नई दिल्ली। गेहूं की कीमतों में शुक्रवार को दिल्ली में 50 रुपये प्रति क्विंटल की भारी गिरावट दर्ज की गई, जबकि अन्य बाजारों में भी 10 से 35 रुपये प्रति क्विंटल का मंदा आया है। गेहूं के फ्री आवंटन की स्कीम को आगे बढ़ाये जाने के साथ ही खुले बाजार बिक्री योजना, ओएमएसएस के तहत गेहूं की कीमतों में कटौती की अटकलें बाजार में गेहूं के दाम पर दबाव बनाए हुए हैं।
27 नवंबर 2020
दिसंबर के लिए 21.5 लाख टन चीनी का कोटा जारी
नई दिल्ली। केंद्र सरकार ने दिसंबर महीने के लिए 21.5 लाख टन चीनी का कोटा जारी किया है। सरकार ने अक्टूबर में 22 लाख और नवंबर में 23 लाख टन चीनी कोटा जारी किया था। पिछले साल दिसंबर के लिए 21.5 लाख टन का ही कोटा तय किया गया था।
बाजार के जानकारों का अनुमान था कि सरकार 22-23 लाख टन का कोटा जारी करेगी। अत: अनुमान से कम कोटा आने पर भाव में सुधार बन सकता है, हालांकि बड़ी तेजी की उम्मीद नहीं है, क्योंकि हाजिर में ग्राहकी कमजोर है। तथा जिस तरह से कोरोना को लेकर लॉकडाउन हो रहा है, उससे मांग कमजोर ही रहने का अनुमान है।
चालू रबी में गेहूं के साथ ही दलहन एवं तिलहन की बुआई आगे, मोटे अनाजों की पिछड़ी
नई दिल्ली। चालू रबी सीजन की प्रमुख फसल गेहूं के साथ ही दलहन एवं तिलहन की बुआई आगे चल रही है जबकि मोटे अनाजों की बुआई शुरूआती चरण में पिछड़ रही है। रबी फसलों की कुल बुआई 4.02 फीसदी बढ़कर 348.24 लाख हेक्टेयर में हो चुकी है जबकि पिछले साल इस समय तक केवल 334.78 लाख हेक्टेयर में ही बुआई हो पाई थी।
कृषि मंत्रालय के अनुसार रबी की प्रमुख फसल गेहूं की बुआई चालू रबी में बढ़कर 151.58 लाख हेक्टेयर में हो चुकी है जोकि पिछले साल की समान अवधि के 150.49 लाख हेक्टेयर से आगे है। इसी तरह से दालों की बुआई बढ़कर चालू रबी में 99.45 लाख हेक्टेयर में हो चुकी है जबकि पिछले साल इस समय तक केवल 87.80 लाख हेक्टेयर में ही दालों की बुआई हुई थी। रबी दलहन की प्रमुख फसल चना की बुआई 69.36 लाख हेक्टेयर में हो चुकी है जबकि पिछले साल इस समय तक केवल 60.76 लाख हेक्टेयर में ही हुई थी। अन्य दालों में मसूर की बुआई 11.47 लाख हेक्टेयर में, मटर की 7.70 लाख हेक्टेयर में और उड़द की 2.60 लाख हेक्टेयर में हो चुकी है जबकि पिछले रबी सीजन की समान अवधि में इनकी बुआई क्रमश: 10.31 लाख हेक्टेयर में, 6.30 लाख हेक्टेयर और 2.61 लाख हेक्टेयर में ही हुई थी।
सरसों की बुआई आगे, मूंगफली और अलसी की कम
तिलहनी फसलों की बुआई चालू रबी में बढ़कर 61.64 लाख हेक्टेयर में हो चुकी है जबकि पिछले साल इस समय तक इनकी बुआई केवल 58.73 लाख हेक्टेयर में ही हो पाई थी। रबी तिलहन की प्रमुख फसल सरसों की बुआई बढ़कर चालू रबी में 57.44 लाख हेक्टेयर में हो चुकी है जबकि पिछले साल इस समय तक इसकी बुआई केवल 53.88 लाख हेक्टेयर में ही हुई थी। मूंगफली की बुआई 1.68 लाख हेक्टेयर में और अलसी की 1.47 लाख हेक्टेयर में हो चुकी है जबकि पिछले साल इस समय तक क्रमश: 1.87 और 1.75 लाख हेक्टेयर में बुआई हुई थी।
ज्वार के साथ ही मक्का और जौ की बुआई पिछड़ी
मोटे अनाजों की बुआई चालू रबी सीजन में घटकर 27.39 लाख हेक्टेयर में ही हो पाई है जबकि पिछले साल इस समय तक 28.91 लाख हेक्टेयर में ही चुकी थी। मोटे अनाजों में ज्वार की बुआई 18.19 लाख हेक्टयेर में ही हुई है जोकि पिछले साल की समान अवधि के 18.69 लाख हेक्टेयर से कम है। मक्का की बुआई 4.76 लाख हेक्टेयर में और जौ की बुआई चालू रबी में 4.06 लाख हेक्टेयर में हो चुकी है जबकि पिछले साल इस समय तक इनकी बुआई क्रमश: 5.62 और 4.23 लाख हेक्टेयर में ही हुई थी। धान की रोपाई चालू रबी में पिछले साल के 8.84 लाख हेक्टेयर की तुलना में अभी तक केवल 8.18 लाख हेक्टेयर में ही हो पाई है।
सीसीआई ने बिनौला के बिक्री भाव तो बढ़ाये लेकिन हाजिर में कमजोर मांग से मंदा
नई दिल्ली। कॉटन कारर्पोरेशन आफ इंडिया, सीसीआई ने शुक्रवार उत्तर भारत के राज्यों में बिनौला के बिक्री भाव 25 से 50 रुपये प्रति क्विंटल तेज किए, लेकिन हाजिर में ग्राहकी कमजोर होने से बिनौला में 25 से 50 रुपये प्रति क्विंटल की गिरावट दर्ज की गई जबकि कपास खली के दाम स्थिर हो गए। व्यापारियों के अनुसार बिनौला के साथ ही कपास खली की मौजूदा कीमतों में हल्की नरमी तो आ सकती है लेकिन ज्यादा मंदा आने की उम्मीद नहीं है। चालू सीजन में कपास का उत्पादन अनुमान कम है जिस कारण बिनौला की उपलब्धता भी कम रहेगी, इसलिए आगे भाव में तेजी की ही संभावना है।
सूत्रों के अनुसार सीसआई ने शुक्रवार को हरियाणा के सिरसा में 2,670 से 2,810 रुपये प्रति क्विंटल के भाव पर 2,96,500 टन बिनौला की बिक्री की, जबकि बठिंडा में 2,820 से 2,850 रुपये के दाम पर 1,04,430 टन बिनौला बेचा। श्रीगंगानगर में 2,850 से 2,900 रुपये की दर पर 2,10,400 टन और भीलवाड़ा में 2,600 से 2,700 रुपये प्रति क्विंटल के भाव पर 48,100 टन बिनौला की बिक्री की।
हरियाणा के आदमपुर में शुक्रवार को बिनौला के एक्स फैक्ट्री भाव 50 रुपये घटकर 2775-2850 रुपये प्रति क्विंटल रह गए, जबकि इस दौरान कपास खली के दाम 2300-2350 रुपये प्रति क्विंटल पर स्थिर बने रहे। सिरसा में बिनौला के भाव शुक्रवार को घटकर 2,850 रुपये प्रति क्विंटल रह गए, जबकि गुरूवार को भाव 2,800 से 2,900 रुपये थे। इसी तरह से ऐलनाबाद में शुक्रवार को बिनौला के दाम 2,850 रुपये प्रति क्विंटल बोले गए, जबकि गुरूवार को भाव 2,875 रुपये प्रति क्विंटल थे। कलवानी में बिनौला के दाम 2,850 रुपये प्रति क्विंटल पर स्थिर रहे। सिरसा में कपास खली के दाम 2,300 से 2,320 रुपये और कैथल में 2,550 से 2,750 रुपये प्रति क्विंटल पर टिके रहे। गोलूवाला में कपास खली के भाव गुरूवार को 2,300 रुपये और जैतसर में 2,300 से 2,325 रुपये प्रति क्विंटल बोले गए।
राजस्थान के खैरथल में शुक्रवार को बिनौला के भाव 50 रुपये घटकर 2600 रुपये प्रति क्विंटल रह गए। व्यापारियों के अनुसार बिनौला में प्लांटों की मांग अच्छी है, जबकि तेल के दाम ऊंचे भाव बने हुए हैं। इसलिए आगे बिनौला में मांग और बढ़ेगी, इसलिए मौजूदा कीमतों में आगे तेजी ही आने का अनुमान है।
25 नवंबर 2020
खराब मौसम से गुड़ का उत्पादन प्रभावित होने की आशंका, भाव स्थिर
नई दिल्ली। सर्दी बढ़ने से गुड़ में खपत राज्यों की मांग में तो सुधार आया है लेकिन आवक भी बढ़ी है, जिससे बुधवार को उत्पादक मंडियों के साथ ही दिल्ली में दाम स्थिर बने रहे। उत्तर भारत के राज्यों में मौसम खराब बना हुआ है, तथा अगले एक दो दिनों में कहीं कहीं हल्की बारिश होने का अनुमान है, अगर बारिश हुई तो फिर नए गुड़ का उत्पादन प्रभावित होगा, जिससे भाव में सुधार बन सकता है।
मुजफ्फरनगर मंडी में बुधवार को गुड़ चाकू के भाव 1,070 से 1,130 रुपये प्रति मन (एक मन-40 किलो) पर स्थिर बने रहे, जबकि गुड़ पेड़ी के भाव 1,065 से 1,120 रुपये प्रति 40 किलो बोले गए। खुरपापाड़ गुड़ में आज 960 से 1,000 रुपये प्रति मन पर कारोबार हुआ। मंडी में नए गुड़ की आवक बुधवार को 7,000 से 7,500 कट्टों (एक कट्टा-40 किलो) की हुई जबकि मंगलवार को आवक 6,000 से 6,500 कट्टों की हुई थी।
दिल्ली के नया बाजार में बुधवार को गुड़ चाकू के भाव 2,800 से 2,900 रुपये प्रति क्विंटल बोले गए जबकि गुड़ पेड़ी के दाम आज 2,800 से 2,900 रुपये प्रति क्विंटल पर स्थिर हो गए। डैंया गुड़ के भाव नया बाजार में आज 3,000 से 3,100 रुपये प्रति क्विंटल बोले गए। शक्कर में आज 3,200 से 3,300 रुपये प्रति क्विंटल पर व्यापार हुआ।
व्यापारियों ने बताया कि सर्दी बढ़ने से गुड़ की मांग तो बढ़ी है लेकिन कोल्हुओं की संख्या ज्यादा होने के कारण उत्पादन भी ज्यादा हो रहा है, जिस कारण भाव रुक गए हैं। उन्होंने बताया कि उत्पादक क्षेत्रों में मौसम खराब है, अगर बारिश हुई तो गुड़ का उत्पादन प्रभावित होगा, जिससे मौजूदा कीमतों में तेजी बन सकती है। उन्होंने बताया कि चालू सीजन में गुड़ के दाम पिछले साल की तुलना में 200 से 300 रुपये प्रति क्विंटल तेज हैं, इसलिए इस बार कोल्ड स्टोर में भंडारण पिछले साल की तुलना में कम होगा।
चना सहित अन्य दालों के भाव में आया सुधार, बड़ी तेजी नहीं
नई दिल्ली। नीचे दाम पर दाल मिलों की मांग में आये सुधार से बुधवार को दिल्ली में अरहर, उड़द के साथ ही राजमा की कीमतों में तेजी आई। दिल्ली में अरहर पुरानी (2017-2018) की कीमतों में 100 रुपये की तेजी आकर भाव 5,950 से 6,000 रुपये प्रति क्विंटल हो गए। आगे के सौदों में, चेन्नई से दिसंबर डिलीवरी के लिए अरहर के भाव मजबूत होकर 5,700 रुपये प्रति क्विंटल हो गए।
चेन्नई में दाम मजबूत होने से बर्मा उड़द एफएक्यू और एसक्यू की कीमतों में आज दिल्ली में 50 से 150 रुपये प्रति क्विंटल की तेजी आई। महाराष्ट्र की नई उड़द के साथ ही मध्य प्रदेश में नेफेड की पुरानी उड़द के भाव में आज 50 से 100 रुपये की तेजी दर्ज की गई।
स्थानीय मिलों की मांग बढ़ने से चीन की चित्रा राजमा के भाव में आज दिल्ली में 300 रुपये प्रति क्विंटल की तेजी आई। महाराष्ट्र के पुणे और सतारा लाईन के साथ ही मद्रास की शर्मिली किस्म की राजमा के दाम आज स्थिर बने रहे। महाराष्ट्र के पुणे और सतारा लाईन में फसल को नुकसान होने से दैनिक आवकों का दबाव नहीं बन पा रहा है, जबकि सीमावर्ती मुद्दों के कारण चीन से आयात नहीं के बराबर हो रहा है। साथ ही विदेशी बाजार में कम फसल की सूचना है।
