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24 जुलाई 2019

मोदी सरकार ने गन्ना किसानों को दिया झटका, नहीं बढ़ाया एफआरपी

आर एस राणा
नई दिल्ली। केंद्र सरकार ने गन्ना किसानों को झटका देते हुए पहली अक्टूबर 2019 से शुरू होने वाले पेराई सीजन 2019-20 के लिए गन्ने के उचित एवं लाभकारी मूल्य (एफआरपी) में बढ़ोतरी नहीं करने का फैसला किया है जिससे देश के लाखों किसानों को मायूसी होगी। सरकार ने पेराई सीजन 2019-20 के लिए गन्ने के एफआरपी को पिछले साल के 275 रुपये प्रति क्विंटल पर ही स्थिर रखने का फैसला किया है।

दूसरी तरफ, चीनी मिलों को फायदा पहुंचाने के लिए बफर स्टॉक को 30 लाख टन से बढ़ाकर 40 लाख टन करने का फैसला किया गया है। इस पर 1,674 करोड़ रुपये खर्च आने का अनुमान है। यह रकम केंद्र सरकार चीनी मिलों को सब्सिडी के रुप में देगी।

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में बुधवार को हुई आर्थिक मामलों की मंत्रिमंडलीय समिति (सीसीईए) की बैठक में 10 फीसदी रिकवरी के आधार पर गन्ने का एफआरपी 275 रुपये प्रति क्विंटल पर ही स्थिर रखने का फैसला किया गया। बकाया भुगतान नहीं होने के कारण गन्ना किसान पहले ही मुश्किलों का सामना कर रहे हैं। पिछले पेराई सीजन में केंद्र सरकार ने गन्ने के एफआरपी में 20 रुपये की बढ़ोतरी कर भाव 275 रुपये प्रति क्विंटल तय किया था। उत्तर प्रदेश, पंजाब और हरियाणा में राज्य सरकारें राज्य परामर्श मूल्य (एसएपी) तय करती हैं।

बफर स्टॉक को बढ़ाकर 40 लाख टन किया

सीसीईए ने 1 अगस्त 2019 से 31 जुलाई 2020 तक एक वर्ष की अवधि के लिए चीनी के बफर स्टॉक को 30 लाख टन बढ़ाकर 40 लाख टन करने का फैसला किया। बाजार की मांग और उपलब्धता को देखते हुए सार्वजनिक वितरण प्रणाली (पीडीएस) के लिए इस चीनी का उपयोग किया जा सकेगा।

खाद, डीजल और कीटनाशाक हुए महंगे

उत्तर प्रदेश के अमरोहा जिले के देहराचक गांव के गन्ना किसान जोगिंद्र आर्य ने कहा कि पिछले एक साल में खाद, डीजल और कीटनाशकों की कीमतों में भारी बढ़ोतरी हुई है जबकि केंद्र सरकार ने गन्ने के एफआरपी को पूर्वस्तर पर ही रखा है,​ जिससे हमें घाटा उठाना पड़ेगा। एक तो चीनी मिलें बकाया का भुगतान नहीं कर रही हैं, दूसरा लागत भी बढ़ गई है।

चालू पेराई सीजन का ही 15,222 करोड़ रुपये बकाया

पहली अक्टूबर 2018 से शुरू हुए चालू पेराई सीजन 2018-19 (अक्टूबर से सितंबर) के लिए चीनी मिलों पर किसानों का 15,222 करोड़ रुपये बकाया है। गन्ना (नियंत्रण) आदेश 1966 के तहत चीनी मिलों को गन्ना की खरीद के 14 दिनों के अंदर किसानों को भुगतान करना होता है। यदि मिलें 14 दिनों में भुगतान नहीं कर पाती हैं तो उन्हें किसानों को बकाया पर 15 फीसदी ब्याज का भुगतान भी करना होगा।

सबसे ज्यादा बकाया उत्तर प्रदेश की मिलों पर

चालू पेराई सीजन में 17 जुलाई 2019 तक बकाया में सबसे ज्यादा हिस्सेदारी उत्तर प्रदेश की चीनी मिलों पर किसानों का 9,746 करोड़ रुपये, महाराष्ट्र की चीनी मिलों पर 826 करोड़ रुपये, गुजरात की चीनी मिलों पर 896 करोड़ रुपये, कर्नाटक की चीनी मिलों पर 598 करोड़ रुपये, बिहार की चीनी मिलों पर 856 करोड़ रुपये, पंजाब की चीनी मिलों पर 902 करोड़ रुपये, उत्तराखंड की चीनी मिलों पर 339 करोड़ रुपये और आंध्र प्रदेश की चीनी मिलों पर 236 करोड़ रुपये, तेलंगाना की चीनी मिलों पर 120 करोड़ रुपये बकाया है। इसके अलावा तमिलनाडु की चीनी मिलों पर 348 करोड़ रुपये, छत्तीसगढ़ की चीनी मिलों पर 100 करोड़ रुपये और ओडिशा की चीनी मिलों पर 75 करोड़ रुपये किसानों का बकाया है।

भाजपा सरकार ने गन्ना किसानों के साथ किया धोखा

राष्ट्रीय किसान मजदूर संगठन के संयोजक वीएम सिंह ने कहा कि सरकार ने गन्ने के एफआरपी में बढ़ोतरी नहीं करके गन्ना किसानों के साथ धोखा किया है। उत्तर प्रदेश में राज्य के गन्ना मंत्री ने विधानसभा में बताया था कि गन्ने की उत्पादन लागत 290 रुपये प्रति क्विंटल है, अत: डेढ़ गुना के आधार पर गन्ने का एफआरपी 435 रुपये प्रति क्विंटल होना चाहिए। ऐसे में सरकार स्वामीनाथन रिपोर्ट के बजाए मोदी सरकार के आधार पर ही गन्ने का एफआरपी तय कर दे। उन्होंने बताया कि गन्ना किसानों पर तीन तरह की मार पड़ रही है, एक तो बकाया भुगतान नहीं मिल रहा, दूसरा किसानों की आरसी कट रही है। उपर से सरकार ने एफआरपी नहीं बढ़ाने का फैसला किया है।........... आर एस राणा 

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