नई दिल्ली। नए जीएसटी सुधार एवं कम मुद्रास्फीति से घरेलू उपभोक्ताओं को राहत मिली है जिससे परिवार शिक्षा और स्वास्थ्य सेवा में अधिक निवेश कर सकते हैं इससे जीवन-यापन की लागत कम हो रही है।
केंद्रीय खाद्य एवं सार्वजनिक वितरण मंत्रालय के उपभोक्ता मामले विभाग की सचिव, निधि खरे ने कहा कि 2047 तक देश को विकसित भारत बनाने पर ध्यान केंद्रित करना बहुत ज़रूरी है, और यह इस बात का भी प्रमाण है कि दीर्घकालिक सुधारों की संभावनाएँ तब तक खुली है जब तक हम अपने देश को हर तरह से पूर्ण विकसित नहीं कह सकते।
फिक्की इंडस्ट्री 4.0 एक्सीलेंस अवार्ड्स समारोह और कॉन्क्लेव के तीसरे संस्करण में प्रौद्योगिकी के उपयोग पर बोलते हुए निधि खरे ने कहा कि सरकार नागरिकों के जीवन को आसान बनाने के लिए प्रत्यक्ष लाभ हस्तांतरण योजना, यूपीआई और जीएसटी 2.0 सहित प्रौद्योगिकी को पहले ही अपना चुकी है। उन्होंने आगे कहा कि प्रौद्योगिकी के उपयोग के बिना यह संभव नहीं होता, और हम प्रौद्योगिकी के उपयोग के अगले चरण की ओर देख रहे हैं।
उन्होंने कहा कि ग्राहकों का विश्वास जीतने के लिए उद्योग को गुणवत्ता पर ध्यान केंद्रित करना आवश्यक है और उन्होंने भारतीय परिस्थितियों पर आधारित मानकों की वकालत की। उन्होंने उद्योग से भारतीय मानक ब्यूरो (बीआईएस) की तकनीकी समितियों के साथ मिलकर काम करने का भी आग्रह किया, जो मानकों को तैयार करने और समीक्षा करने में अग्रणी हैं। उन्होंने आगे कहा कि सरकार ने देश में स्मार्ट मानक पहले ही शुरू कर दिए हैं। हम अभी भी इन मानकों के बाह्यीकरण पर काम कर रहे हैं ताकि मशीनें इन्हें पढ़ सकें और उद्योग का समय बच सके। उन्होंने एमएसएमई से भी इन मानकों को अपनाने पर विचार करने का आग्रह किया।
उन्होंने कहा कि उद्योग जगत के लिए उत्पादों की गुणवत्ता और मानकों का पालन करना जरूरी है। सरकार विभिन्न सामुदायिक परीक्षण प्रयोगशालाए खोलकर इसमें सहयोग कर सकती है। उन्होंने कहा कि हमें विश्व आपूर्ति श्रृंखला का हिस्सा बनने के लिए गुणवत्ता के प्रति जागरूक होने के साथ-साथ प्रतिस्पर्धी भी होना होगा, और उद्योग 4.0 इसमें महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है।
फिक्की प्रौद्योगिकी समिति के सह-अध्यक्ष और सीमेंस लिमिटेड भारत में डिजिटल उद्योग प्रमुख, सुप्रकाश चौधरी ने कहा कि प्रौद्योगिकी को अपनाने को खर्च के रूप में नहीं देखा जाना चाहिए, बल्कि यह संगठनों की दीर्घकालिक प्रतिस्पर्धात्मकता और लचीलेपन में एक निवेश है। उन्होंने कहा कि भारत की उद्योग 4.0 की कहानी तभी पूरी होगी जब हमारे एमएसएमई की बड़ी आबादी इसका हिस्सा बनेगी।
इंटेल के भारत अध्यक्ष और क्लाइंट कंप्यूटिंग समूह के उपाध्यक्ष, गोकुल वी सुब्रमण्यम ने कहा कि हमें उन क्षेत्रों में तेजी से आगे बढ़ने की ज़रूरत है जहाँ अभी तक हमारी तकनीकी पहुँच गहरी नहीं है, उदाहरण के लिए, कृषि, सार्वजनिक सेवाएँ। उन्होंने कहा कि तकनीक और एआई को देश के ग्रामीण और दूरदराज के इलाकों तक पहुंचाना जरूरी है ताकि यह सभी के लिए किफायती और सुलभ हो सके।
फिक्की की महानिदेशक ज्योति विज ने कहा कि उद्योग 4.0 अब केवल दक्षता के बारे में नहीं है, बल्कि यह एक परस्पर जुड़ी दुनिया में लचीलेपन, नवाचार और प्रतिस्पर्धात्मकता के बारे में है। उन्होंने आगे कहा कि इन तकनीकों में अरबों डॉलर का निवेश किया जा रहा है क्योंकि ये विनिर्माण और व्यवसायों के भविष्य को आकार दे रही हैं।"
एनएबीसीबी के पूर्व अध्यक्ष और जुबिलेंट लाइफ साइंस लिमिटेड के पूर्व कार्यकारी निदेशक श्याम बंग ने कहा कि उद्योग 4.0 में डिजिटलीकरण और आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस गुणवत्ता बनाए रखकर, दक्षता में सुधार करके और विश्वसनीयता बढ़ाकर उद्योगों को मजबूत करेगा।
भारत सरकार के संचार मंत्रालय के दूरसंचार विभाग के उप महानिदेशक अनिल कुमार भारद्वाज ने कहा कि अगर उद्योग तकनीक में नवाचार लाना चाहते हैं तो सरकार उन्हें वित्त पोषित करने को तैयार है। उन्होंने आगे कहा कि जो लोग तकनीक में निवेश करना चाहते हैं, उनके लिए धन उपलब्ध है। यह धन अनुदान के रूप में प्रदान किया जाता है।

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