नीचे दाम पर मिलर्स की मांग बढ़ने और आयातित का हाजिर स्टॉक कम होने से बुधवार को चेन्नई, मुंबई और दिल्ली में बर्मा उड़द की कीमतों में 50 से 150 रुपये प्रति क्विंटल की तेजी दर्ज की गई। नई देसी उड़द में मिलों की खरीद और आवक के कारण चुनिंदा बाजारों में गुणवत्ता के अनुसार मिलाजुला रुख देखा गया।
भारत के मौसम विभाग ने कहा कि गंभीर चक्रवाती तूफान निवार अगले कुछ घंटों में बेहद भयंकर चक्रवाती तूफान में तब्दील हो जाएगा और तमिलनाडु और पुदुचेरी के बीच तट को पार कर लेगा। तमिलनाडु के डिंडीगुल/तंजावुर के साथ ही आंध्रप्रदेश के मछलीपट्टनम में अगले महीने से नई उड़द की आवक शुरू होने की संभावना है। अत: तूफान से फसल को नुकसान की आशंका है।
24 नवंबर 2020
नेफेड ने चना बिक्री बेस प्राइस तय किया, अन्य दालों में आई गिरावट
नई दिल्ली। नेफेड ने विभिन्न ब्रांचों में पीएसएस चना बेचने के लिए बेस प्राइस को अपडेट किया है। सूत्रों के अनुसार बेस प्राइस से खरीददार को ज्यादा बोली लगानी होगी तथा इन बेस प्राइस को नियमित आधार पर नेफेड द्वारा संशोधित किया जायेगा।
जयपुर में का बेस प्राइस होगा, 5,400 रुपये प्रति क्विंटल, जबकि मुुंबई में भी 5,400 रुपये, इंदौर में 5,300 रुपये, बंगलौर में 5,600 रुपये, हैदराबाद में 5,500 रुपये, चंडीगढ़ में 5,350 रुपये, लखनऊ में 5,300 रुपये प्रति क्विंटल होगा। यह भाव हाजिर बाजार में ज्यादा हैं इसलिए भाव में सुधार बन सकता है।
दाल मिलों की मांग कमजोर होने से मंगलवार को दिल्ली में अरहर, उड़द, मसूर के साथ ही काबूली चना की कीमतों में गिरावट देखी गई।
विदेशी से आयात बढ़ने से दिल्ली में अरहर पुरानी (2017-2018) की कीमतों में 100 रुपये की गिरावट भाव 5,850 से 5,900 रुपये प्रति क्विंटल रह गए। नेफेड ने 1930 टन खरीफ 2019 की अरहर की निविदा को 23 नवंबर, 2020 को महाराष्ट्र में 6,201-6,205 रुपये प्रति क्विंटल की दर से स्वीकृत किया।
दूसरे तरफ आगे के सौदों में, चेन्नई से नवंबर डिलीवरी के लिए अरहर के भाव में आज 100 रुपये का मंदा आकर भाव 5,525 से 5,550 रुपये प्रति क्विंटल रह गए।
बर्मा उड़द एफएक्यू और एसक्यू में मिलों की मांग कमजोर होने से कारण आज दिल्ली में भाव 150 से 200 रुपये प्रति क्विंटल घट गए। मिलों से दालों का उठाव कम हो रहा है।
इसी तरह, मध्य प्रदेश में नेफेड की पुरानी उड़द के भाव में भी 100 रुपये की गिरावट आकर भाव 6,800 से 6,850 रुपये प्रति क्विंटल रह गए।
कनाडा के साथ ही मध्यप्रदेश की मसूर में दिल्ली में दाल मिलों की मांग कमजोर होने के कारण आज 20 से 50 रुपये प्रति क्विंटल की गिरावट दर्ज की गई।
महाराष्ट्र, आंध्र प्रदेश और इंदौर लाईन के काबुली चना में ग्राहकी कमजोर होने से आज दिल्ली में भाव 200 रुपये प्रति क्विंटल तक घट गए। जानकारों के अनुसार स्थानीय मिलों की खरीद काफी कमजोर रही।
दाल मिलों की ग्राहकी कमजोर होने से मुंबई, कोलकाता, हजीरा और मुंद्रा बंदरगाह के साथ ही मुंबई और कोलकाता के बाजारों में मंगलवार को आस्ट्रेलिया की मसूर के साथ ही कनाडा की क्रिमसन मसूर की कीमतों में 25 से 50 रुपये प्रति क्विंटल की गिरावट दर्ज की गई।
सीसीआई ने बिनौला के बिक्री भाव बढ़ाये, हाजिर में ग्राहकी कमजोर होने मंदा
नई दिल्ली। कॉटन कारर्पोरेशन आफ इंडिया, सीसीआई ने मंगलवार को उत्तर भारत के राज्यों में बिनौला के बिक्री भाव में 30 से 50 रुपये प्रति क्विंटल तक की बढ़ोतरी की लेकिन हाजिर में यार्न मिलों की बिकवाली बढ़ने से बिनौला और कपास खली के भाव में 50 से 75 रुपये प्रति क्विंटल की गिरावट दर्ज की गई। व्यापारियों के अनुसार बढ़े भाव में सीसीआई के बिक्री केंद्रों पर बिनौला की बिक्री में भी आज कमी देखी गई, ऐसे बाजार में यह डर है कि कहीं सीसीआई भाव में कटौती ना कर दे।
सूत्रों के अनुसार सीसीआई ने पंजाब के बठिंडा में मंगलवार को बिनौला का भाव 2,850 रुपये प्रति क्विंटल तय किया तथा इन भाव केवल 630 टन बिनौला की बिक्री ही हुई जबकि सोमवार को 2,820 रुपये प्रति क्विंटल की दर से 6,900 टन बिनौला बेचा था। इसी तरह से हरियाणा के सिरसा में मंगलवार को सीसीआई ने 2,850 रुपये प्रति क्विंटल की दर से 460 टन बिनौला बेचा जबकि सोमवार को 2,700 से 2,800 रुपये प्रति क्विंटल की दर पर 21,760 टन बिनौला बेचा था। श्रीगंगानगर में आज 2,900 रुपये प्रति क्विंटल के भाव पर 720 टन बिनौला बेचा जबकि सोमवार को 2,720 से 2,870 रुपये के भाव पर 10,000 टन बिनौला बेचा था।
हरियाणा के आदमपुर में मंगलवार को बिनौला के एक्स फैक्ट्री भाव घटकर 2825-2850 रुपये प्रति क्विंटल रह गए, जबकि इस दौरान कपास खली के दाम घटकर 2300-2350 रुपये प्रति क्विंटल बोले गए। सिरसा में बिनौला के भाव घटकर मंगलवार को 2,700 से 2,850 रुपये और ऐलनाबाद में 2,825 रुपये और कलवानी में 2,800 रुपये प्रति क्विंटल रह गए। कैथल में आज बिनौला के दाम घटकर 2,550 से 2,600 रुपये प्रति क्विंटल रह गए।
व्यापारियों के अनुसार बढ़े भाव में सीसीआई का बिनौला सीमित मात्रा में ही बिका, जिस कारण बाजार में डर है कि सीसीआई भाव में कटौती कर सकती है। वैसे भी सीसीआई के पास बिनौला का स्टॉक ज्यादा है। उन्होंने बताया कि बिनौला खल प्रीमियम और मीडियम क्वालिटी में अंतर बढ़कर 300 रुपये प्रति क्विंटल का हो गया है।
राजस्थान के खैरथल में मंगलवार को बिनौला के भाव घटकर 2650-2700 रुपये प्रति क्विंटल रह गए, जबकि गंगानगर में 2,850 से 2,900 रुपये और हनुमानगढ़ में 2,850 से 2,900 रुपये प्रति क्विंटल बोले गए।
23 नवंबर 2020
उत्पादन अनुमान में कमी के साथ ही विश्व बाजार में मजबूती से कॉटन की कीमतों में तेजी का अनुमान
नई दिल्ली। विश्व बाजार में कॉटन की कीमतें मजबूत बनी हुई है, जबकि चालू सीजन में देश के कई राज्यों में बेमौसम बारिश और बाढ़ के साथ ही पिंक बॉलवर्म से फसल को हुए नुकसान से उत्पादन अनुमान में कमी आने की आशंका है। इसलिए कपास की मौजूदा कीमतों में और तेजी आने का अनुमान है।
नार्थ इंडिया कॉटन एसोसिएशन के अध्यक्ष राकेश राठी ने बताया कि घरेलू बाजार में कॉटन की कीमतों में सप्ताहभर में ही करीब 1,000 रुपये प्रति कैंडी से ज्यादा की तेजी आ चुकी है तथा जिस तरह से विश्व बाजार में दाम बढ़ रहे हैं, उससे आगे निर्यात सौदों में तेजी आने का अनुमान है। न्यूयार्क दिसंबर कॉटन वायदा में आज 0.82 फीसदी की तेजी आकर भाव 71.7 सेंट प्रति पाउंड हो गए। इसलिए घरेलू बाजार में कॉटन की कीमतों में अभी तेजी बनी रहने का अनुमान है।
उन्होंने बताया कि चालू सीजन में कृषि मंत्रालय ने 371.18 लाख गांठ और उद्योग ने कपास का जो आरंभिक उत्पादन अनुमान 356 लाख गांठ (एक गांठ-170 किलो) का लगाया है उसमें कमी आने का अनुमान है। उन्होंने बताया कि उत्पादन घटकर 345 से 350 लाख गांठ का ही होने का अनुमान है। कॉटन के प्रमुख उत्पादक राज्य महाराष्ट्र के विदर्भ में पिंक बॉलवर्म से फसल को नुकसान हुआ है जबकि तेलंगाना और कर्नाटक में बेमौसम बारिश और बाढ़ से फसल की क्वालिटी के साथ ही उत्पादकता में भी कमी आयेगी। उन्होंने बताया कि पहली अक्टूबर 2020 में शुरू हुए फसल सीजन में अभी तक करीब 10 लाख गांठ कपास के निर्यात सौदे हो चुके हैं, तथा जिस तरह से विदेशी बाजार में दाम बढ़ रहे है, उससे निर्यात सौदों में और तेजी आयेगी।
महाराष्ट्र के ओरंगाबाद के कॉटन व्यापारी ने बताया कि कॉटन कारर्पोशन आफ इंडिया (सीसीआई) चालू सीजन में पुरानी के साथ ही नई कॉटन की बिक्री भी कर रही है, तथा सीसीआई बिक्री भाव में बढ़ोतरी कर रही है, जिससे तेजी को बल मिल रहा है। उन्होंने बताया कि आज भी सीसीआई ने कॉटन के बिक्री भाव में 300 रुपये प्रति कैंडी (एक कैंडी-356 किलो) की तेजी की। पहली अक्टूबर 2020 से अभी तक सीसीआई करीब 21 लाख गांठ से ज्यादा की खरीद कर चुकी है।
कॉटन एसोसिएशन आफ इंडिया (सीएआई) के पहले आरंभिक अनुमान के अनुसार चालू फसल सीजन 2020-21 में बुआई में हुई बढ़ोतरी के बावजूद कई राज्यों में हुए नुकसान के कारण कपास के उत्पादन में 1.11 फीसदी की कमी आकर कुल उत्पादन 356 लाख टन गांठ (एक गांठ-170 किलो) होने का अनुमान है जबकि पिछले साल 360 लाख गांठ का उत्पादन हुआ था।
चना, उड़द और अरहर की कीमतों में मंदा, मसूर के दाम रुके
नई दिल्ली। दाल मिलों की मांग कमजोर होने से सोमवार को चना, उड़द और अरहर के साथ ही मूंंग की कीमतों में गिरावट रही, जबकि मसूर के दाम स्थिर बने रहे।
आयातित उड़द का हाजिर स्टॉक कम होने के बावजूद भी उड़द दाल में ग्राहकी कमजोर होने से सोमवार को चेन्नई, मुंबई और दिल्ली में बर्मा उड़द की कीमतों में 50 से 200 रुपये प्रति क्विंटल की गिरावट दर्ज की गई।
विदेशी से आयात बढ़ने से दिल्ली में अरहर पुरानी (2017-2018) की कीमतों में 100 रुपये की गिरावट भाव 5,950 रुपये प्रति क्विंटल रह गए। नेफेड ने 510 टन खरीफ 2019 की अरहर की निविदा को 21 नवंबर, 2020 को महाराष्ट्र में 6,201 रुपये प्रति क्विंटल की दर से स्वीकृत किया।
