आर एस राणा
नई दिल्ली। भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) सरकार ने गन्ना किसानों को झटका देते हुए पहली अक्टूबर 2019 से शुरू होने वाले पेराई सीजन 2019-20 के लिए गन्ने के उचित एवं लाभकारी मूल्य (एफआरपी) में बढ़ोतरी नहीं करने का फैसला किया है जिससे देश के लाखों किसान मायूसी होगा। इसके अलावा चीनी मिलों को राहत देते हुए बफर स्टॉक को 30 लाख टन से बढ़ाकर 40 लाख टन करने का फैसला लिया है।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में बुधवार को हुई आर्थिक मामलों की मंत्रिमंडलीय समिति (सीसीईए) की बैठक में 10 फीसदी रिकवरी के आधार पर गन्ने के एफआरपी को 275 रुपये प्रति क्विंटल पर ही स्थिर रखने का फैसला किया है। इससे देशभर के लाखों किसानों को नुकसान होगा वैसे भी बकाया भुगतान नहीं होने के कारण गन्ना किसान पहले ही मुश्किलों का सामना कर रहे हैं। सीसीईए ने चीनी के बफर स्टॉक को 30 लाख टन से बढ़ाकर 40 करने का फैसला किया है, इस पर 1,674 करोड़ रुपये की अनुमानित लागत आने का अनुमान है।
बफर स्टॉक को बढ़ाकर 40 लाख टन किया
सीसीईए ने 1 अगस्त 2019 से 31 जुलाई 2020 तक एक वर्ष की अवधि के लिए चीनी के बफर स्टॉक को 30 लाख टन बढ़ाकर 40 लाख टन करने का फैसला किया है लेकिन बाजार की मांग और उपलब्धता को देखते हुए सार्वजनिक वितरण प्रणाली (पीडीएस) के लिए इस चीनी का उपयोग किया जा सकेगा। पिछले पेराई सीजन में केंद्र सरकार ने गन्ने के एफआरपी में 20 रुपये की बढ़ोतरी कर भाव 275 रुपये प्रति क्विंटल तय किया था। उत्तर प्रदेश, पंजाब और हरियाणा में राज्य सरकारें राज्य परामर्श मूल्य (एसएपी) तय करती हैं।
चालू पेराई सीजन का ही 15,222 करोड़ रुपये
पहली अक्टूबर 2018 से शुरू हुए चालू पेराई सीजन 2018-19 (अक्टूबर से सितंबर) का चीनी मिलों पर किसानों का 15,222 करोड़ रुपये बकाया है। बकाया में सबसे ज्यादा हिस्सेदारी 9,746 करोड़ रुपये उत्तर प्रदेश की चीनी मिलों पर है। गन्ना (नियंत्रण) आदेश 1966 के तहत चीनी मिलों को गन्ना की खरीद के 14 दिनों के अंदर किसानों को भुगतान करना होता है, यदि चीनी मिलें 14 दिनों में भुगतान नहीं कर पाती हैं तो चीनी मिलों को गन्ना किसानों को बकाया पर 15 फीसदी का ब्याज का भुगतान भी करना होगा।
बकाया में सबसे ज्यादा हिस्सेदारी उत्तर प्रदेश की मिलों पर
चालू पेराई सीजन में 17 जुलाई 2019 तक बकाया में सबसे ज्यादा हिस्सेदारी उत्तर प्रदेश की चीनी मिलों पर किसानों का 9,746 करोड़ रुपये, महाराष्ट्र की चीनी मिलों पर 826 करोड़ रुपये, गुजरात की चीनी मिलों पर 896 करोड़ रुपये, कर्नाटक की चीनी मिलों पर 598 करोड़ रुपये, बिहार की चीनी मिलों पर 856 करोड़ रुपये, पंजाब की चीनी मिलों पर 902 करोड़ रुपये, उत्तराखंड की चीनी मिलों पर 339 करोड़ रुपये और आंध्र प्रदेश की चीनी मिलों पर 236 करोड़ रुपये, तेलंगाना की चीनी मिलों पर 120 करोड़ रुपये बकाया है। इसके अलावा तमिलनाडु की चीनी मिलों पर 348 करोड़ रुपये, छत्तीसगढ़ की चीनी मिलों पर 100 करोड़ रुपये और ओडिशा की चीनी मिलों पर 75 करोड़ रुपये किसानों का बकाया है।...... आर एस राणा
