के सत्र में गुजरात के साथ ही उत्तर भारत के राज्यों में सोमवार को कॉटन की कीमतों में सुधार आया।

गुजरात के अहमदाबाद में 29 शंकर-6 किस्म की कॉटन के भाव सोमवार को 150 रुपये बढ़कर 52,500 से 52,700 रुपये प्रति कैंडी, एक कैंडी-356 किलो हो गए।

पंजाब में रुई हाजिर डिलीवरी के भाव बढ़कर 5,180 से 5,260 रुपये प्रति मन बोले गए।हरियाणा में रुई के भाव हाजिर डिलीवरी के भाव तेज होकर 5,100 से 5,120 रुपये प्रति मन बोले गए। ऊपरी राजस्थान में रुई के भाव हाजिर डिलीवरी के दाम बढ़कर 5,200 से 5,270 रुपये प्रति मन बोले गए। लोअर राजस्थान में रुई के भाव हाजिर डिलीवरी के दाम 48,200 से 49,200 रुपये कैंडी बोले गए।

देशभर की मंडियों में कपास की आवक 46,000 गांठ, एक गांठ-170 किलो की हुई।

घरेलू वायदा कारोबार में कॉटन की कीमत में तेजी दर्ज की गई। एनसीडीईएक्स पर अप्रैल 26 महीने के वायदा अनुबंध में कपास के दाम 6 रुपये तेज होकर 1,562 रुपये प्रति 20 किलो हो गए। आईसीई के इलेक्ट्रॉनिक ट्रेडिंग में कॉटन की कीमतों में तेजी का रुख रहा।

सीसीआई ने कॉटन की बिक्री कीमतों में 500–700 प्रति कैंडी, एक कैंडी 356 किलो की कटौती की।

केंद्र सरकार ने कॉटन के आयात पर शून्य शुल्क की समय सीमा को 30 सितंबर 2025 से बढ़ाकर 31 दिसंबर 2025 किया हुआ है।

व्यापारियों के अनुसार गुजरात एवं उत्तर भारत के कॉटन के उत्पादक राज्यों में मौसम खराब हुआ है, जिस कारण कॉटन की कीमतों में सुधार आया है। आगामी दिनों में उत्पादक राज्यों में मौसम कैसा रहा है, इस पर कॉटन की कीमतों में तेजी, मंदी निर्भर करेगी।

विश्व बाजार में कॉटन के दाम नीचे होने के कारण आयातित कॉटन सस्ती है, तथा केंद्र सरकार ने दिसंबर तक शून्य शुल्क पर कॉटन के आयात की अनुमति दी हुई है। पिछले सीजन सितंबर के अंत में घरेलू बाजार में कॉटन का बकाया स्टॉक इसके पिछले साल की तुलना में ज्यादा बचा हुआ था। वैसे भी कपास की बुआई में कमी आने के बावजूद उद्योग का अनुमान है कि चालू सीजन उत्पादन बढ़ेगा।

कृषि मंत्रालय के अनुसार 3 अक्टूबर तक चालू खरीफ सीजन देशभर में कपास की बुआई कम होकर 110.03 लाख हेक्टेयर में ही हो पाई है, जबकि पिछले साल इस समय तक 112.97 लाख हेक्टेयर में बुआई हो चुकी थी।

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