आगे के सौदों में, चेन्नई से नवंबर डिलीवरी के लिए अरहर के भाव में आज 100 रुपये का मंदा आकर भाव 5,600 से 5,650 रुपये प्रति क्विंटल रह गए।
बर्मा उड़द एफएक्यू और एसक्यू में मिलों की मांग कमजोर होने से कारण आज दिल्ली में भाव 50 से 100 रुपये प्रति क्विंटल घट गए। मिलों से दालों का उठाव कम हो रहा है।
मध्य प्रदेश में नेफेड की पुरानी उड़द के भाव में भी 100 रुपये की गिरावट आकर भाव 6,900 रुपये प्रति क्विंटल रह गए।
दिल्ली में चना की कीमतों में 75 रुपये का मंदा आकर भाव राजस्थानी चना के 5,150 रुपये और मध्य प्रदेश के चना के 5,100 से 5,125 रुपये प्रति क्विंटल रह गए।
मसूर के दाम दिल्ली में 5,725 से 5,750 रुपये प्रति क्विंटल पर स्थिर बने रहे।
मूंग की कीमतों में 50 रुपये की गिरावट आकर भाव 6,500 से 7,550 रुपये प्रति क्विंटल रहे।
मोठ की कीमतों में 50 रुपये की तेजी आकर भाव 5,500 से 6,200 रुपये प्रति क्विंटल हो गए।
चेन्नई में बर्मा अरहर के दाम नवंबर डिलीवरी के 50 रुपये घटकर 5,700 रुपये, और रेडी डिलीवरी उड़द एसक्यू के भाव 200 रुपये घटकर 8,100 रुपये प्रति क्विंटल रह गए।
21 नवंबर 2020
चना की कीमतों में सुधार, अन्य दालों में नरमी का रुख
नई दिल्ली। दिल्ली में आज चना की कीमतों में 25 रुपये प्रति क्विंटल की तेजी आई, जबकि अरहर और उड़द की कीमतों में मंदा रहा। मूंग और मसूर के दाम आज स्थिर बने रहे।
दाल मिलों की ग्राहकी कमजोर होने से शनिवार को मुंबई, हजीरा और मुंद्रा बंदरगाह पर कनाडा की क्रिमसन मसूर के साथ साथ मुंबई बाजार में ऑस्ट्रेलिया मसूर की कीमतों में 25 से 50 रुपये प्रति क्विंटल की गिरावट दर्ज की गई। आयतित मसूर के साथ ही मसूर दाल में उठाव कमजोर होने से कीमतों पर दबाव देखा जा रहा है। मध्य प्रदेश के प्रमुख बाजारों में देसी मसूर की कीमतों में मिलाजुला रुख देखा गया। छत्तीसगढ़ के रायपुर बाजार में ग्राहकी कमजोर होने से मसूर की कीमतों में आज 50 रुपये प्रति क्विंटल की गिरावट आई।
दाल मिलों की मांग कमजोर होने से शनिवार को दिल्ली में उड़द के साथ ही अरहर की कीमतों में गिरावट दर्ज की गई। दिल्ली में अरहर पुरानी (2017-2018) की कीमतों में 50 रुपये की गिरावट भाव 6,050 रुपये प्रति क्विंटल रह गए। हाजिर में लेमन अरहर में स्टॉकिस्टों की बिकवाली रही। नेफेड ने 1,855 टन खरीफ 2019 की अरहर की निविदा को 20 नवंबर, 2020 को महाराष्ट्र में 6,201-6,277 रुपये प्रति क्विंटल की दर से स्वीकृत किया। आगे के सौदों में, चेन्नई से नवंबर डिलीवरी के लिए अरहर के भाव में आज 100 रुपये का मंदा आकर भाव 5,700 रुपये प्रति क्विंटल रह गए।
बर्मा उड़द एफएक्यू और एसक्यू में मिलों की मांग कमजोर होने से कारण आज दिल्ली में भाव 100 रुपये प्रति क्विंटल घट गए। मिलों से दालों का उठाव कम हो रहा है जिस कारण मिलर्स केवल जरुरत के हिसाब से खरीद कर रही हैं। आयातित उड़द का हाजिर स्टॉक कम होने के बावजूद भी उड़द दाल में ग्राहकी कमजोर होने से शनिवार को चेन्नई और दिल्ली में बर्मा उड़द की कीमतों में 50 से 100 रुपये प्रति क्विंटल की गिरावट दर्ज की गई।
मूंग के भाव दिल्ली में 6,500 से 7,600 रुपये और मसूर के दाम 5,750 रुपये प्रति क्विंटल पर स्थिर बने रहे।
चीनी की कीमतों में आई तेजी, निर्यात सब्सिडी एवं एमएसपी पर जल्द फैसला संभव
नई दिल्ली। चीनी के न्यूनतम बिक्री मूल्य (एमएसपी) में बढ़ोतरी के साथ ही निर्यात सब्सिडी पर केंद्र सरकार द्वारा जल्द निर्णय लिए जाने की संभावना से शनिवार को देशभर के बाजारों में चीनी की कीमतों में तेजी दर्ज की गई। चीनी मिलों ने जहां बिक्री भाव में 15 से 50 रुपये प्रति क्विंटल की बढ़ोतरी की, वहीं हाजिर बाजारों में चीनी के दाम 20 से 90 रुपये प्रति क्विंटल तक तेज हुए।
व्यापारियों के अनुसार केंद्र सरकार ने चीनी के न्यूनतम बिक्री मूल्य में बढ़ोतरी के साथ ही निर्यात पर दी जाने वाली सब्सिडी पर अगले सप्ताह तक फैसला कर सकती है, इसीलिए देशभर के बाजारों में चीनी की कीमतों में आज तेजी दर्ज की गई। चीनी के न्यूनतम बिक्री मूल्य को 31 रुपये प्रति किलो से बढ़ाकर 33 रुपये प्रति किलो करने का प्रस्ताव है जबकि चालू पेराई सीजन के लिए निर्यात की मात्रा भी पिछले पेराई सीजन की तुलना में ज्यादा तय किए जाने की उम्मीद है। चालू पेराई सीजन में चीनी की कुल उपलब्धता मांग की तुलना में ज्यादा बैठेगी, इसलिए निर्यात पर सब्सिडी महत्वपूर्ण प्रस्ताव है। मुजफ्फरनगर में आज चीनी के दाम में 90 रुपये प्रति क्विंटल की बढ़ोतरी हुई जबकि दिल्ली, बरेली, कानपुर और अन्य उत्तर भारत के बाजारों में सबसे अधिक बढ़ोतरी दर्ज की गई।
20 नवंबर 2020
बर्मा उड़द में मंदा जारी, चना, मू्ंग और मसूर में तेजी
नई दिल्ली। आयातित उड़द का हाजिर स्टॉक कम होने के बावजूद भी उड़द दाल में ग्राहकी कमजोर होने से शुक्रवार को चेन्नई, मुंबई और दिल्ली के बाजारों में बर्मा उड़द की कीमतों में 50 से 75 रुपये प्रति क्विंटल की गिरावट दर्ज की गई।
घरेलू बाजारों में दाल मिलों की कमजोर मांग और दैनिक आवक ज्यादा होने के कारण प्रमुख बाजारों में क्वालिटीनुसार कीमतों में मिलाजुला रुख देखा गया।
दाल मिलों की ताजा मांग निकलने से शुक्रवार को दिल्ली के नया बाजार में अरहर और मसूर की कीमतों में सुधार आया, जबकि उड़द की कीमतों में गिरावट देखी गई। दिल्ली में अरहर पुरानी (2017-2018) की कीमतों में 100 रुपये की बढ़ोतरी होकर भाव 6,100 से 6,150 रुपये प्रति क्विंटल हो गए। नेफेड ने 19 नवंबर को महाराष्ट्र में खरीफ 2019 की अरहर की सभी निविदा को खारिज कर दिया, इसमें सबसे ऊंची बोली 6,251 रुपये प्रति क्विंटल की थी। आगे के सौदों में, चेन्नई से नवंबर डिलीवरी के लिए अरहर के भाव आज भाव 5,800 रुपये प्रति क्विंटल पर स्थिर बने रहे।
दिल्ली में चना के भाव में 125 रुपये की तेजी आकर राजस्थानी चना के भाव 5,200 से 5,225 रुपये और एमपी के चना के भाव 5,150 से 5,175 रुपये प्रति क्विंटल हो गए।
दिल्ली में मसूर की कीमतों में 25 रुपये की तेजी आकर भाव 5,750 रुपये प्रति क्विंटल बोले गए।
मूंग की कीमतों में आज 150 रुपये की तेजी आकर भाव 6,500 ससे 7,600 रुपये प्रति क्विंटल हो गए।
बर्मा में लेमन नई के भाव में आज 20 डॉलर का मंदा आकर भाव 720 डॉलर प्रति टन रह गए, जबकि पुरानी लेमन के भाव भी 20 डॉलर घटकर 700 डॉलर प्रति टन रह गए।
उड़द एसक्यू के भाव बर्मा में 20 डॉलर घटकर 990 डॉलर प्रति टन और एफएक्यू में 10 डॉलर की गिरावट आकर भाव 875 डॉलर प्रति टन रह गए।
उत्तर भारत के राज्यों में बिनौला और कपास खली तेज, सीसीआई ने बिक्री भाव बढ़ाये
नई दिल्ली। उत्तर भारत के राज्यों हरियाणा और राजस्थान में शुक्रवार को बिनौला की कीमतों में लगातार दूसरे दिन तेजी दर्ज की गई। आज इन राज्यों में बिनौला के दाम 100 रुपये और कपास खली 50 रुपये प्रति क्विंटल तेज हुए। व्यापारियों के अनुसार कॉटन कारर्पोरेशन आफ इंडिया, सीसीआई ने देश अधिकांश बिक्री केंद्रों पर बिनौला के बिक्री भाव में आज 50 रुपये प्रति क्विंटल तक की बढ़ोतरी की, जिससे हाजिर बाजार में भाव तेज हुए हैं।
सीसीआई ने पंजाब के बठिंडा में शुक्रवार को 2,700 से 2,750 रुपये प्रति क्विंटल की दर पर 10,000 टन बिनौला की बिक्री की, जबकि हरियाणा के सिरसा में 2,650 से 2,720 रुपये प्रति क्विंटल के भाव पर 23,530 टन बिनौला की बिक्री की। राजस्थान के श्रीगंगानगर में 2,700 से 2,800 रुपये के भाव पर 7,420 टन और भीलवाड़ा में 2,650 रुपये के भाव पर 95,400 टन बिनौला बेचा।
उधर औरंगाबाद में सीसीआई ने 2,500 से 2,550 रुपये के भाव पर 2,020 टन, अकोला में 2,600 रुपये की दर पर 2350 टन, गुंटूर में 2,320 से 2,350 के भाव पर 1100 टन और आदिलाबाद में 2,410 से 2,430 रुपये के भाव पर 10,010 टन बिनौला की बिक्री की। सीसीआई ने आज अधिकांश केंद्रों पर बिनौला के बिक्री भाव में 50 रुपये प्रति क्विंटल की बढ़ोतरी की।
हरियाणा के आदमपुर में गुरूवार को बिनौला के एक्स फैक्ट्री भाव 100 रुपये बढ़कर 2825 से 2885 रुपये प्रति क्विंटल हो गए, जबकि इस दौरान कपास खली के दाम में 50 रुपये की तेजी आकर भाव 2,325 से 2,350 रुपये प्रति क्विंटल बोले गए। सिरसा में बिनौला के भाव बढ़कर 2,700 से 2,750 रुपये, ऐलनाबाद में 2,800 रुपये और कलवानी में भाव बढ़कर 2,800 से 2,825 रुपये प्रति क्विंटल हो गए।
राजस्थान के खैरथल में शुक्रवार को बिनौला के भाव 100 रुपये बढ़कर 2625-2700 रुपये प्रति क्विंटल बोले गए। व्यापारियों के अनुसार सीसीआई पिछले दो दिनों से लगातार बिनौला के बिक्री भाव तेज कर रही है इसलिए हाजिर बाजार में भी दाम बढ़ रहे हैं। सीसीआई ने बिक्री भाव में और बढ़ोतरी की तो हाजिर बाजार में भी दाम और बढ़ेंगे।
रबी फसलों की शुरूआती बुआई 9.83 फीसदी आगे, दलहन के साथ तिलहन की ज्यादा
नई दिल्ली। चालू रबी सीजन में फसलों की शुरूआती बुआई 9.83 फीसदी बढ़कर 265.43 लाख हेक्टेयर में हो चुकी है जबकि पिछले साल इस समय तक केवल 241.66 लाख हेक्टेयर में ही बुआई हो पाई थी। दलहन के साथ ही तिलहनी फसलों की बुआई आगे चल रही है।
