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28 अगस्त 2019

ई-कॉमर्स कंपिनयों के लिए उपभोक्ता संरक्षण कानून के तहत दिशानिर्देश होंगे अनिवार्य-पासवान

आर एस राणा
नई दिल्ली। उपभोक्ता हितों की रक्षा के लिए नए उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम के तहत ई-कॉमर्स कंपनियों के लिए तैयार किए गए दिशानिर्देशों को अनिवार्य किया जाएगा तथा उल्लंघनकर्ताओं के खिलाफ नियामक प्राधिकरण द्वारा कड़ी कार्रवाई की जायेगी। ई-कॉमर्स के लिए दिशानिर्देशों का प्रारुप राज्यों को भेजा गया है।
खाद्य एवं आपूर्ति उपभोक्ता मामलों के मंत्री राम विलास पासवान ने मंगलवार को दिल्ली में कहा कि देश में ई-कॉमर्स कारोबार तेजी से बढ़ रहा है, तथा बड़ी संख्या में लोग इससे सामान मंगाते हैं। कई बार ग्राहकों के साथ अनियमितता बरती जाती है और इससे लोगों को परेशानी होती है। उन्होंने कहा कि उपभोक्ता संरक्षण कानून से संबंधित नियम इस वर्ष दिसम्बर तक तैयार हो जायेंगे। उन्होंने कहा कि इस विधेयक को संसद के पिछले सत्र में पारित किया गया था। सांसदों के साथ विचार-विमर्श के बाद संवाददाता सम्मेलन में उन्होंने कहा कि नियमों को लेकर सुझाव देने के लिए लोगों को 15 दिसंबर तक का समय दिया गया है। कानून के अनुरुप ही नियम बनाये जायेंगे।
उन्होंने कहा कि ई-कॉमर्स पर दिशानिर्देशों को नए उपभोक्ता संरक्षण कानून के तहत नियमों का हिस्सा बनाया जाएगा। पासवान ने कहा कि प्रत्येक सांसद का मानना है कि नए कानून के तहत ई-कॉमर्स गाइडलाइन को नियमों के हिस्से के रूप में शामिल किया जाना चाहिए। हम उनके सुझावों को स्वीकार करेंगे।
केंद्रीय उपभोक्ता संरक्षण प्राधिकरण के पास कार्यवाही का अधिकार
प्रमुख दिशानिर्देशों के बीच ई-कॉमर्स कंपनियों को भी यह सुनिश्चित करने की आवश्यकता है कि ग्राहकों को उचित कीमत पर उत्पाद उपलब्ध हो, तथा आपस में एक स्वस्थ प्रतिस्पर्धा हो। इस अवसर पर उपभोक्ता मामलों के सचिव अविनाश के श्रीवास्तव ने कहा कि केंद्रीय उपभोक्ता संरक्षण प्राधिकरण (सीसीपीए) जोकि नए कानून के तहत उपभोक्ता अधिकारों की रक्षा, संरक्षण और लागू करने के लिए स्थापित किया जाएगा वहीं ई-कॉमर्स फर्मों द्वारा कानून का उल्लंघन करने पर कार्रवाई भी करेगा। उन्होंने कहा कि उपभोक्ता अदालतों के पास उल्लंघनकर्ताओं फर्मों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई करने की शक्तियां होंगी।
भ्रामक विज्ञापनों पर जेल की सजा और जुर्माने का प्रावधान
संसद ने हाल ही में उपभोक्ता संरक्षण कानून, 1986 को प्रतिस्थापित करने के लिए 'उपभोक्ता संरक्षण विधेयक 2019' को मंजूरी दी थी। इसमें उपभोक्ता विवादों के निपटारे की नई प्रक्रिया का प्रावधान है। इसमें मिलावट और भ्रामक विज्ञापनों के लिए जेल भेजने सहित कठोर दंड के प्रावधान किये गये हैं। भ्रामक विज्ञापनों के बारे में पासवान ने कहा कि निर्माताओं के लिए जेल की सजा और जुर्माने का प्रावधान है। मशहूर हस्तियों के लिए जेल का कोई प्रावधान नहीं है, लेकिन यदि वे भ्रामक विज्ञापन करेंगे तो उनको एक साल तक प्रतिबंधित किया जायेगा और दूसरी बार भी ऐसा करते हैं तो उन पर जुर्माना लगाया जा सकता है ।
विधेयक में स्वास्थ्य सेवाओं को शामिल नहीं किया गया है
उन्होंने कहा कि विधेयक में स्वास्थ्य सेवाओं को शामिल नहीं किया गया था। राज्यसभा में कुछ सदस्यों ने स्वास्थ्य सेवाओं को शामिल करने का विरोध किया था। उन्होंने कहा कि कम्पनी अपने उत्पाद को लेकर जो दावा करती हैं यदि उस पर खरी नहीं उतरती है तो उसे जेल तक की सजा हो सकती है। इस कानून के तहत केंद्रीय उपभोक्ता संरक्षण प्राधिकरण (सीसीपीए) की स्थापना के प्रावधान को क्रांतिकारी कदम करार देते हुए पासवान ने कहा कि इस कानून को जरूरी ताकत दी गयी है। उन्होंने कहा कि यह प्राधिकरण किसी भी उपभोक्ता मामलों का अपनी ओर से संज्ञान ले सकता है, जांच शुरू कर सकता है और उपयुक्त कार्रवाई कर सकेगा।...........  आर एस राणा

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