आर एस राणा
नई दिल्ली। आयात की मात्रा तय करने के साथ ही आयात शुल्क में बढ़ोतरी करने के बावजूद दालों का आयात घटने के बजाए बढ़ रहा है, जिसका खामियाजा दाल उगाने वाले किसानों पर पड़ रहा है। किसानों को दालें उत्पादक मंडियों में न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) से नीचे दाम पर बेचनी पड़ रही है।
चालू वित्त वर्ष 2019-20 के पहले तीन महीनों अप्रैल से जून के दौरान दालों का आयात 57 फीसदी बढ़कर 5.61 लाख टन का हुआ है जबकि पिछले वित्त वर्ष की समान अवधि में इनका आयात 3.57 लाख टन का ही हुआ था। कृषि मंत्रालय के एक वरिष्ठ अधिकारी के अनुसार मूल्य के हिसाब से दलहन आयात चालू वित्त वर्ष की पहली तिमाही में 74 फीसदी बढ़कर 1,681.90 करोड़ रुपये का हुआ है जबकि इसके पिछले वित्त वर्ष 2018-19 की समान अवधि में इनका आयात केवल 969 करोड़ रुपये का ही हुआ था।
पहली तिमाही में ही मटर का आयात तय मात्रा से ज्यादा
केंद्र सरकार ने चालू वित्त वर्ष 2019-20 के लिए मटर के आयात की 2 लाख टन की मात्रा तय कर रखी है। सूत्रों के चालू वित्त वर्ष के पहले तीन महीनों में ही 2 लाख टन से ज्यादा मटर का आयात हो चुका है। दलहन कारोबारी राधाकिशन गुप्ता ने बताया कि कई आयातकों ने मद्रास हाई कोर्ट से स्टे ले लिया था, जिस कारण आयात तय मात्रा से ज्यादा हो चुका है। उन्होंने बताया कि मटर के साथ मसूर का आयात ज्यादा मात्रा में हुआ है। मसूर पर 30 फीसदी आयात शुल्क होने के बावजूद भी कनाडा की मसूर मुंबई बंदरगाह पहुंच 4,000 से 4,050 रुपये प्रति क्विंटल पहुंच है। केंद्र सरकार ने मसूर का समर्थन मूल्य 4,475 रुपये प्रति क्विंटल तय किया हुआ है। सरकार ने चालू वित्त वर्ष के लिए उड़द और मूंग के डेढ़-डेढ़ लाख टन आयात की अनुमति दी हुई है जबकि अरहर के आयात की मात्रा 4 लाख टन है, इसके साथ ही मोजाम्बिक से सार्वजनिक कंपनियों के माध्यम से 1.75 लाख टन के अरहर के आयात की अनुमति दी हुई है। चना के आयात पर 60 फीसदी और मसूर के आयात पर 30 फीसदी आयात शुल्क है।
मसूर और मटर का ज्यादा हो रहा है आयात
कर्नाटक की गुलबर्गा मंडी के दलहन कारोबारी सीएस नादर ने बताया कि इस समय मसूर और मटर का आयात ज्यादा मात्रा में हो रहा है। उन्होंने बताया कि आयातित अरहर के भाव 715 डॉलर प्रति भारतीय बंदरगाह पर हैं, महीनेभर में इनकी कीमतों में 60 से 65 डॉलर प्रति टन की गिरावट आ चुकी है। आयातित उड़द के भाव भारतीय बंदरगाह पर 535 डॉलर प्रति टन है। आयातित मूंग के भाव भारतीय बंदरगाह पर 830 से 860 डॉलर प्रति टन हैं। उन्होंने बताया कि घरेलू मंडियों में अरहर के भाव 5,600 से 5,700 रुपये और उड़द के भाव 4,600 से 5,200 रुपये प्रति क्विंटल है। केंद्र सरकार ने खरीफ विपणन सीजन 2019-20 के लिए अरहर का एमएसपी 5,800 रुपये और उड़द का 5,700 रुपये प्रति क्विंटल तय किया हुआ है।
दलहन उत्पादन में आई कमी
पिछले साल देश में दालों का रिकार्ड उत्पादन हुआ था, जिससे आयात में तो कमी आई थी, लेकिन किसानों को दालें न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) से नीचे भाव पर बेचनी पड़ी थी, जिस कारण किसानों ने दलहन की बुआई कम की जिसका असर उत्पादन पर पड़ा है। फसल सीजन 2018-19 में दालों का उत्पादन घटकर 234 लाख टन ही होने का अनुमान है जोकि पिछले साल के 254.2 लाख टन से 7.94 फीसदी कम है। रबी दलहन की प्रमुख फसल चना का उत्पादन पिछले साल के 113.8 लाख टन से घटकर 101.3 लाख टन ही होने का अनुमान है। इसी तरह से खरीफ दलहन की प्रमुख फसल अरहर का उत्पादन पिछले साल के 42.9 लाख टन से घटकर 35.9 लाख टन ही होने का अनुमान है। उड़द और मूंग का उत्पादन 32.6 और 23.5 लाख टन होने का अनुमान है जबकि पिछले साल इनका उत्पादन क्रमश: 34.9 और 20.2 लाख टन का हुआ था। मसूर का उत्पादन पिछले साल के 16.2 लाख टन से घटकर 15.6 लाख टन ही होने का अनुमान है।............ आर एस राणा
नई दिल्ली। आयात की मात्रा तय करने के साथ ही आयात शुल्क में बढ़ोतरी करने के बावजूद दालों का आयात घटने के बजाए बढ़ रहा है, जिसका खामियाजा दाल उगाने वाले किसानों पर पड़ रहा है। किसानों को दालें उत्पादक मंडियों में न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) से नीचे दाम पर बेचनी पड़ रही है।
चालू वित्त वर्ष 2019-20 के पहले तीन महीनों अप्रैल से जून के दौरान दालों का आयात 57 फीसदी बढ़कर 5.61 लाख टन का हुआ है जबकि पिछले वित्त वर्ष की समान अवधि में इनका आयात 3.57 लाख टन का ही हुआ था। कृषि मंत्रालय के एक वरिष्ठ अधिकारी के अनुसार मूल्य के हिसाब से दलहन आयात चालू वित्त वर्ष की पहली तिमाही में 74 फीसदी बढ़कर 1,681.90 करोड़ रुपये का हुआ है जबकि इसके पिछले वित्त वर्ष 2018-19 की समान अवधि में इनका आयात केवल 969 करोड़ रुपये का ही हुआ था।
पहली तिमाही में ही मटर का आयात तय मात्रा से ज्यादा
केंद्र सरकार ने चालू वित्त वर्ष 2019-20 के लिए मटर के आयात की 2 लाख टन की मात्रा तय कर रखी है। सूत्रों के चालू वित्त वर्ष के पहले तीन महीनों में ही 2 लाख टन से ज्यादा मटर का आयात हो चुका है। दलहन कारोबारी राधाकिशन गुप्ता ने बताया कि कई आयातकों ने मद्रास हाई कोर्ट से स्टे ले लिया था, जिस कारण आयात तय मात्रा से ज्यादा हो चुका है। उन्होंने बताया कि मटर के साथ मसूर का आयात ज्यादा मात्रा में हुआ है। मसूर पर 30 फीसदी आयात शुल्क होने के बावजूद भी कनाडा की मसूर मुंबई बंदरगाह पहुंच 4,000 से 4,050 रुपये प्रति क्विंटल पहुंच है। केंद्र सरकार ने मसूर का समर्थन मूल्य 4,475 रुपये प्रति क्विंटल तय किया हुआ है। सरकार ने चालू वित्त वर्ष के लिए उड़द और मूंग के डेढ़-डेढ़ लाख टन आयात की अनुमति दी हुई है जबकि अरहर के आयात की मात्रा 4 लाख टन है, इसके साथ ही मोजाम्बिक से सार्वजनिक कंपनियों के माध्यम से 1.75 लाख टन के अरहर के आयात की अनुमति दी हुई है। चना के आयात पर 60 फीसदी और मसूर के आयात पर 30 फीसदी आयात शुल्क है।
मसूर और मटर का ज्यादा हो रहा है आयात
कर्नाटक की गुलबर्गा मंडी के दलहन कारोबारी सीएस नादर ने बताया कि इस समय मसूर और मटर का आयात ज्यादा मात्रा में हो रहा है। उन्होंने बताया कि आयातित अरहर के भाव 715 डॉलर प्रति भारतीय बंदरगाह पर हैं, महीनेभर में इनकी कीमतों में 60 से 65 डॉलर प्रति टन की गिरावट आ चुकी है। आयातित उड़द के भाव भारतीय बंदरगाह पर 535 डॉलर प्रति टन है। आयातित मूंग के भाव भारतीय बंदरगाह पर 830 से 860 डॉलर प्रति टन हैं। उन्होंने बताया कि घरेलू मंडियों में अरहर के भाव 5,600 से 5,700 रुपये और उड़द के भाव 4,600 से 5,200 रुपये प्रति क्विंटल है। केंद्र सरकार ने खरीफ विपणन सीजन 2019-20 के लिए अरहर का एमएसपी 5,800 रुपये और उड़द का 5,700 रुपये प्रति क्विंटल तय किया हुआ है।
दलहन उत्पादन में आई कमी
पिछले साल देश में दालों का रिकार्ड उत्पादन हुआ था, जिससे आयात में तो कमी आई थी, लेकिन किसानों को दालें न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) से नीचे भाव पर बेचनी पड़ी थी, जिस कारण किसानों ने दलहन की बुआई कम की जिसका असर उत्पादन पर पड़ा है। फसल सीजन 2018-19 में दालों का उत्पादन घटकर 234 लाख टन ही होने का अनुमान है जोकि पिछले साल के 254.2 लाख टन से 7.94 फीसदी कम है। रबी दलहन की प्रमुख फसल चना का उत्पादन पिछले साल के 113.8 लाख टन से घटकर 101.3 लाख टन ही होने का अनुमान है। इसी तरह से खरीफ दलहन की प्रमुख फसल अरहर का उत्पादन पिछले साल के 42.9 लाख टन से घटकर 35.9 लाख टन ही होने का अनुमान है। उड़द और मूंग का उत्पादन 32.6 और 23.5 लाख टन होने का अनुमान है जबकि पिछले साल इनका उत्पादन क्रमश: 34.9 और 20.2 लाख टन का हुआ था। मसूर का उत्पादन पिछले साल के 16.2 लाख टन से घटकर 15.6 लाख टन ही होने का अनुमान है।............ आर एस राणा
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