कृषि मंत्रालय के अनुसार रबी की प्रमुख फसल गेहूं की बुआई चालू रबी में बढ़कर 97.27 लाख हेक्टेयर में हो चुकी है जोकि पिछले साल की समान अवधि के 96.77 लाख हेक्टेयर से आगे है। इसी तरह से दालों की बुआई बढ़कर चालू रबी में 82.59 लाख हेक्टेयर में हो चुकी है जबकि पिछले साल इस समय तक केवल 64.57 लाख हेक्टेयर में ही दालों की बुआई हुई थी। रबी दलहन की प्रमुख फसल चना की बुआई 57.44 लाख हेक्टेयर में हो चुकी है जबकि पिछले साल इस समय तक केवल 44.16 लाख हेक्टेयर में ही हुई थी। अन्य दालों में मसूर की बुआई 9.76 लाख हेक्टेयर में, मटर की 6.78 लाख हेक्टेयर में और उड़द की 2.14 लाख हेक्टेयर में हो चुकी है जबकि पिछले रबी सीजन की समान अवधि में इनकी बुआई क्रमश: 7.51 लाख हेक्टेयर में, 5.34 लाख हेक्टेयर और 1.89 लाख हेक्टेयर में ही हुई थी।
सरसों की बुआई आगे, मूंगफली की कम
तिलहनी फसलों की बुआई चालू रबी में बढ़कर 55.53 लाख हेक्टेयर में हो चुकी है जबकि पिछले साल इस समय तक इनकी बुआई केवल 52.08 लाख हेक्टेयर में ही हो पाई थी। रबी तिलहन की प्रमुख फसल सरसों की बुआई बढ़कर चालू रबी में 52.25 लाख हेक्टेयर में हो चुकी है जबकि पिछले साल इस समय तक इसकी बुआई केवल 48.01 लाख हेक्टेयर में ही हुई थी। मूंगफली की बुआई 1.25 लाख हेक्टेयर में और अलसी की 1.19 लाख हेक्टेयर में हो चुकी है जबकि पिछले साल इस समय तक क्रमश: 1.58 और 1.43 लाख हेक्टेयर में बुआई हुई थी।
ज्वार की बुआई में बढ़ोतरी, मक्का और जौ की पिछे
मोटे अनाजों की बुआई चालू रबी सीजन में बढ़कर 22.78 लाख हेक्टेयर में हो चुकी है जबकि पिछले साल इस समय तक केवल 21.26 लाख हेक्टेयर में ही बुआई हो पाई थी। मोटे अनाजों में ज्वार की बुआई 16.08 लाख हेक्टयेर में हो चुकी है जोकि पिछले साल की समान अवधि के 14.28 लाख हेक्टेयर से ज्यादा है। मक्का की बुआई 3.39 लाख हेक्टेयर में और जौ की बुआई चालू रबी में 2.97 लाख हेक्टेयर में हो चुकी है जबकि पिछले साल इस समय तक इनकी बुआई क्रमश: 3.50 और 3.19 लाख हेक्टेयर में ही हुई थी।
19 नवंबर 2020
अक्टूबर में डीओसी का निर्यात 33 फीसदी बढ़ा, अप्रैल से अक्टूबर 6 फीसदी ज्यादा
नई
दिल्ली। अक्टूबर में डीओसी के निर्यात में 33 फीसदी की बढ़ोतरी होकर कुल
निर्यात 3,17,394 टन का हुआ है जबकि पिछले साल अक्टूबर में इनका निर्यात
केवल 2,38,992 टन का ही हुआ था।
एसईए के अनुसार चालू वित्त वर्ष के पहले सात महीनों में सरसों डीओसी के साथ ही राइसब्रान डीओसी के निर्यात में अच्छी बढ़ोतरी हुई है। सरसों डीओसी का निर्यात बढ़कर चालू वित्त वर्ष के पहले सात महीनों अप्रैल से अक्टूबर के दौरान 729,799 टन का हुआ है जबकि पिछले वित्त वर्ष की समान अवधि में इसका निर्यात 607,786 टन का ही हुआ था। इसी तरह से राइसब्रान डीओसी का निर्यात अप्रैल से अक्टूबर 2020 के दौरान 229,712 टन का हुआ है जबकि पिछले वित्त वर्ष की समान अवधि में केवल 108,160 टन का ही निर्यात हुआ था।
सितंबर के मुकाबले अक्टूबर में डीओसी की कीमतों में भी बढ़ोतरी हुई है। अक्टूबर में सोया डीओसी का भाव बढ़कर भारतीय बंदरगाह पर 470 डॉलर प्रति टन हो गया, जबकि सितंबर में इसका भाव 459 डॉलर प्रति टन था। इसी तरह से सरसों डीओसी का भाव इस दौरान 220 डॉलर से बढ़कर 242 डॉलर प्रति टन हो गया। एसईए के अनुसार चालू वित्त वर्ष के पहले सात महीनों में जहां ताइवान, यूएसए और वियतनाम को निर्यात में बढ़ोतरी हुई है, वहीं दक्षिण कोरिया और थाइलैंड को निर्यात में कमी दर्ज की गई।
राजस्थान की चालू रबी में चना की बुआई 3.76 फीसदी पिछड़ी, दलहन में मंदा जारी
नई दिल्ली। चालू रबी सीजन में दलहन की प्रमुख फसल चना की बुआई राजस्थान में 3.76 फीसदी पिछड़ रही है। राज्य के कृषि निदेशालय के अनुसार चना की बुआई चालू रबी में 14.83 लाख हेक्टेयर में ही हो पाई है, जबकि पिछले साल इस समय तक बुआई 15.41 लाख हेक्टेयर में हो चुकी थी।
राज्य के कृषि निदेशालय ने चालू रबी में बुआई का लक्ष्य 18 लाख हेक्टयेर का तय किया है जबकि पिछले रबी सीजन में इसकी बुआई 24.63 लाख हेक्टयेर में हुई थी।
दिल्ली के लारेंस रोड पर चना के भाव में 75 रुपये का मंदा आकर राजस्थानी चना के दाम 5,075 से 5,100 रुपये और मध्य प्रदेश के चना के भाव 5,025 से 5,050 रुपये प्रति क्विंटल रह गए।
मसूर के दाम 5,700 से 5,727 रुपये प्रति क्विंटल पर स्थिर बने रहे।
मूंग के भाव शाम को यहां 6,500 से 7,550 रुपये प्रति क्विंटल रहे।
मोठ के भाव 5,500 से 6,200 रुपये प्रति क्विंटल रहे।
दाल मिलों की कमजोर मांग से कोलकाता में कनाडा की क्रिमसन मसूर की कीमतों में गुरूवार को 50 रुपये प्रति क्विंटल की गिरावट दर्ज की गई।
दाल मिलों की मांग कमजोर होने से गुरूवार को दिल्ली के नया बाजार में अरहर, उड़द, मसूर के साथ ही काबूली चना की कीमतों में गिरावट आई।
दालों में खुदरा बाजार में मांग कमजोर ही बनी हुई है।
आयातित अरहर की आपूर्ति बढ़ने से मुंबई में इसके भाव में नरमी का असर दिल्ली में भी देखा गया। दिल्ली में अरहर पुरानी (2017-2018) की कीमतों में 150 रुपये का मंदा आकर भाव 6,000 रुपये प्रति क्विंटल रह गए। नेफेड ने 18 नवंबर को महाराष्ट्र में 3,306 टन खरीफ 2019 की अरहर की निविदा को 6,300-6,411 रुपये प्रति क्विंटल की दर से मंजूरी दी।
इसी तरह आगे के सौदों में, चेन्नई से नवंबर डिलीवरी के लिए अरहर के भाव में 100 रुपये की गिरावट आकर भाव 5,700 रुपये प्रति क्विंटल रह गए।
बर्मा उड़द एफएक्यू और एसक्यू में मिलों की मांग कमजोर होने से कारण आज दिल्ली में भाव 25 से 50 रुपये प्रति किवंटल घट गए, एक तो उड़द दाल में ग्राहकी कमजोर रही, दूसरा चेन्नई और मुंबई में भी भाव में नरमी आई।
मध्यप्रदेश और कनाडा की मसूर में 25-50 रुपये प्रति क्विंटल की गिरावट आई।
महाराष्ट्र, आंध्र प्रदेश और इंदौर लाईन के काबुली चना में स्थानीय मिलों की मांग कमजोर होने से 100-200 रुपये प्रति क्विंटल का मंदा आया।
पहली छमाही में बासमती चावल का निर्यात 27 और गैर-बासमती का 102 फीसदी से ज्यादा बढ़ा
नई दिल्ली। चालू वित्त वर्ष 2020-21 की पहली छमाही अप्रैल से सितंबर के दौरान बासमती चावल के साथ ही गैर बासमती चावल का निर्यात में भारी बढ़ोतरी हुई है। एपीडा के अनुसार अप्रैल से सितंबर के दौरान बासमती चावल के निर्यात में 27.57 फीसदी की और गैर बासमती चावल के निर्यात में 102.43 फीसदी की भारी बढ़ोतरी दर्ज की गई।
चालू वित्त वर्ष 2020-21 के अप्रैल से सितंबर के दौरान बासमती चावल का निर्यात बढ़कर 23.87 लाख टन का हो चुका है जबकि पिछले वित्त वर्ष की समान अवधि में इसका निर्यात 18.71 लाख टन का हुआ था। मूल्य के हिसाब से चालू वित्त वर्ष के पहले छह महीनों में बासमती चावल का निर्यात बढ़कर 15,968 करोड़ रुपये का हुआ है जबकि पिछले वित्त वर्ष की समान अवधि में 14,191 करोड़ रुपये मूल्य का ही निर्यात हुआ था।
गैर बासमती चावल का निर्यात चालू वित्त वर्ष 2020-21 के अप्रैल से सितंबर के दौरान बढ़कर 50.79 लाख टन का हो चुका है जबकि इसके पिछले वित्त वर्ष में इसका 25.09 लाख टन का ही निर्यात हुआ था। मूल्य के हिसाब से गैर बासमती चावल का निर्यात चालू वित्त वर्ष के पहले छह महीनों में 14,641 करोड़ रुपये का हुआ है जबकि पिछले वित्त वर्ष की समान अवधि में इसका निर्यात केवल 7,145 करोड़ रुपये का हुआ था।
चालू वित्त वर्ष 2020-21 के सितंबर में बासमती चावल का निर्यात बढ़कर 3.53 लाख टन का हुआ है जबकि पिछले वित्त वर्ष के सितंबर में केवल 2.06 लाख टन का ही निर्यात हुआ था। इसी तरह से गैर बासमती चावल का निर्यात चालू वित्त वर्ष के सितंबर महीने में बढ़कर 11.38 लाख टन का हुआ है जबकि पिछले वित्त वर्ष के सितंबर में निर्यात केवल 3.69 लाख टन का ही हुआ था।
18 नवंबर 2020
सितंबर में ग्वार गम उत्पादों का निर्यात 44 फीसदी से ज्यादा घटा
नई दिल्ली। चालू वित्त वर्ष 2020-21 के अगस्त महीने के मुकाबले सितंबर में ग्वार गम उत्पादों के निर्यात में सुधार तो आया है लेकिन पिछले वित्त वर्ष की समान अवधि की तुलना में अभी भी निर्यात में भारी कमी देखी जा रही है। चालू वित्त वर्ष के सितंबर में ग्वार उत्पादों का निर्यात 44.26 फीसदी घटकर 19,111 टन का ही हुआ है जबकि पिछले साल सितंबर में 34,286 टन ग्वार गम उत्पादों का निर्यात हुआ था। हालांकि अगस्त 2020 में इनका निर्यात केवल 10,297 टन का ही हुआ था।
वाणिज्य एवं उद्योग मंत्रालय के अनुसार चालू वित्त वर्ष 2020-21 की पहली छमाही अप्रैल से सितंबर के दौरान ग्वार गम उत्पादों का निर्यात 51.46 फीसदी घटकर 1,09,907 टन का ही हुआ है जबकि पिछले वित्त वर्ष की समान अवधि में इनका निर्यात 2,26,436 टन का हुआ था। मूल्य के हिसाब से चालू वित्त वर्ष 2020-21 के पहले छह महीनों में ग्वार गम उत्पादों का निर्यात 916 करोड़ रुपये का ही हुआ है जबकि इसके पिछले वित्त वर्ष की समान अवधि में 1,875 करोड़ रुपये मूल्य का निर्यात हुआ था।
17 नवंबर 2020
चालू पेराई सीजन के पहले डेढ़ महीनों में चीनी का उत्पादन 191 फीसदी बढ़ा
नई दिल्ली। चालू पेराई सीजन 2020-21 के पहले डेढ़ महीनों पहली अक्टूबर से 15 नवंबर 2020 के दौरान देश में चीनी का उत्पादन 191.32 फीसदी बढ़कर 14.10 लाख टन का हो चुका है जबकि पेराई सीजन की समान अवधि में केवल 4.84 लाख टन का ही उत्पादन हुआ था।
