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12 सितंबर 2020

चीनी मिलों पर किसानों का बकाया 16,000 करोड़ रुपये - खाद्य मंत्रालय

आर एस राणा
नई दिल्ली। चालू पेराई सीजन 2019-20 में चीनी का रिकॉर्ड निर्यात होने से भी गन्ना उत्पादक किसानों को राहत नहीं मिल पाई है, क्योंकि देशभर के गन्ना किसानों की चीनी मिलों पर बकाया राशि अभी भी 16,000 करोड़ रुपये से ज्यादा है।
बकाया में सबसे ज्यादा हिस्सेदारी उत्तर प्रदेश के किसानों की 11,000 करोड़ रुपये से अधिक है। चीनी उद्योग गन्ना किसानों का भुगतान करने के लिए केंद्र सरकार से मिलने वाली निर्यात एवं बफर स्टॉक अनुदान के भुगतान की राह देख रहा है। केंद्रीय उपभोक्ता, खाद्य एवं सार्वजनिक वितरण मंत्रालय के तहत आने वाले खाद्य विभाग से मिले आंकड़ों के अनुसार, दो सितंबर 2020 तक देशभर की चीनी मिलों पर किसानों का बकाया 16,773 करोड़ रुपये था जिसमें उत्तर प्रदेश के किसानों का बकाया 11,024 करोड़ रुपये है। इसके बाद दूसरे नंबर पर सबसे ज्यादा तमिलनाडु के किसानों का बकाया 1,767 करोड़ रुपये है जबकि तीसरे स्थान पर गुजरात में 924 करोड़ रुपये है।
अन्य राज्यों में बिहार में चीनी मिलों पर किसानों का बकाया 373 करोड़ रुपये, हरियाणा में 513 करोड़ रुपये, पंजाब में 399 करोड़ रुपये, उत्तराखंड में 708 करोड़ रुपये, आंध्रप्रदेश में 86 करोड़ रुपये, तेलंगाना में 19 करोड़, महाराष्ट्र में 511 करोड़, कर्नाटक में 232 करोड़, पुडुचेरी 21 करोड़, छत्तीसगढ़ में 111 करोड़, ओडिशा में तीन करोड़, मध्यप्रदेश में 80 करोड़ और गोवा में दो करोड़ रुपये है।
देश से चालू पेराई सीजन 2019-20 (अक्टूबर-सितंबर) में करीब 56 लाख टन चीनी का निर्यात हुआ है, जोकि अब तक का रिकॉर्ड है और उद्योग को 60 लाख टन निर्यात के लक्ष्य को हासिल करने की उम्मीद थी। उद्योग संगठन इंडियन शुगर मिल्स एसोसिएशन (इस्मा) के महानिदेशक अविनाश वर्मा के अनुसार गुजरात में बाढ़ आने के कारण निर्यात प्रभावित हुआ है, जिससे सीजन के आखिर में 30 सितंबर तक अब ज्यादा से ज्यादा एक-दो लाख टन और निर्यात हो सकता है।
चालू पेराई सीजन 2019-20 (अक्टूबर-सितंबर) में अधिकतम स्वीकार्य निर्यात परिमाण (एमएईक्यू) के तहत कुल 60 लाख टन चीनी के निर्यात का कोटा तय किया गया है, जिस पर सरकार निर्यात करने वाली चीनी मिलों को 10,448 रुपये प्रति टन की दर से सब्सिडी दे रही है। यह स्कीम सीजन के आखिर में 30 सितंबर को समाप्त हो रही है। वर्मा ने बताया कि उद्योग संगठन ने सरकार से इस स्कीम को अगले साल 2020-21 में भी जारी रखने की मांग की है। गन्ना किसानों के दाम के भुगतान नहीं होने के संबंध में पूछे जाने पर उन्होंने कहा कि चीनी मिलें निर्यात अनुदान और बफर स्टॉक अनुदान सरकार से मिलने की राह देख रही है।............  आर एस राणा

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