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18 अक्टूबर 2025

चालू तेल वर्ष के पहले 11 महीनों में खाद्य एवं अखाद्य तेलों का आयात 3 फीसदी कम - एसईए

नई दिल्ली। चालू तेल वर्ष के पहले 11 महीनों नवंबर-24 से सितंबर-25 के दौरान देश में खाद्य एवं अखाद्य तेलों का आयात 3 फीसदी कम होकर 14,330,723 टन का ही हुआ है, जबकि पिछले तेल वर्ष की समान अवधि में इनका आयात 14,775,000 टन का हुआ था।


सॉल्वेंट एक्सट्रैक्टर्स एसोसिएशन ऑफ इंडिया (एसईए) के अनुसार चालू तेल वर्ष 2024-25 के सितंबर 2025 में खाद्य एवं अखाद्य तेलों का आयात 51 फीसदी बढ़कर 1,639,743 टन का हुआ है, जबकि पिछले साल सितंबर में इनका आयात 1,087,489 टन का हुआ था। इस दौरान खाद्य तेलों का आयात 1,604,643 टन का एवं अखाद्य तेलों का आयात 35,100 टन का हुआ है।

इसके अलावा नेपाल से साफ्टा समझौते के तहत देश में मुख्य रूप से रिफाइंड सोया तेल और सूरजमुखी तेल तथा थोड़ी मात्रा में आरबीडी पामोलिन और रेपसीड तेल का आयात शून्य शुल्क पर हुआ है। नवंबर 2024 से अगस्त 2025 (10 महीने) के दौरान नेपाल से कुल आयात 6.46 लाख टन का हुआ।

अत: नवंबर 2024 से सितंबर 2025 के दौरान देश में कुल खाद्य तेलों का आयात 139.8 लाख टन + नेपाल से 6.46 लाख टन को मिलाकर कुल 146.26 लाख टन का हुआ है।

एसईए के अनुसार सीपीओ और आरबीडी पामोलिन के बीच आयात शुल्क अंतर को 31 मई, 2025 से 8.25 फीसदी से बढ़ाकर 19.25 फीसदी करने के बाद, रिफाइंड तेल का आयात धीरे-धीरे कम हो गया और वास्तव में सितंबर '25 में शून्य आयात (अप्रैल 21 के बाद) की सूचना मिली है जबकि सितंबर 24 में 84,279 टन का आयात हुआ था। शुल्क अंतर बढ़ाने का सरकार का फैसला एक साहसिक और समय पर लिया गया कदम है। इसने रिफाइंड पामोलिन के आयात को हतोत्साहित करना शुरू कर दिया और मांग को वापस क्रूड तेल की ओर मोड़ दिया है, जिससे घरेलू रिफाइनिंग क्षेत्र को पुनर्जीवित किया गया। यह कदम प्रधानमंत्री के "मेक इन इंडिया" के दृष्टिकोण के अनुरूप है, जो घरेलू विनिर्माण को बढ़ावा देने के साथ ही रोजगार के अवसर पैदा करता है।

चालू खरीफ सीजन में देश देश में मानसूनी बारिश सामान्य से अधिक हुई है। 3 अक्टूबर 2025 तक कुल खरीफ तिलहन की फसलों का रकबा 190.13 लाख हेक्टेयर था, जो पिछले वर्ष के 200.75 लाख हेक्टेयर की तुलना में 10.62 लाख हेक्टेयर कम है। चालू खरीफ में मूंगफली की बुआई 48.36 लाख हेक्टेयर में (पिछले वर्ष 49.96 लाख हेक्टेयर की तुलना में), सोयाबीन की 120.45 लाख हेक्टेयर में (129.55 लाख हेक्टेयर की तुलना में) और कपास की 110.03 लाख हेक्टेयर में (112.97 लाख हेक्टेयर की तुलना में) कम है। सोयाबीन और कपास के रकबे में कमी मुख्यतः मक्का की ओर किसानों का रुख रहा, जो पिछले साल के 84.30 लाख हेक्टेयर से बढ़कर 94.95 लाख हेक्टेयर हो गया। इस बीच सोपा ने 2025 तक सोयाबीन खरीफ का उत्पादन 105 लाख टन होने का अनुमान लगाया है, जबकि पिछले साल इसका उत्पादन 125.81 लाख टन हुआ था। इसके अलावा, एसईए ने गुजरात में मूंगफली फसल सर्वेक्षण के अनुसार, खरीफ सीजन 2025-26 में मूंगफली का उत्पादन 46.07 लाख टन होने का अनुमान है, जबकि पिछले साल 2024-25 के 42.19 लाख टन से ज्यादा है।

नवंबर 2024 से सितंबर 2025 के दौरान 995,711 टन रिफाइंड तेल (आरबीडी पामोलीन) का आयात किया गया, जबकि नवंबर 2023 से सितंबर 2024 के दौरान 1,695,080 टन रिफाइंड तेल (आरबीडी पामोलीन) का आयात किया गया था। नवंबर 2023 से सितंबर 2024 के दौरान 12,840,875 टन रिफाइंड तेल (आरबीडी पामोलीन) के आयात की तुलना में इस दौरान 12,987,089 टन क्रूड तेल का आयात किया गया। आरबीडी पामोलीन के कम आयात के कारण रिफाइंड तेल का अनुपात 12 फीसदी से घटकर 7 फीसदी रह गया, जबकि सोया तेल के आयात में वृद्धि के कारण क्रूड तेल का अनुपात 88 फीसदी से बढ़कर 93 फीसदी हो गया।

अगस्त के मुकाबले सितंबर में आरबीडी पामोलीन और क्रूड पाम तेल के दाम भारतीय बंदरगाह पर तेज हुए हैं। सितंबर में आरबीडी पामोलिन का भाव भारतीय बंदरगाह पर बढ़कर 1,119 डॉलर प्रति टन हो गया, जबकि अगस्त में इसका भाव 1,105 डॉलर प्रति था। इसी तरह से क्रूड पाम तेल का भाव भारतीय बंदरगाह पर सितंबर में बढ़कर 1,164 डॉलर प्रति टन हो गया, जबकि अगस्त में इसका भाव 1,151 डॉलर प्रति टन था। हालांकि क्रूड सोया तेल का भाव अगस्त में भारतीय बंदरगाह पर 1,195 डॉलर प्रति टन था, जोकि सितंबर में घटकर 1,182 डॉलर प्रति टन रह गया।

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