इंडियन शुगर मिल्स एसोसिएशन (इस्मा) के अनुसार चालू पेराई सीजन में 15 नवंबर तक देशभर में 274 चीनी मिलों में पेराई आरंभ हो चुकी है जबकि पिछले पेराई सीजन में इस समय तक केवल 127 चीनी मिलों में ही पेराई आरंभ हुई थी।
प्रमुख उत्पादक राज्य उत्तर प्रदेश में चालू पेराई सीजन में 76 चीनी मिलों में पेराई आरंभ हो चुकी है तथा राज्य की चीनी मिलों में 15 नवंबर तक 3.84 लाख टन चीनी का उत्पादन हो चुका है जबकि पिछले पेराई सीजन की समान अवधि में 78 चीनी मिलों में पेराई आरंभ हो चुकी थी लेकिन उत्पादन हुआ था केवल 2.93 लाख टन का ही।
महाराष्ट्र में चालू पेराई सीजन में 15 नवंबर तक 117 चीनी मिलों में पेराई आरंभ हो चुकी है तथा राज्य में चीनी का उत्पादन 5.65 लाख टन का हो चुका है जबकि पिछले पेराई सीजन में सूखे और गन्ने का क्षेत्रफल कम होने के कारण पेराई ही नवंबर के चौथे सप्ताह में शुरू हो पाई थी।
कर्नाटक में चालू पेराई सीजन में 49 चीनी मिलों में पेराई आरंभ हो चुकी है तथा राज्य में चीनी का उत्पादन 3.40 लाख टन का हो चुका है जबकि पिछले पेराई सीजन की समान अवधि में राज्य में केवल 34 मिलों में ही पेराई आरंभ हो पाई थी, तथा इस समय तक चीनी का उत्पादन केवल 1.43 लाख टन का ही हुआ था।
पहली अक्टूबर 2020 को चीनी का बकाया स्टॉक 106.4 लाख टन का बचा हुआ था जबकि चालू पेराई सीजन में चीनी का उत्पादन 311 लाख टन होने का अनुमान है। ऐसे में चालू पेराई में 60 से 70 लाख टन का निर्यात हो भी गया तो, भी चीनी का बकाया स्टॉक ज्यादा बचेगा।
केंद्र सरकार के चीनी के निर्यात और रिजर्व स्टॉक पर सब्सिडी के फैसले का चीनी मिलें इंतजार कर रही है जबकि पेराई सीजन आरंभ हुए डेढ़ महीना बीत चुका है तथा करीब दो लाख टन चीनी निर्यात के सौदे मिलें कर चुकी हैं।
अरहर की कीमतों में मिलाजुला रुख, उड़द, चना और मसूर में मंदा
नई दिल्ली। ग्राहकी कमजोर होने से देसी अरहर की कीमतों में मंगलवार को प्रमुख बाजारों में मिलाजुला रुख रहा, जबकि उड़द के साथ ही चना और मसूर की कीमतों में मंदा रहा।
बर्मा की लेमन अरहर के भाव मुंबई में हाजिर डिलीवरी में 100 रुपये की गिरावट आकर भाव 6,050 रुपये प्रति क्विंटल रह गए। नेफेड ने 16 नवंबर को महाराष्ट्र में 770 टन खरीफ 2019 की अरहर की निविदा को 6,500-6,551 रुपये प्रति क्विंटल की दर से मंजूरी दी। आगे का कारोबार नवंबर डिलीवरी के लिए अरहर का व्यापार 100 रुपये घटकर भाव 5,900 रुपये प्रति क्विंटल रह गया।
पुरानी अरहर (2017-2018) के भाव आज दिल्ली में 200 रुपये घटकर 6,200 रुपये प्रति क्विंटल रह गए। इसी तरह आगे के सौदों में, चेन्नई से नवंबर डिलीवरी के लिए अरहर का कारोबार 200 रुपये घटकर 5,900 रुपये प्रति क्विंटल रह गए।
वेसल M V DS MANATEE 17,944 टन तंजानिया से अरहर लेकर 13 नवंबर, 2020 को मुंबई पोर्ट पर पहुंचा है। बर्मा से लगभग 50,000 टन की अरहर (चेन्नई बंदरगाह) पर पहुंचेगी। इसके अलावा, अफ्रीका से लगभग 1.5 लाख टन अरहर आ रही है।
दाल मिलों की मांग कमजोर होने से मुंबई, कोलकाता, हजीरा और मुंद्रा बंदरगाह पर आस्ट्रेलिया के साथ ही कनाडा की क्रिमसन मसूर की कीमतों में मंगलवार को 25-50 रुपये प्रति क्विंटल की गिरावट दर्ज की गई। कानपुर में देसी मसूर की कीमतों में आज 25 रुपये प्रति क्विंटल की गिरावट दर्ज की गई।
दाल मिलों की मांग कमजोर होने से मंगलवार को राजस्थान की जयपुर मंडी में मूंग की कीमतों में 200 रुपये प्रति क्विंटल की गिरावट दर्ज की गई।
दिल्ली के लारेंस रोड़ पर चना की कीमतों में 100 रुपये का मंदा आकर भाव 5,200 रुपये और मध्य प्रदेश के चना के भाव में 75 रुपये का मंदा आकर भाव 5,175 रुपये प्रति क्विंटल रह गए।
13 नवंबर 2020
तेल वर्ष 2019-20 में खाद्य एवं अखाद्य तेलों का आयात 13 फीसदी घटा
नई दिल्ली। तेल वर्ष नवंबर-19 से अक्टूबर-20 के दौरान खाद्य एवं अखाद्य तेलों के आयात में 13 फीसदी की गिरावट आकर कुल आयात 135,24,618 टन का ही हुआ है जबकि पिछले तेल वर्ष की समान अवधि में इनका आयात 155,49,566 टन का हुआ था।
साल्वेंट
एक्सट्रेक्टर्स एसोसिएशन ऑफ इंडिया (एसईए) के अनुसार तेल वर्ष नवंबर-19 से
अक्टूबर-20 के दौरान खाद्य एवं अखाद्य तेलों के आयात में 20.25 लाख टन की
कमी आई है। इस दौरान खाद्य तेलों का आयात घटकर 131.75 लाख टन का हुआ है
जबकि पिछले तेल वर्ष की समान अवधि में इनका आयात 149.13 लाख टन का हुआ था।
अखाद्य तेलों का आयात पिछले तेल वर्ष के 46,178 टन से घटकर 41,839 टन का ही
हुआ है।
एसईए के अनुसार अक्टूबर में आयातित खाद्य तेलों की कीमतों में तेजी आई है। अक्टूबर में आरबीडी पामोलीन का भाव बढ़कर भारतीय बंदरगाह पर 798 डॉलर प्रति टन हो गया जबकि सितंबर में इसका भाव 769 डॉलर प्रति था। क्रुड पॉम तेल का भाव सितंबर के 751 डॉलर प्रति टन से बढ़कर अक्टूबर में भाव 774 डॉलर प्रति टन हो गए।
11 नवंबर 2020
कमजोर मांग से गुड़ में मंदा, त्यौहारी मांग लगभग पूरी
नई दिल्ली। गुड़ में त्यौहार की थोक मांग लगभग पूरी हो गई है, जबकि चालू सीजन में कोल्हुओं की संख्या होने से उत्पादन मांग की तुलना में ज्यादा हो रहा है। इसलिए आज गुड़ की कीमतों में 50 से 100 रुपये प्रति क्विंटल तक की गिरावट दर्ज की गई। व्यापारियों के अनुसार पिछले साल गुड़ की कीमतें तेज रही थी, जिस कारण इस बार कोल्हुओं की संख्या ज्यादा है, तथा मंडियों के बजाए सीधे कोल्हुओं से व्यापार ज्यादा हो रहा है। इसलिए अभी कीमतों पर दबाव बना रहने का अनुमान है।
दिल्ली के नया बाजार में बुधवार को गुड़ चाकू और पेड़ी की कीमतों में 50 रुपये प्रति क्विंटल की गिरावट दर्ज की गई। नया बाजार में आज गुड़ चाकू के भाव घटकर 2,750 से 2,850 रुपये प्रति क्विंटल रह गए जबकि गुड़ पेड़ी के दाम भी आज 2,750 से 2,850 रुपये प्रति क्विंटल बोले गए। डैंया गुड़ के भाव आज नया बाजार में 100 रुपये घटकर 2,900 से 3,100 रुपये प्रति क्विंटल बोले गए। हालांकि शक्कर की कीमतें आज 3,100 से 3,200 रुपये प्रति क्विंटल पर स्थिर बनी रही।
मुजफ्फरनगर मंडी में बुधवार को गुड़ चाकू के भाव में 15 रुपये प्रति मन की गिरावट आकर भाव 1,070 से 1,130 रुपये प्रति मन (एक मन-40 किलो) रह गए, जबकि गुड़ पेड़ी के भाव में 10 रुपये का मंदा आकर भाव 1,065 से 1,110 रुपये प्रति 40 किलो बोले गए। खुरपापाड़ गुड़ में आज 10 रुपये का मंदा आकर भाव 950 से 990 रुपये प्रति मन पर कारोबार हुआ। मंडी में नए गुड़ की आवक बुधाार को बढ़कर 7,000 से 7,500 कट्टों (एक कट्टा-40 किलो) की ही हुई जबकि मंगलवार को आवक 6,000 से 6,500 कट्टों की हुई थी।
एमपी, गुजरात, हरियाण और यूपी तथा राजस्थान में नेफेड कल से बेचेगी चना
नई दिल्ली। सूत्रों के अनुसार नेफेड 12 नवंबर 2020 से मध्य प्रदेश, गुजरात, हरियाण और उत्तर प्रदेश तथा राजस्थान में चना की बिकवाली शुरू करेगी।
दिल्ली के लारेंस रोड़ पर आज चना की कीमतों में 75 रुपये प्रति क्विंटल की तेजी आकर राजस्थान के चना के भाव 5,225 से 5,250 रुपये और मध्य प्रदेश के चना के भाव 5,175 से 5,200 रुपये प्रति क्विंटल पर बंद हुए।
एनसीडीईएक्स पर नवंबर महीने के वायदा अनुबंध में आज चना की कीमतों में 61 रुपये की तेजी आकर भाव 5,235 रुपये और दिसंबर महीने के वायदा अनुबंध में 72 रुपये की तेजी आकर भाव 5,301 रुपये प्रति क्विंटल पर बंद हुए। जनवरी महीने के वायदा अनुबंध में 73 रुपये की तेजी दर्ज की गई।
दिल्ली में मसूर के दाम आज 5,650 से 5,660 रुपये प्रति क्विंटल पर स्थिर बने रहे, जबकि मूंग की कीमतों में 100 रुपये की तेजी आकर भाव 6,500 से 7,750 रुपये प्रति क्विंटल हो गए।
मोठ की कीमतों में 50 रुपये की तेजी आकर भाव, 5,500 से 6,250 रुपये प्रति क्विंटल हो गए।
अरहर की कीमतों में आज 50 से 150 रुपये प्रति क्विंटल की क्वालिटीनुसार तेजी आई। दिल्ली में लेमन के भाव 6,200 रुपये प्रति क्विंटल हो गए।
10 नवंबर 2020
बढ़े भाव में मांग कमजोर से बिनौला और कपास खली के दाम रुके, अभी तेजी नहीं
नई दिल्ली। बढ़े भाव में बिनौला और कपास खली में थोक बाजार में मांग कमजोर होने से इनके दाम रुक गए हैं, व्यापारियों के अनुसार खरीददार नीचे दाम पर खरीद करना चाह रहे थे, लेकिन मिलों ने भाव में कटौती नहीं की, इसलिए हाजिर में व्यापार सीमित मात्रा में ही हुआ। कॉटन कारर्पोरेशन आफ इंडिया, सीसीआई ने मंगलवार को हरियाणा के सिरसा में बिनौला का बिक्री भाव 2580-2600 रुपये से बढ़ाकर 2,620 से 2,660 रुपये प्रति क्विंटल तय किया, लेकिन हाजिर में मांग कमजोर होने से यार्न मिलों की बिक्री सीमित मात्रा में ही हुई।
व्यापारियों के अनुसार सीसीआई ने मंगलवार को हरियाणा में बिनौला के बिक्री भाव में बढ़ोतरी तो की, लेकिन हाजिर में ग्राहकी कमजोर ही रही। इससे हाजिर बाजार में दाम रुक गए, लेकिन इन भाव में मांग नहीं बढ़ पाई। सूत्रों के अनुसार मंगलवार को सीसीआई ने सिरसा में 2,620 से 2,660 रुपये की दर से 10,950 टन बिनौला की बिक्री की। औरंगाबाद में इस दौरान 2,470 रुपये के भाव पर 550 टन, गुंटूर में 2,400 रुपये के भाव पर 110 टन तथा आदिलाबाद में 2,420 के भाव पर 3,550 टन बिनौला बेचा। वारंगल और महबूबनगर में 2,300 रुपये प्रति क्विंटल की दर पर क्रमश: 1,560 और 2,430 टन बिनौला की बिक्री सीसीआई ने की।
हरियाणा के आदमपुर में मंंगलवार को बिनौला के एक्स फैक्ट्री भाव 2625 से 2685 रुपये प्रति क्विंटल पर स्थिर बने रहे, जबकि इस दौरान कपास खली के दाम 2225 रुपये प्रति क्विंटल बोले गए। सिरसा में कपास खली के भाव बढ़कर 2,160 से 2,200 रुपये और असंध में कपास खली का व्यापार 2,350 से 2,400 रुपये प्रति क्विंटल पर स्थिर बने रहे। कैथल में बिनौला के भाव में 30 रुपये का सुधार आरक भाव 2,370 से 2,510 रुपये प्रति क्विंटल हो गए। बरवाला में कपास खली का भाव 2,260 से 2,300 रुपये और उचाना में 2,350 से 2,420 रुपये तथा नरवाना में 2,350 से 2,420 रुपये प्रति क्विंटल पर स्थिर बने रहे।
राजस्थान के खैरथल में मंगलवार को बिनौला के भाव 2425-2500 रुपये प्रति क्विंटल पर टिके रहे, लेकिन इन भाव में ग्राहकी काफी कमजोर रही। व्यापारियों के अनुसार खरीददार नीचे दाम पर मांग कर रहे हैं।
बर्मा उड़द के भाव दिल्ली और चैन्नई में घटे, चना और मूंग में भी मंदा
नई दिल्ली। चैन्नई और दिल्ली में दाल मिलों की हाजिर मांग कमजोर होने से मंगलवार को बर्मा की उड़द की कीमतों में 25 से 50 रुपये प्रति क्विंटल की गिरावट दर्ज की गई। व्यापारियों के अनुसार हाजिर मांग कमजोर होने से भाव में मंदा आया है। हालांकि, दिल्ली में उड़द एसक्यू में हाजिर स्टॉक कम माना जा रहा है।
नेफेड ने 9 नवंबर को मध्य प्रदेश में 5,525-5,801 रुपये प्रति क्विंटल की दर पर खरीफ 2018 में खरीदी हुई उड़द की बिकवाली की। दालों में ग्राहकी कमजोर होने से मिलें केवल 50 फीसदी पेराई क्षमता पर ही चल रही है। होटल, रेस्त्रा के साथ ही ब्याह शादियों के साथ सामाजिक समारोह कम होने के कारण दालों में थोक ग्राहकी आधी रह गई है, तथा मांग में आई कमी के कारण ही दाल मिलें कटौती करने को मजबूर हुई हैं।
घरेलू बाजार में नई उड़द में दाल मिलों की कमजोर मांग बनी रही रहने के कारण लगातार दूसरे दिन मिलाजुला रुख देखा गया। हालांकि अभी भी उत्पादक मंडियों में नई फसल की आवक का दबाव नहीं बन पा रहा है, साथ ही अच्छी क्वालिटी की उड़द की आवक हल्की क्वालिटी के मुकाबले कम हो रही है।
चना और दाम दिल्ली और इंदौर में घटे
राजस्थान लाइन के चना के भाव घटकर दिल्ली में 5,150 से 5,175 रुपये और मध्य प्रदेश लाइन के चना के भाव घटकर 5,100 से 5,125 रुपये प्रति क्विंटल पर बंद हुए।
इंदौर में चना के भाव घटकर 5,100 से 5,125 रुपये प्रति क्विंटल रह गए। कनापुर में चना के भाव मध्य प्रदेश और राजस्थान लाइन के 5,125 प्रति क्विंटल रहे। इसमें 25 रुपये का मंदा आया।
मसूर के दाम कानुपर में 5,675 रुपये और मटर के दाम 6,725 रुपये प्रति क्विंटल रहे। जलगांव मंडी में चना चापा के भाव 5,650 रुपये और चना मिक्स के भाव 5,250 रुपये प्रति क्विंटल रहे। मूंग मध्य प्रदेश लाइन के भाव 6,900 रुपये और मूंग पोलिश के भाव 7,700 रुपये प्रति क्विंटल रहे।
09 नवंबर 2020
अरहर की कीमतों में 100 से 200 रुपये का मंदा, उड़द में गिरावट
नई दिल्ली। दाल मिलों की मांग कमजोर होने से सोमवार को घरेलू बाजार में लेमन अरहर के साथ ही देसी की कीमतों में 100 से 200 रुपये प्रति क्विंटल की गिरावट दर्ज की गई। उड़द के भाव में आज 50 रुपये प्रति क्विंटल का मदा आया।
व्यापारियों के अनुसार अरहर दाल में खुदरा में मांग काफी कमजोर रही।
अरहर की कीमतों पर दबाव बना हुआ है, क्योंकि नेफेड नियमित रूप से खरीफ 2019 के स्टॉक को 6,300 रुपये प्रति क्विंटल के दाम पर बेच रही है।
बर्मा की लेमन अरहर के भाव मुंबई में हाजिर डिलीवरी के भाव में आज 100 रुपये का मंदा आकर भाव 6,100 प्रति क्विंटल गए। इसी तरह आगे के व्यापार नवंबर डिलीवरी के लिए इसके भाव में 150 रुपये की गिरावट आकर भाव 6,025 रुपये प्रति क्विंटल रह गए।
पुरानी अरहर (2017-2018) में दाल मिलों की मांग कमजोर होने से आज दिल्ली में 200 रुपये की गिरावट आकर भाव 6,000 रुपये प्रति क्विंटल क्वालिटीनुसार रह गए। आगे के सौदों में, चेन्नई से नवंबर डिलीवरी के लिए अरहर के भाव 150 रुपये घटकर 5,800 रुपये प्रति क्विंटल रह गए।
बर्मा से लगभग 50,000 टन की अरहर की आवक भारत में (चेन्नई बंदरगाह) पर नवंबर के मध्य तक होने की उम्मीद है। इस बीच, मोजाम्बिक और सूडान से अरहर की नियमित आपूर्ति बनी रहेगी।
उड़द में भी गिरावट
बर्मा उड़द एसक्यू/एफएक्यू में दाल मिलों की मांग कमजोर होने से 50 रुपये प्रति क्विंटल की गिरावट दर्ज की गई। अन्य दालों की कीमतों में आई नरमी के कारण उड़द दाल में भी ग्राहकी कमजोर रही। इसी तरह, महाराष्ट्र लाईन की नई उड़द के साथ-साथ मध्य प्रदेश की पुरानी नाफेड की उड़द में भी 50 से 100 रुपये प्रति क्विंटल की गिरावट आई। चैन्नई में बर्मा उड़द एसक्यू के भाव 8,650 रुपये और एफएक्यू के भाव 8,450 रुपये प्रति क्विंटल रहे।
कपास का उत्पादन अनुमान 356 लाख गांठ, पिछले साल से 1.11 फीसदी कम - सीएआई
नई
दिल्ली। चालू फसल सीजन 2020-21 में बुआई में हुई बढ़ोतरी के बावजूद कई
राज्यों में भारी बारिश और बाढ़ से हुए नुकसान के कारण कपास के उत्पादन में
1.11 फीसदी की कमी आकर कुल उत्पादन 356 लाख टन गांठ (एक गांठ-170 किलो)
होने का अनुमान है जबकि पिछले साल 360 लाख गांठ का उत्पादन हुआ था।
कॉटन
एसोसिएशन आफ इंडिया (सीएआई) के पहले आरंभिक अनुमान के अनुसार चालू फसल
सीजन में प्रमुख उत्पादक राज्य गुजरात में कपास का उत्पादन घटकर 92 लाख
गांठ ही होने का अनुमान है, जबकि पिछले साल राज्य में 95 लाख गांठ का
उत्पादन हुआ था। इसी तरह से महाराष्ट्र में कपास का उत्पादन पिछल साल के 87
लाख गांठ से घटकर 85 लाख गांठ और तेलंगाना में पिछले साल के 52 लाख गांठ
से घटकर 48 लाख गांठ ही होने का अनुमान है। कर्नाटक में चालू सीजन में कपास
का उत्पादन बढ़कर 26 लाख गांठ होने का अनुमान है जबकि पिछले साल राज्य में
केवल 20 लाख गांठ का उत्पादन ही हुआ था।
अन्य राज्यों मध्य प्रदेश में
कपास का उत्पादन अनुमान 21 लाख गांठ होने का है जबकि पिछले साल राज्य में
18 लाख गांठ का ही उत्पादन हुआ था। उत्तर भारत के राज्यों पंजाब, हरियाणा
और राजस्थान में चालू सीजन में 60 लाख गांठ कपास के उत्पादन का अनुमान है
जबकि इन राज्यों में पिछले साल 63 लाख गांठ का उत्पादन हुआ था। तमिलनाडु
में पांच लाख गांठ, ओडिशा में 4 लाख गांठ और अन्य राज्यों में एक लाख गांठ
कपास के उत्पादन का अनुमान है।
सीएआई के अनुसार पहली अक्टूबर 2020 से
शुरू हुए चालू सीजन में 31 अक्टूबर तक मंडियों में 27.16 लाख गांठ कपास की
आवक हो चुकी है। कॉटन कारर्पोरेशन आफ इंडिया (सीसीसआई) 7 नवंबर तक
10,22,074 लाख गांठ कपास की खरीद कर चुकी है।
सीएआई के अनुसार चालू फसल
सीजन 2020-21 में कपास का निर्यात बढ़कर 60 लाख गांठ होने का अनुमान है
जबकि पिछले सीजन में केवल 50 लाख गांठ का ही निर्यात हुआ था। कपास का आयात
चालू सीजन में घटकर 14 लाख गांठ ही होने का अनुमान है जबकि पिछले सीजन में
15.50 लाख गांठ का निर्यात हुआ था।
देशभर की 150 चीनी मिलों ने गन्ने की पेराई आरंभ की, चार लाख टन हो चुका है उत्पादन
नई दिल्ली। पहली अक्टूबर 2020 से शुरू हुए चालू पेराई सीजन (अक्टूबर से सितंबर) के दौरान देशभर में 149 चीनी मिलों ने गन्ने की पेराई आरंभ कर दी है, तथा पांच नवंबर तक 4.25 लाख टन चीनी का उत्पादन हो चुका है जोकि बीते पेराई सीजन की समान अवधि के 1.05 लाख टन से ज्यादा है।
नेशनल फेडरेशन ऑफ को-ऑपरेटिव शुगर फैक्टरीज (एनएफसीएसएफ) के अनुसार पिछले पेराई सीजन में इस समय तक केवल 39 चीनी मिलों ने ही पेराई आरंभ की थी। एनएफसीएसएफ के अनुसार महाराष्ट्र में 61 चीनी मिलों ने गन्ने की पेराई आरंभ कर दी है तथा अभी तक राज्य में 1.65 लाख टन चीनी का उत्पादन हो चुका है। उत्तर प्रदेश में 50 चीनी मिलों में पेराई आरंभ हो गई है, तथा पांच नवंबर तक राज्य में 80,000 टन चीनी का उत्पादन हो चुका है।
उद्योग के अनुसार चालू पेराई सीजन 2020-21 में देशभर में चीनी का उत्पादन 311 लाख टन होने का अनुमान है, जबकि ओपनिंग स्टॉक 107.18 लाख टन है। इस प्रकार सीजन के दौरान चीनी की कुल उपलब्धता 418.18 लाख टन रहने का अनुमान है, जबकि घरेलू खपत 255 से 260 लाख टन की रहने का अनुमान है। महाराष्ट्र में चालू पेराई सीजन में चीनी का उत्पादन 95 लाख टन होने को अनुान है, जोकि पिछले पेराई सीजन से 33.30 लाख टन अधिक है। पिछले साल सूखे और बाढ़ से गन्ने की फसल को भारी नुकसान हुआ था। उत्तर प्रदेश में चालू सीजन में 123 लाख टन चीनी के उत्पादन का अनुमान है, जबकि पिछले पेराई सीजन में उत्तर प्रदेश में चीनी का उत्पादन 126.35 लाख टन हुआ था।
07 नवंबर 2020
फ्लोर मिलों की कमजोर मांग से गेहूं में तेजी नहीं, उत्पादों में उठाव कमजोर
नई दिल्ली। गेहूं उत्पादों में त्यौहार सीजन के बावजूद भी मांग कमजोर बनी हुई है, इसलिए इसके भाव में सुधार नहीं आ पा रहा है। व्यापारियों के अनुसार गेहूं का कारोबार फ्लोर मिलों की सीमित मांग होने के कारण अभी तक मंदी के माहौल से बाहर नहीं आ सका है क्योंकि सरकार की नीतियों को लेकर चिंता बनी हुई है। शनिवार को दिल्ली और राजस्थान में गेहूं की कीमतें स्थिर बनी रहीं लेकिन मध्य प्रदेश और उत्तर प्रदेश की मंडियों में मिलाजुला रुख देखा गया। भोपाल और बरेली में कीमतों में तेजी आई लेकिन कानपुर और इंदौर में मंदा रहा।
उड़द और अरहर के साथ मसूर की कीमतों में नरमी, दाल मिलों की मांग कमजोर
नई दिल्ली। दाल मिलों की मांग कमजोर होने से दिल्ली के नया बाजार में शनिवार को अरहर, उड़द के आगे सौदों में गिरावट दर्ज की गई। पुरानी अरहर के भाव आज दिल्ली में 6,250 रुपये प्रति क्विंटल पर स्थिर बने रहे।
आगे के सौदों में, चेन्नई से नवंबर डिलीवरी के लिए अरहर के भाव में 75 रुपये का मंदा आकर दिल्ली में 5,950 रुपये प्रति क्विंटल पर कारोबार हुआ। खरीदार आगे के सौदे कम कर रहे हैं, तथा हाजिर में व्यापार हो रहा है।
वायदा सौदों में, चेन्नई से नवंबर डिलीवरी के लिए अरहर में 75 रुपये की गिरावट के साथ 5,950 रुपये पर बंद हुई, क्योंकि नेफेड ने खरीफ 2019 स्टॉक 6,300 रुपये प्रति क्विंटल या उससे अधिक पर बेचा।
बर्मा उड़द एसक्यू/एफएक्यू में दाल मिलों की मांग कमजोर होने से 50 रुपये प्रति क्विंटल की गिरावट दर्ज की गई। अन्य दालों की कीमतों में आई नरमी के कारण उड़द दाल में भी ग्राहकी कमजोर रही।
इसी तरह, महाराष्ट्र लाईन की नई उड़द के साथ-साथ मध्य प्रदेश की पुरानी नाफेड की उड़द में भी 50 से 100 रुपये प्रति क्विंटल की गिरावट आई।
दाल मिलों की कमजोर मांग से आज मध्य प्रदेश के इंदौर में मसूर की कीमतों में 50 रुपये की गिरावट आई, हालांकि बीना और खुरई के बाजारों में भाव में 25-50 रुपये प्रति प्रति क्विंटल की तेजी आई।
धान के भाव में हल्का सुधार, अभी बड़ी तेज नहीं, एमएसपी पर खरीद 243 लाख टन से ज्यादा
नई दिल्ली। चावल मिलों के साथ ही स्टॉकिस्टों की मांग बढ़ने से शनिवार को पंजाब, हरियाणा के साथ ही दिल्ली की नरेला मंडी में धान के भाव में 25 से 50 रुपये प्रति क्विंटल की तेजी आई। व्यापारियों के अनुसार अभी उत्पादक मंडियों में धान की दैनिक आवक ज्यादा हो रही है तथा चालू महीने में आवकों का दबाव बना रहने का अनुमान है। इसलिए अभी इनके भाव में बड़ी तेजी की संभावना नहीं है।
चालू खरीफ विपणन सीजन में भारतीय खाद्य निगम (एफसीआई) न्यूनतम समर्थन मूल्य पर 243.13 लाख टन धान की खरीद कर चुकी है जोकि पिछले साल की समान अवधि के 203.60 लाख टन से 19.42 फीसदी ज्यादा है। अभी तक खरीद में पंजाब की हिस्सेदारी 171.09 लाख टन की है।
दिल्ली की नरेला मंडी में शनिवार को धान की आवक बढ़कर 48 से 50 हजार बोरियों की हुई तथा मंडी में पूसा 1,121 धान के भाव में 50 रुपये की तेजी आकर भाव 2400-2650 रुपये प्रति क्विंटल हो गए। व्यापारियों के अनुसार स्थानीय मिलों के साथ ही स्टॉकिस्टों की मांग में हल्का सुधार तो आया है, लेकिन जिस तरह से मंडियों में दैनिक आवक ज्यादा हो रही है, उससे मौजूदा भाव में ज्यादा तेजी की उम्मीद नहीं है। नवंबर में उत्पादक मंडियों में धान की दैनिक आवक अच्छी रहेगी, लेकिन दिसंबर में आवकों में कमी आने का अनुमान है।
पंजाब की अमृतसर मंडी में शनिवार को धान की आवक करीब 48 से 50 हजार बोरियों की हुई तथा मंडी में धान के भाव 25 से 50 रुपये प्रति क्विंटल का सुधार आया। धान व्यापारी साहिब सिंह ने बताया कि हाथ की कटाई के धान में मिलों की मांग अच्छी है जबकि इसकी आवक कम है। उन्होंने बताया कि मंडी में आ रहे कुल धान में कंबाईन के माल 65 से 70 फीसदी आ रहे हैं, तथा कंबाईन की कटाई के धान के भाव में अंतर 150 से 200 रुपये प्रति क्विंटल का है।
पंजाब की तरनतारण मंडी में शनिवार को धान की आवक करीब 58 से 60 हजार बोेरियों की हुई जबकि 1,121 का भाव 2,600 से 2,700 रुपये और हाथ की कटाई के धान का भाव 2,750 से 2,900 रुपये प्रति क्विंटल तक बोला गया। डीपी 1,401 के भाव मंडी में 2,500 रुपये और 1,509 से 1,800 से 1,950 रुपये प्रति क्विंटल रहे।
रबी फसलों की शुरूआती बुआई 18.78 फीसदी बढ़ी, दलहन की ज्यादा, तिलहन की कम
नई दिल्ली। रबी की फसलों की बुआई शुरूआती चरण में 18.78 फीसदी बढ़कर 100.93 लाख हेक्टेयर में हो चुकी है जबकि पिछले साल की समान अवधि में बुआई 84.97 लाख हेक्टेयर में ही हो पाई थी।
कृषि मंत्रालय के अनुसार 6 नवंबर तक देशभर में दालों की बुआई में जहां 46.95 फीसदी की भारी बढ़ोतरी हुई है, वहीं तिलहनी फसलों की बुआई पिछले साल की तुलना में पिछड़ रही है।
रबी की प्रमुख फसल गेहूं की बुआई बढ़कर चालू रबी में 16.94 लाख हेक्टेयर में हो चुकी है जबकि पिछले साल इस समय तक केवल 9.72 लाख हेक्टेयर में ही बुआई हो पाई थी।
रबी दलहन की बुआई चालू सीजन में बढ़कर 36.43 लाख हेक्टेयर में हो चुकी है जबकि पिछले साल इस समय तक इसकी बुआई 24.79 लाख हेक्टेयर में ही हो पाई थी। रबी दलहन की प्रमुख फसल चना की बुआई बढ़कर 25.10 लाख हेक्टेयर में हो चुकी है जबकि पिछले साल इस समय तक इसकी बुआई 17.48 लाख हेक्टेयर में ही हुई थी।
तिलहनी फसलों की बुआई चालू रबी में अभी तक केवल 32.83 लाख हेक्टेयर में ही हुई है जबकि पिछले साल इस समय तक 33.01 लाख हेक्टेयर में बुआई हो चुकी थी। रबी तिलहन की प्रमुख फसल सरसों की बुआई 31.15 लाख हेक्टेयर में हुई है जबकि पिछले साल इस समय तक 31.17 लाख हेक्टेयर में बुआई हो चुकी थी।
05 नवंबर 2020
दिल्ली में अरहर, उड़द, राजमा और आयातित मसूर बढ़ी, चना में नरमी
नई दिल्ली। दाल मिलों की नीचे भाव में मांग निकलने से दिल्ली के नया बाजार में गुरूवार को अरहर, उड़द के साथ ही राजमा और कनाडा की मसूर में तेजी दर्ज की गई।
दिल्ली में शाम को चना की कीमतों में 25 से 50 रुपये की गिरावट आकर भाव राजस्थान लाइन के 5,150 से 5,175 रुपये और मध्य प्रदेश लाइन के 5,100 से 5,125 रुपये प्रति क्विंटल रह गए।
कानपुर में मध्य प्रदेश लाईन के चना के भाव 5025 रुपये और यूपी लाईन के चना के भाव 5,025 रुपये प्रति क्विंटल रहे, आज इनमें 50 रुपये की तेजी आई।
पुरानी अरहर में नीचे भाव में मांग बढ़ने से आज दिल्ली में 200 रुपये की तेजी आकर भाव 6,250 रुपये प्रति क्विंटल हो गए। इसी तरह आगे के सौदों में, चेन्नई से नवंबर डिलीवरी के लिए अरहर के भाव बढ़कर 6,200 रुपये प्रति क्विंटल हो गए।
चैन्नई में बिकवाली कम आने से दिल्ली में बर्मा उड़द एफएक्यू और एसक्यू की कीमतों में आज 100 रुपये प्रति क्विंटल की तेजी दर्ज की गई। इसी तरह, महाराष्ट्र लाईन की नई उड़द के साथ-साथ मध्य प्रदेश की पुरानी नाफेड की उड़द में भी 100 रुपये प्रति क्विंटल की तेजी आई।
दाल मिलों की हाजिर मांग बढ़ने से कनाडा की मसूर की कीमतों में आज दिल्ली में 25 रुपये की तेजी दर्ज की गई, जबकि मध्य प्रदेश लाइन की मसूर के दाम स्थिर बने रहे।
चीन की चित्रा राजमा के साथ ही मद्रास लाईन की नई शर्मीली छोटी किस्म की राजमा की कीमतों में 200 रुपये प्रति क्विंटल की तेजी दर्ज की गई। महाराष्ट्र के पुणे और सतारा में फसल को नुकसान के साथ ही क्वालिटी हल्की होने के कारण आवकों का दबाव नहीं बन पा रहा है। दूसरी ओर, सीमावर्ती मुद्दों के कारण चीन से आवक नहीं के बराबर हो रही है। इसके अलावा, विदेशी बाजार में फसल कम होने के समाचार है।
04 नवंबर 2020
नेफेड कल से चना की बिक्री शुरू करेगा, दिल्ली में अरहर और मसूर में नरमी
नई दिल्ली। नेफेड पांच नवंबर से चना की बिक्री शुरू करेगा। चना की बिक्री केवल मुंबई, बंगलुरु और हैदराबाद में की जायेगी तथा मध्य प्रदेश, राजस्थान और गुजरात में अभी बिक्री शुरू नहीं होगी।
दाल मिलों की कमजोर मांग से दिल्ली के नया बाजार में बुधवार को अरहर के साथ ही मध्य प्रदेश लाइन की देसी मसूर में मंदा आया लेकिन कनाडा की मसूर में ग्राहकी अच्छी होने से भाव बढ़ गए।
पुरानी अरहर (2017-2018) में मांग कमजोर होने से आज दिल्ली में 50 रुपये की गिरावट आकर भाव 6,150 रुपये प्रति क्विंटल रह गए। इसकी क्वालिटी काफी हल्की बताई जा रही है। इसी तरह आगे के सौदों में, चेन्नई से नवंबर डिलीवरी के लिए अरहर की कीमत 50 रुपये की गिरावट आकर भाव 5,900 रुपये प्रति क्विंटल रह गए। खरीदार आगे के सौदे कम कर रहे हैं, तथा हाजिर में व्यापार हो रहा है।
केंद्र सरकार ने 15 नवंबर, 2020 से 4 लाख मीट्रिक टन के अरहर आयात के लिए आयात की समय सीमा को 31 दिसंबर 2020 तक बढ़ा दिया। इससे आगे विदेशी मालों की आपूर्ति बढ़ेगी। साथ ही केंद्र सरकार ने मोजाम्बिक के साथ अगले पांच साल के लिए अरहर के आयात के लिए द्विपक्षीय समझौता किया है, इसके तहत देश में हर साल 200,000 टन अरहर का आयात होगा। इसके अलावा, केंद्र सरकार बफर स्टॉक से दो लाख टन अरहर अगले 15 दिनों में खुले बाजार में बेचेगी।
बाजार सूत्रों के अनुसार, नेफेड ने अरहर की नीचे दाम की निविदा को आज खारिज कर दिया।
दाल मिलों की हाजिर मांग बढ़ने से कनाडा की मसूर की कीमतों में आज दिल्ली में 50 रुपये की तेजी दर्ज की गई, लेकिन मध्य प्रदेश लाइन की मसूर में ग्राहकी कमजोर होने से भाव 75 रुपये प्रति क्विंटल घट गए।
व्यापारियों का अनुमान - सरसों का बकाया स्टॉक 15.50 लाख टन
नई दिल्ली। अक्टूबर 2020 अंत तक देश में सरसों का बकाया स्टॉक केवल 15.50 लाख टन का ही बचा हुआ है। अक्टूबर में सरसों की आवक 3.90 लाख टन की हुई, जबकि सितंबर 2020 में आवक 4 लाख टन की हुई थी। माना जा रहा है कि अक्टूबर में 6 लाख टन सरसों की पेराई हुई है।
जयपुर स्थित फर्म मरुधर ट्रेडिंग एजेंसी की रिपोर्ट के अनुसार, चालू सीजन में सरसों की कुल उपलब्धता 74 लाख टन की थी, जिसमें पिछले साल का बकाया 5 लाख टन भी शामिल है। अत: चालू सीजन में कुल उत्पादन लगभग 69 लाख टन का होने का अनुमान है। जबकि सबसे पहले सरसों का आरंभिक उत्पादन अनुमान 76 लाख टन का था लेकिन बाद में इसे घटाकर 72 लाख टन कर दिया, जबकि अंत में इसका उत्पादन अनुमान केवल 69 लाख टन माना गया।
रिपोर्ट के अनुसार विभिन्न उत्पादक राज्यों की मंडियों में मार्च से अक्टूबर तक लगभग 60.05 लाख टन सरसों की आवक हुई। नई फसल की आवक के समय उत्पादक राज्यों की मंडियों में आवक ज्यादा रही तथा मार्च, अप्रैल, मई और जून के दौरान क्रमशः 7.25 लाख टन, 9.8 लाख टन, 14.50 लाख टन और 10.65 लाख टन की आवक दर्ज की गई। सरसों की पेराई और खपत मई से अगस्त (प्रत्येक माह 8 लाख टन) के दौरान ज्यादा हुई थी। मार्च में पेराई 7.5 लाख टन, अप्रैल में 6.50 लाख टन, सितंबर में 6.5 लाख टन और अक्टूबर में 6 लाख टन की हुई।
मालूम हो कि अप्रैल से अगस्त के दौरान सरसों के तेल की खपत ज्यादा हुई क्योंकि कोविड -19 महामारी में बचाव के कारण इसकी खरीद ज्यादा हुई। उत्पादन अनुमान कम और खपत ज्यादा होने के कारण सरसों की कीमतों में तेजी जारी है तथा जयपुर में मंगलवार को इसके भाव बढ़कर 6300 रुपये प्रति क्विंटल पर पहुंच गए। फूड सेफ्टी एंड स्टैंडर्ड्स अथॉरिटी ऑफ इंडिया (एफएसएसएआई) के हालिया आदेश सरसों के तेल में अन्य सस्ते तेल की मिलावट पर प्रतिबंध लगाने के कारण भी अक्टूबर में कीमतों में तेजी बनी। पहली अक्टूबर को जयपुर में सरसों का भाव 5630-5635 प्रति क्विंटल (42 फीसदी कंडीशन) था तथा अक्टूबर में इसके भाव में करीब 12 फीसदी की तेजी आई है।
अब, जनवरी तक अगले 3 महीनों की खपत के लिए सरसों के बकाया स्टॉक का अनुमान 15.5 लाख टन है तथा नई फसल फरवरी में मंडियों में पहुंचेगी इसलिए घरेलू बाजार को जनवरी तक मौजूदा स्टॉक पर निर्भर रहना होगा। रिपोर्ट के आंकड़ों के अनुसार, 31 अक्टूबर को किसानों के पास 8.4 लाख टन का स्टॉक था। इसके अलावा नेफेड, हैफेड और तेल मिलों के पास क्रमशः 2.75 लाख टन, 0.65 लाख टन और 3.70 लाख टन का स्टॉक बचा हुआ है। अत: उत्पादन कम होने के साथ ही अधिक खपत होने के कारण नई फसल के समय बकाया स्टॉक नाममात्र का ही बचने का अनुमान है।
03 नवंबर 2020
सरकार ने एफसीआई को दिया पोषक तत्व युक्त चावल की आपूर्ति बढ़ाने का निर्देश
नई दिल्ली। केंद्रीय उपभोक्ता मामले, खाद्य एवं सार्वजनिक वितरण मंत्रालय ने मंगलवार को बताया कि सरकार ने राशन की दुकानों के जरिए पोषक तत्व युक्त चावल (फोर्टिफाइड राइस) आपूर्ति बढ़ाने के लिए भारतीय खाद्य निगम (एफसीआई) को राइस मिलों को जोड़ने का निर्देश दिया गया है।
मंत्रालय की ओर से जारी एक बयान में कहा गया है कि खासतौर से देश के 112 चिन्हित आकांक्षी जिलों में फोर्टिफाइड राइस की आपूर्ति किए जाने पर विशेष जोर दिया जाएगा। खाद्य एवं सार्वजनिक वितरण विभाग द्वारा इसके लिए केंद्र द्वारा प्रायोजित एक पालयट परियोजना चलाई गई है। पायलट परियोजना 2019-20 में 174.6 करोड़ रुपये के कुल बजट के साथ तीन साल के लिए शुरू की गई और चिन्हित किए गए 15 राज्यों में पांच राज्यों के संबद्ध चिन्हित जिलों मूें पहले ही शुरू हो चुकी है। इन पांच राज्यों में आंधप्रदेश, गुजरात, महाराष्ट्र, तमिलनाडु और छत्तीसगढ़ शामिल हैं।
मंत्रालय ने बताया कि इस सिलसिल में मंगलवार को नीति आयोग के सीईओ अमिताभ कांत और खाद्य एवं सार्वजनिक वितरण विभाग के सचिव सुधांशु पांडेय, एफएसएसएआई के सीईओ और अन्य हितधारक जैसे टाटा ट्रस्ट, वर्ल्ड फूड प्रोग्राम, न्यूट्रीशन इंटरनेशनल व अन्य के बीच एक बैठक हुई, जिसमें केंद्र की इस स्कीम को बढ़ावा देने पर विचार-विमर्श किया गया।
मंत्रालय द्वारा जारी बयान के अनुसार, पोषक युक्त चावल की गरी (फोर्टिफाइड राइस कर्नल यानी एफआरके) की आपूर्ति बढ़ाने की जरूरत महसूस की गई, क्योंकि वर्तमान में इसकी सालाना उपलब्धता सिर्फ 15,000 टन है।
मंत्रालय ने कहा कि इस संबंध में जरूरी निवेश के लिए एफसीआई को विभिन्न क्षेत्रों में चावल की मिलों को जोड़ने के लिए कहा गया है। मंत्रालय ने कहा कि सार्वजनिक वितरण प्रणाली (पीडीएस), बाल विकास सेवा (आईसीडीएस) और मिड-डे मील (एमडीएम) योजना के तहत 112 जिलों के लिए 130 लाख टन फोर्टिफाइड राइस की जरूरत होगी, जिसके लिए एफआरके आपूर्ति बढ़ाकर करीब 1.3 लाख टन करने की जरूरत है।
अगर, पीडीएस की पूरी जरूरत के चावल की आपूर्ति की बात करें तो वह करीब 350 लाख टन है, जिसके लिए उद्योग से करीब 3.5 लाख टन एफआरके की आपूर्ति की जरूरत होगी। सामान्य चाल के साथ एफआरके के मिश्रण के लिए देश में करीब 28,000 राइस मिलों को ब्लेंडिंग मशीन से युक्त करने की जरूरत होगी।
हाल ही में केंद्रीय उपभोक्ता मामले, खाद्य एवं सार्वजनिक वितरण मंत्री पीयूष गोयल ने भी इस स्कीम की समीक्षा करते हुए देश में फोर्टिफाइड राइस की आपूर्ति बढ़ाने पर जोड़ दिया। उन्होंने 2021-2022 से देश में आईसीडीएस और एमडीएम स्कीम के तहत और खासतौर से चिन्हित 112 आकांक्षी जिलों में फोर्टिफाइड राइस वितरण के लिए एफसीआई को व्यापक योजना बनाने का निर्देश दिया।
02 नवंबर 2020
बिनौला के साथ ही कपास खल कीमतों में 100 रुपये का मंदा, हाजिर में ग्राहकी कमजोर
आर एस राणा
नई दिल्ली। हाजिर में ग्राहकी कमजोर होने के साथ ही कॉटन कारर्पोरेशन आफ इंडिया, सीसीआई के बिनौला की बिक्री करने से हाजिर बाजार में बिनौला के साथ ही कपास खली की कीमतों पर दबाव बना हुआ है। हरियाणा के साथ ही राजस्थान की मंडियों में आज इनके भाव में 100 रुपये प्रति क्विंटल का मंदा आया, तथा घटे भाव में भी हाजिर में ग्राहकी नहीं बढ़ा पा रही है।
व्यापारियों के अनुसार सीसीआई के पास उत्तर भारत के राज्यों में बिनौले का स्टॉक ज्यादा है, जिस कारण सीसीआई की बिकवाली लगातार बनी हुई है। इसी का असर कीमतों पर पड़ रहा है। कॉटन कारर्पोरेश आफ इंडिया, सीसीआई चालू खरीफ में पंजाब, हरियाणा, राजस्थान और मध्य प्रदेश और तेलंगाना से न्यूनतम समर्थन मूल्य पर 6,33,719 गांठ (एक गांठ-170 किलो) कपास की खरीद कर चुकी है। अभी तक हुई खरीद में सबसे ज्यादा पंजाब, हरियाणा और राजस्थान की हिस्सेदारी है।
हरियाणा के आदमपुर में सोमवार को बिनौला और कपास खली की कीमतों में 100 रुपये प्रति क्विंटल का मंदा आया। बिनौला के एक्स फैक्ट्री भाव घटकर 2500 से 2560 रुपये प्रति क्विंटल रह गए, इस दौरान कपास खली के दाम घटकर 2,100 रुपये प्रति क्विंटल बोले गए। फतेहाबाद में कपास खली के भाव 2,040 रुपये और उचाना में 2,130 रुपये प्रति क्विंटल बोले गए। सिरसा में लूज में बिनौला का व्यापार 2,540 रुपये प्रति क्विंटल के भाव पर हुआ।
राजस्थान के खैरथल में सोमवार को बिनौला के भाव घटकर 2,300 से 2,350 रुपये प्रति क्विंटल रह गए। व्यापारियों के अनुसार घटे भाव में भी ग्राहकी नहीं बढ़ पा रही है। हालांकि उन्होंने माना कि आगे जैसे जैसे सर्दी बढ़ेगी, बिनौले और कपास खली की मांग में भी सुधार आयेगा।............आर एस राणा
दाल मिलों की कमजोर मांग से दिल्ली में अरहर, उड़द एवं कनाडा की मसूर में मंदा
आर एस राणा
नई दिल्ली। दाल मिलों की कमजोर मांग से दिल्ली के नया बाजार में सोमवार को अरहर, उड़द और कनाडा की मसूर में मंदा आया।
पुरानी अरहर (2017-2018) में मांग कमजोर होने से आज दिल्ली में 200 रुपये की गिरावट आकर भाव 6,300 रुपये प्रति क्विंटल रह गए। इसकी क्वालिटी काफी हल्की बताई जा रही है, जबकि अन्य बाजारों में भी गिरावट का रुख रहा।
इसी तरह आगे के सौदों में, चेन्नई से नवंबर डिलीवरी के लिए अरहर की कीमत 100 रुपये की गिरावट आकर भाव 6,100 रुपये प्रति क्विंटल रह गए। खरीदार आगे के सौदे कम कर रहे हैं, तथा हाजिर में व्यापार हो रहा है।
केंद्र सरकार ने 15 नवंबर, 2020 से 4 लाख मीट्रिक टन के अरहर आयात के लिए आयात की समय सीमा को 31 दिसंबर 2020 तक बढ़ा दिया। इससे आगे विदेशी मालों की आपूर्ति बढ़ेगी।
सूत्रों के अनुसार नेफेड ने आज महाराष्ट्र में खरीफ 2019 अरहर की 6,604-6,650 रुपये प्रति क्विंटल की निविदा को मंजूरी दी।
चैन्नई में कीमतों में आई गिरावट के आरण आज बर्मा नई उड़द एफएक्यू और एसक्ययू की कीमतों में आज दिल्ली में 50 से 100 रुपये प्रति क्विंटल की गिरावट दर्ज की गई।
इसी तरह, महाराष्ट्र लाईन की नई उड़द भी 100 रुपये घटकर 7,800 रुपये प्रति क्विंटल रह गई। जबकि मध्य प्रदेश की पुरानी नेफेड की उड़द के भाव 7,000 रुपये प्रति क्विंटल पर स्थिर बने रहे।
मिलों की हाजिर मांग कम होने से कनाडा की मसूर के भाव में दिल्ली में आज भी 25 रुपये प्रति क्विंटल की गिरावट दर्ज की गई जबकि मध्य प्रदेश की मसूर के भाव स्थिर बने रहे।
व्यापारियों के अनुसार, आयातित मसूर की उपलब्धता ज्यादा है, साथ में मसूर दाल में ग्राहकी सीमित मात्रा में ही आ रही है। केंद्र सरकार ने 10 फीसदी के आयात शुल्क पर मसूर के आयात की अविध को बढ़ाकर 31 दिसंबर 2020 कर दिया है, जिससे कीमतों पर दबाव है।...........आर एस राणा