आर एस राणा
नई दिल्ली। देश के कई राज्यों में चालू खरीफ में मानसूनी बारिश सामान्य से कम होने के बावजूद भी खाद्यान्न उत्पादन पिछले साल के लगभग बराबर ही होने की उम्मीद है क्योंकि धान और अन्य फसलों की बुअवई में अब भी समय बचा है।
भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद (आईसीएआर) के महानिदेशक त्रिलोचन महापात्रा ने दिल्ली में संवाददाताओं से कहा कि हम उम्मीद कर रहे हैं कि खरीफ की फसलों की बुआई करीब-करीब पिछले साल के बराबर ही हो जायेगी। उन्होंने कहा कि धान की रोपाई अगस्त अंत तक की जा सकती है। इसलिए अभी पर्याप्त समय है। चालू खरीफ सीजन में पहली जून से 16 जुलाई तक देशभर में मानसूनी बारिश सामान्य से 14 फीसदी कम हुई है। इस दौरान सामान्यत: 308.4 मिलीमिटर बारिश होती है, जबकि चालू सीजन में केवल 265.9 मिलीमीटर ही बारिश हुई है।
पिछले साल दलहन और मोटे अनाजों के उत्पादन में आई कमी
महापात्रा ने कहा कि मौसम विभाग ने अगस्त और सितंबर में अच्छे मानसून की उम्मीद जताई है। उन्होंने कहा कि जिन क्षेत्रों में बारिश में 50 फीसदी से अधिक की कमी दर्ज की गई है उनमें उत्पादन पर असर पड़ सकता है लेकिन इसकी भरपाई उन क्षेत्रों से हो जाएगी जहां अच्छी बारिश के कारण उत्पादन में वृद्धि हुई है। उन्होंने कहा कि आगामी महीनों में बारिश का होना काफी महत्वपूर्ण होगा। दलहन और मोटे अनाज के उत्पादन में गिरावट के चलते देश का खाद्यान्न उत्पादन गिरकर फसल वर्ष 2018-19 (जुलाई-जून) में 28.33 करोड़ टन रहने का अनुमान है। हालांकि, इस दौरान देश में चावल और गेहूं की रिकार्ड उत्पादन हुआ है।
पानी की कमी और उपज का सही दाम नहीं मिलना चुनौती
इस अवसर पर केंद्रीय कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने कृषि क्षेत्र की उपलब्धियों पर प्रकाश डालते हुए कहा कि देश खाद्यान्न उत्पादन में आत्मनिर्भर बनने में सफल रहा है। हालांकि उन्होंने कहा कि कृषि क्षेत्र को पानी की कमी तथा उपज का सही दाम नहीं मिलने के रूप में कई चुनौतियों का सामना करना पड़ रहा है। तोमर ने युवाओं के कृषि क्षेत्र में नहीं आने को लेकर चिंता व्यक्त की और इस प्रवृत्ति को बदलने पर जोर दिया। उन्होंने पिछले पांच साल के दौरान कृषि क्षेत्र को प्रोत्साहन देने के लिये सरकार द्वारा उठाये गये कदमों का उल्लेख किया। उन्होंने किसानों को सालभर में छह हजार रुपये की नकद राशि का हस्तांतरण और फसलों का न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) लागत के डेढ़ गुणा तय करने जैसे कदमों का जिक्र किया।..... आर एस राणा
नई दिल्ली। देश के कई राज्यों में चालू खरीफ में मानसूनी बारिश सामान्य से कम होने के बावजूद भी खाद्यान्न उत्पादन पिछले साल के लगभग बराबर ही होने की उम्मीद है क्योंकि धान और अन्य फसलों की बुअवई में अब भी समय बचा है।
भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद (आईसीएआर) के महानिदेशक त्रिलोचन महापात्रा ने दिल्ली में संवाददाताओं से कहा कि हम उम्मीद कर रहे हैं कि खरीफ की फसलों की बुआई करीब-करीब पिछले साल के बराबर ही हो जायेगी। उन्होंने कहा कि धान की रोपाई अगस्त अंत तक की जा सकती है। इसलिए अभी पर्याप्त समय है। चालू खरीफ सीजन में पहली जून से 16 जुलाई तक देशभर में मानसूनी बारिश सामान्य से 14 फीसदी कम हुई है। इस दौरान सामान्यत: 308.4 मिलीमिटर बारिश होती है, जबकि चालू सीजन में केवल 265.9 मिलीमीटर ही बारिश हुई है।
पिछले साल दलहन और मोटे अनाजों के उत्पादन में आई कमी
महापात्रा ने कहा कि मौसम विभाग ने अगस्त और सितंबर में अच्छे मानसून की उम्मीद जताई है। उन्होंने कहा कि जिन क्षेत्रों में बारिश में 50 फीसदी से अधिक की कमी दर्ज की गई है उनमें उत्पादन पर असर पड़ सकता है लेकिन इसकी भरपाई उन क्षेत्रों से हो जाएगी जहां अच्छी बारिश के कारण उत्पादन में वृद्धि हुई है। उन्होंने कहा कि आगामी महीनों में बारिश का होना काफी महत्वपूर्ण होगा। दलहन और मोटे अनाज के उत्पादन में गिरावट के चलते देश का खाद्यान्न उत्पादन गिरकर फसल वर्ष 2018-19 (जुलाई-जून) में 28.33 करोड़ टन रहने का अनुमान है। हालांकि, इस दौरान देश में चावल और गेहूं की रिकार्ड उत्पादन हुआ है।
पानी की कमी और उपज का सही दाम नहीं मिलना चुनौती
इस अवसर पर केंद्रीय कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने कृषि क्षेत्र की उपलब्धियों पर प्रकाश डालते हुए कहा कि देश खाद्यान्न उत्पादन में आत्मनिर्भर बनने में सफल रहा है। हालांकि उन्होंने कहा कि कृषि क्षेत्र को पानी की कमी तथा उपज का सही दाम नहीं मिलने के रूप में कई चुनौतियों का सामना करना पड़ रहा है। तोमर ने युवाओं के कृषि क्षेत्र में नहीं आने को लेकर चिंता व्यक्त की और इस प्रवृत्ति को बदलने पर जोर दिया। उन्होंने पिछले पांच साल के दौरान कृषि क्षेत्र को प्रोत्साहन देने के लिये सरकार द्वारा उठाये गये कदमों का उल्लेख किया। उन्होंने किसानों को सालभर में छह हजार रुपये की नकद राशि का हस्तांतरण और फसलों का न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) लागत के डेढ़ गुणा तय करने जैसे कदमों का जिक्र किया।..... आर एस राणा
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