आर एस राणा
नई दिल्ली। चालू खरीफ सीजन में मानसूनी बारिश कम होने के कारण फसलों की बुआई में आई कमी पर सरकार ने चिंता जताई है। केंद्रीय कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने कहा कि खरीफ फसलों की बुआई में अभी समय बचा है, लेकिन सरकार किसी भी स्थिति से निपेटने के लिए राज्यों के सपंर्क में है।
उन्होंने कहा कि सूखे जैसी स्थिति से संयुक्त प्रयासों से निपटने को केंद्र राज्यों के संपर्क में है। उन्होंने कहा कि खरीफ फसल की बुआई में देरी चिंता का विषय तो है लेकिन किसानों के पास बुआई पूरी करने के लिए अभी समय बचा हुआ है।
आईएमडी ने जुलाई-अगस्त में जताया अच्छी बारिश का अनुमान
मौजूदा खरीफ सत्र 2019-20 में पिछले सप्ताह तक खरीफ बुआई एक साल पहले की तुलना में 27 फीसदी पिछड़ कर 234.33 लाख हेक्टेयर तक ही पहुंची थी जबकि पिछले साल की समान अवधि में 319.68 लाख हेक्टेयर में बुआई हो चुकी थी। तोमर ने कहा कि सूखे जैसी स्थिति को लेकर हम राज्यों के संपर्क में हैं। खरीफ फसल की उपज के बारे में पूछे जाने पर तोमर ने कहा कि अभी इस पर कुछ कहना जल्दबाजी होगा। भारतीय मौसम विभाग (आईएमडी) ने जुलाई और अगस्त में अच्छी बारिश का अनुमान लगाया है जिससे बुआई के काम में तेजी आ सकती है।
चालू खरीफ में अभी तक 17 फीसदी बारिश सामान्य से कम
दक्षिण-पश्चिम मानसून के साथ खरीफ फसल की बुआई शुरू होती है। इस साल इसमें देरी हुई जिससे बुआई भी पीछे चल रही है। मौसम विभाग के अनुसार जून में देशभर में मानसूनी बारिश सामान्य से 33 फीसदी कम हुई थी जबकि पहली जून से 9 जुलाई तक देशभर में 17 फीसदी बारिश सामान्य से कम हुई है। खरीफ की मुख्य फसल धान की बुआई पिछले सप्ताह तक 52.47 लाख हेक्टेयर क्षेत्र में हुई थी, जो एक साल पहले की समान अवधि 68.60 लाख हेक्टेयर कम है। छत्तीसगढ़, उत्तर प्रदेश, हरियाणा, ओड़िशा, मध्य प्रदेश, कर्नाटक, अरुणाचल प्रदेश, बिहार, असम, पश्चिम बंगाल और हिमाचल प्रदेश में धान की बुआई पीछे चल रही है।
दलहन के साथ मोटे अनाजों की बुआई भी कम
इसी तरह दलहनों अरहर, उड़द और मूंग की बुआई अभी तक सिर्फ 7.94 लाख हेक्टेयर क्षेत्र में हुई है, जबकि पिछले साल समान अवधि में यह आंकड़ा 27.91 लाख हेक्टेयर था। मोटे अनाजों की बुआई भी पिछले साल के 50.65 लाख हेक्टेयर से घटकर 37.37 लाख हेक्टेयर रह गई है।कर्नाटक, महाराष्ट्र, मध्य प्रदेश, राजस्थान, तेलंगाना, उत्तर प्रदेश, आंध्र प्रदेश और तमिलनाडु में दलहन की बुआई पीछे है। तिलहनों के मामले में मूंगफली, सूरजमुखी और सोयाबीन की बुआई घटकर 34.02 लाख हेक्टेयर रह गई है। पिछले साल समान अवधि में यह आंकड़ा 59.37 लाख हेक्टेयर था। नकदी फसलों में गन्ने की बुआई 50 लाख हेक्टेयर क्षेत्र में हुई है जबकि पिछले साल समान अवधि में यह आंकड़ा 51.41 लाख हेक्टेयर था। कपास की बुआई भी पीछे है तथा अभी तक इसकी बुआई 45.85 लाख हेक्टेयर क्षेत्र में हुई है जबकि पिछले साल समान अवधि में यह आंकड़ा 54.60 लाख हेक्टेयर था।.......... आर एस राणा