नई दिल्ली। भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) सरकार ने गन्ना किसानों को झटका देते हुए पहली अक्टूबर 2019 से शुरू होने वाले पेराई सीजन 2019-20 के लिए गन्ने के उचित एवं लाभकारी मूल्य (एफआरपी) में बढ़ोतरी नहीं करने का फैसला किया है जिससे देश के लाखों किसान मायूसी होगा। इसके अलावा चीनी मिलों को राहत देते हुए बफर स्टॉक को 30 लाख टन से बढ़ाकर 40 लाख टन करने का फैसला लिया है।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में बुधवार को हुई आर्थिक मामलों की मंत्रिमंडलीय समिति (सीसीईए) की बैठक में 10 फीसदी रिकवरी के आधार पर गन्ने के एफआरपी को 275 रुपये प्रति क्विंटल पर ही स्थिर रखने का फैसला किया है। इससे देशभर के लाखों किसानों को नुकसान होगा वैसे भी बकाया भुगतान नहीं होने के कारण गन्ना किसान पहले ही मुश्किलों का सामना कर रहे हैं। सीसीईए ने चीनी के बफर स्टॉक को 30 लाख टन से बढ़ाकर 40 करने का फैसला किया है, इस पर 1,674 करोड़ रुपये की अनुमानित लागत आने का अनुमान है।
बफर स्टॉक को बढ़ाकर 40 लाख टन किया
सीसीईए ने 1 अगस्त 2019 से 31 जुलाई 2020 तक एक वर्ष की अवधि के लिए चीनी के बफर स्टॉक को 30 लाख टन बढ़ाकर 40 लाख टन करने का फैसला किया है लेकिन बाजार की मांग और उपलब्धता को देखते हुए सार्वजनिक वितरण प्रणाली (पीडीएस) के लिए इस चीनी का उपयोग किया जा सकेगा। पिछले पेराई सीजन में केंद्र सरकार ने गन्ने के एफआरपी में 20 रुपये की बढ़ोतरी कर भाव 275 रुपये प्रति क्विंटल तय किया था। उत्तर प्रदेश, पंजाब और हरियाणा में राज्य सरकारें राज्य परामर्श मूल्य (एसएपी) तय करती हैं।
चालू पेराई सीजन का ही 15,222 करोड़ रुपये
पहली अक्टूबर 2018 से शुरू हुए चालू पेराई सीजन 2018-19 (अक्टूबर से सितंबर) का चीनी मिलों पर किसानों का 15,222 करोड़ रुपये बकाया है। बकाया में सबसे ज्यादा हिस्सेदारी 9,746 करोड़ रुपये उत्तर प्रदेश की चीनी मिलों पर है। गन्ना (नियंत्रण) आदेश 1966 के तहत चीनी मिलों को गन्ना की खरीद के 14 दिनों के अंदर किसानों को भुगतान करना होता है, यदि चीनी मिलें 14 दिनों में भुगतान नहीं कर पाती हैं तो चीनी मिलों को गन्ना किसानों को बकाया पर 15 फीसदी का ब्याज का भुगतान भी करना होगा।
बकाया में सबसे ज्यादा हिस्सेदारी उत्तर प्रदेश की मिलों पर
चालू पेराई सीजन में 17 जुलाई 2019 तक बकाया में सबसे ज्यादा हिस्सेदारी उत्तर प्रदेश की चीनी मिलों पर किसानों का 9,746 करोड़ रुपये, महाराष्ट्र की चीनी मिलों पर 826 करोड़ रुपये, गुजरात की चीनी मिलों पर 896 करोड़ रुपये, कर्नाटक की चीनी मिलों पर 598 करोड़ रुपये, बिहार की चीनी मिलों पर 856 करोड़ रुपये, पंजाब की चीनी मिलों पर 902 करोड़ रुपये, उत्तराखंड की चीनी मिलों पर 339 करोड़ रुपये और आंध्र प्रदेश की चीनी मिलों पर 236 करोड़ रुपये, तेलंगाना की चीनी मिलों पर 120 करोड़ रुपये बकाया है। इसके अलावा तमिलनाडु की चीनी मिलों पर 348 करोड़ रुपये, छत्तीसगढ़ की चीनी मिलों पर 100 करोड़ रुपये और ओडिशा की चीनी मिलों पर 75 करोड़ रुपये किसानों का बकाया है।...... आर एस राणा
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें