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20 जुलाई 2019

देश के आधे हिस्से में मानसूनी बारिश सामान्य से कम, दलहन उत्पादन में कमी की आशंका

आर एस राणा
नई दिल्ली। जुलाई आधे से ज्यादा बीतने के बावजूद भी देश के करीब 50 फीसदी हिस्से में बारिश सामान्य से कम हुई है जिस कारण दलहन फसलों की बुआई 25 फीसदी से ज्यादा पिछे चल रही है। खरीफ दलहन उत्पादक राज्यों में बारिश कम हुई है, इससे दालों के उत्पादन में कमी आने की आशंका है जिस कारण आयात पर निर्भर बढ़ जायेगी।
भारतीय मौसम विभाग (आईएमडी) के अनुसार चालू मानसूनी सीजन में पहली जून से 17 जुलाई तक देशभर के 51 फीसदी हिस्से में बारिश सामान्य से कम हुई है। देश के 36 सब डिवीजनों में से 19 में बारिश सामान्य से कम दर्ज की गई। खरीफ दलहन के प्रमुख उत्पादक राज्यों महाराष्ट्र के मराठवाड़ा में सामान्य से 36 फीसदी कम और विदर्भ में भी 36 फीसदी कम, दक्षिण कर्नाटक में 23 फीसदी कम, तेलंगाना में 37 फीसदी कम, पूर्वी मध्य प्रदेश में 16 फीसदी ककम, पश्चिम राजस्थान में 49 फीसदी और छत्तीसगढ़ में 20 फीसदी के साथ ही ओडिशा में बारिश सामान्य से 26 फीसदी कम हुई है। देशभर में इस दौरान बारिश सामान्य से 16 फीसदी कम हुई है। सामान्यत: पहली जून से 17 जुलाई तक 318.4 मिलीमिटर बारिश होती है जबकि चालू सीजन में 268.8 फीसदी बारिश ही हुई है।
आगे भी मानूसन कमजोर रहा तो आयात कोटे में जा सकती है बढ़ोतरी
पूर्व कृषि सचिव सिराज हुसैन ने आउटलुक को बताया कि जिन राज्यों में दालों का उत्पादन ज्यादा होता है उन राज्यों में बारिश सामान्य से कम हुई है। हालांकि केंद्रीय पूल में दालों का करीब 38 लाख टन का स्टॉक है, लेकिन आगे भी बारिश में कमी रही तो सरकार को आयात का कोटा बढ़ाना पड़ सकता है, साथ ही आयात शुल्क में कमी कर सकती है। केंद्र सरकार ने चालू वित्त वर्ष 2019-20 के लिए उड़द और मूंग के आयात का कोटा डेढ़-डेढ़ लाख टन ओर अरहर के आयात का कोटा 4 लाख टन तथा मटर के आयात का कोटा 2 लाख टन का तय किया हुआ है। चना के आयात पर शुल्क 60 फीसदी और मटर के आयात पर 30 फीसदी है।
खरीफ में दालों की बुवाई 25 फीसदी से ज्यादा पिछड़ी
कृषि मंत्रालय के अनुसार चालू खरीफ में दालों की बुआई 12 जुलाई तक 25.23 फीसदी पिछड़ कर 34.22 लाख हेक्टेयर में ही हो पाई है जबकि पिछले साल की समान अवधि में इनकी बुआई  45.73 लाख हेक्टेयर में हो चुकी थी। महाराष्ट्र में चालू खरीफ में दालों की बुआई 5.61 लाख हेक्टेयर में ही हो पाई है जबकि पिछले साल इस समय तक 7.46 लाख हेक्टेयर में बुआई हो चुकी थी। इसी तरह से कर्नाटक में दालों की बुआई घटकर 5.42 लाख हेक्टेयर में ही हो पाई है जबकि पिछले साल इस समय तक 9.45 लाख हेक्टेयर में बुआई हो चुकी थी। मध्य प्रदेश में दालों की बुवाई पिछड़कर 4.94 लाख हेक्टेयर में ही हुई है जबकि पिछले साल की समान अवधि में 8.54 लाख हेक्टेयर में हो चुकी थी। राजस्थान में दालों की बुआई पिछले साल के 11.41 लाख हेक्टयेर से घटकर चालू सीजन में अभी तक केवल 10.60 हेक्टेयर में ही हुई है। छत्तीसगढ़ और ओडिशों में दालों की बुआई शुरूआती चरण में ही है।
अरहर, उड़द के साथ मूंग की बुवाई भी कम
खरीफ की प्रमुख दलहन अरहर की बुवाई चालू सीजन में घटकर 12.44 लाख हेक्टेयर में ही हो पाई है जबकि पिछले साल इस समय तक 15.89 लाख हेक्टेयर में बुआई हो चुकी थी। पिछले साल अरहर के उत्पादन में कमी आई थी, जिस कारण सरकार ने अरहर के आयात का कोटा बढ़ाया है। मूंग और उड़द की बुआई चालू खरीफ में 10.58 और 8.59 लाख हेक्टेयर ही हुई है जबकि पिछले साल इस समय तक इनकी बुआई क्रमश: 13.92 और 11.56 लाख हेक्टेयर में हो चुकी थी। अन्य दालों की बुवाई भी पिछले साल के 4.14 लाख हेक्टयेर से घटकर 2.51 लाख हेक्टेयर में ही हो पाई है।
पिछले साल भी खरीफ में उत्पादन में आई थी कमी
कृषि मंत्रालय के तीसरे आरंभिक अनुमान के अनुसार फसल सीजन 2018-19 में खरीफ में दालों का उत्पादन घटकर 85.2 लाख टन ही होने का अनुमान है जबकि इसके पिछले साल 93.1 लाख टन का उत्पादन हुआ था। दालों का कुल उत्पादन फसल सीजन 2018-19 में घटकर  232.2 लाख टन ही होने का अनुमान है जबकि पिछले साल 254.2 लाख टन का रिकार्ड उत्पादन हुआ था।
आयात में आई कमी
वित्त वर्ष 2018-19 के पहले 11 महीनों अप्रैल से फरवरी के दौरान दालों का आयात घटकर 21.03 लाख टन का ही हुआ है जबकि वित्त वर्ष 2017-18 के दौरान 56.07 लाख टन का आयात हुआ था। वित्त वर्ष 2016-17 में देश में रिकार्ड 66.09 लाख टन का आयात हुआ था।..........  आर एस राणा

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