नई दिल्ली। चालू खरीफ सीजन में मानसूनी बारिश कम होने के कारण फसलों की बुआई में आई कमी पर सरकार ने चिंता जताई है। केंद्रीय कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने कहा कि खरीफ फसलों की बुआई में अभी समय बचा है, लेकिन सरकार किसी भी स्थिति से निपेटने के लिए राज्यों के सपंर्क में है।
उन्होंने कहा कि सूखे जैसी स्थिति से संयुक्त प्रयासों से निपटने को केंद्र राज्यों के संपर्क में है। उन्होंने कहा कि खरीफ फसल की बुआई में देरी चिंता का विषय तो है लेकिन किसानों के पास बुआई पूरी करने के लिए अभी समय बचा हुआ है।
आईएमडी ने जुलाई-अगस्त में जताया अच्छी बारिश का अनुमान
मौजूदा खरीफ सत्र 2019-20 में पिछले सप्ताह तक खरीफ बुआई एक साल पहले की तुलना में 27 फीसदी पिछड़ कर 234.33 लाख हेक्टेयर तक ही पहुंची थी जबकि पिछले साल की समान अवधि में 319.68 लाख हेक्टेयर में बुआई हो चुकी थी। तोमर ने कहा कि सूखे जैसी स्थिति को लेकर हम राज्यों के संपर्क में हैं। खरीफ फसल की उपज के बारे में पूछे जाने पर तोमर ने कहा कि अभी इस पर कुछ कहना जल्दबाजी होगा। भारतीय मौसम विभाग (आईएमडी) ने जुलाई और अगस्त में अच्छी बारिश का अनुमान लगाया है जिससे बुआई के काम में तेजी आ सकती है।
चालू खरीफ में अभी तक 17 फीसदी बारिश सामान्य से कम
दक्षिण-पश्चिम मानसून के साथ खरीफ फसल की बुआई शुरू होती है। इस साल इसमें देरी हुई जिससे बुआई भी पीछे चल रही है। मौसम विभाग के अनुसार जून में देशभर में मानसूनी बारिश सामान्य से 33 फीसदी कम हुई थी जबकि पहली जून से 9 जुलाई तक देशभर में 17 फीसदी बारिश सामान्य से कम हुई है। खरीफ की मुख्य फसल धान की बुआई पिछले सप्ताह तक 52.47 लाख हेक्टेयर क्षेत्र में हुई थी, जो एक साल पहले की समान अवधि 68.60 लाख हेक्टेयर कम है। छत्तीसगढ़, उत्तर प्रदेश, हरियाणा, ओड़िशा, मध्य प्रदेश, कर्नाटक, अरुणाचल प्रदेश, बिहार, असम, पश्चिम बंगाल और हिमाचल प्रदेश में धान की बुआई पीछे चल रही है।
दलहन के साथ मोटे अनाजों की बुआई भी कम
इसी तरह दलहनों अरहर, उड़द और मूंग की बुआई अभी तक सिर्फ 7.94 लाख हेक्टेयर क्षेत्र में हुई है, जबकि पिछले साल समान अवधि में यह आंकड़ा 27.91 लाख हेक्टेयर था। मोटे अनाजों की बुआई भी पिछले साल के 50.65 लाख हेक्टेयर से घटकर 37.37 लाख हेक्टेयर रह गई है।कर्नाटक, महाराष्ट्र, मध्य प्रदेश, राजस्थान, तेलंगाना, उत्तर प्रदेश, आंध्र प्रदेश और तमिलनाडु में दलहन की बुआई पीछे है। तिलहनों के मामले में मूंगफली, सूरजमुखी और सोयाबीन की बुआई घटकर 34.02 लाख हेक्टेयर रह गई है। पिछले साल समान अवधि में यह आंकड़ा 59.37 लाख हेक्टेयर था। नकदी फसलों में गन्ने की बुआई 50 लाख हेक्टेयर क्षेत्र में हुई है जबकि पिछले साल समान अवधि में यह आंकड़ा 51.41 लाख हेक्टेयर था। कपास की बुआई भी पीछे है तथा अभी तक इसकी बुआई 45.85 लाख हेक्टेयर क्षेत्र में हुई है जबकि पिछले साल समान अवधि में यह आंकड़ा 54.60 लाख हेक्टेयर था।.......... आर एस राणा
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