आर एस राणा
नई दिल्ली। मक्का की कमी होने के कारण पोल्ट्री फीड निर्माता गेहूं की खरीद कर रहे हैं, साथ ही सरकार ने खुले बाजार बिक्री योजना (ओएमएसएस) के तहत गेहूं के बिक्री भाव 55 रुपये बढ़ा दिए हैं, जिस कारण सप्ताहभर में ही गेहूं की कीमतों में करीब 100 से 125 रुपये की तेजी आ चुकी है। शुक्रवार को दिल्ली में गेहूं के भाव 2,100 से 2,125 और बंगलुरु में 2,400 रुपये प्रति क्विंटल हो गए।
बंगलुरु के गेहूं कारोबारी नवीन गुप्ता ने बताया कि गेहूं में पोल्ट्री फीड निर्माताओं की मांग बढ़ी है साथ ही सरकार ने ओएमएसएस के गेहूं के बिक्री भाव जुलाई से सितंबर की अवधि के लिए 55 रुपये बढ़ाकर 2,135 रुपये प्रति क्विंटल कर दिए हैं जिस कारण घरेलू मंडियों में गेहूं के भाव बढ़े है। एफसीआई अप्रैल से जून के दौरान गेहूं की बिक्री ओएमएसएस के माध्यम से 2,080 रुपये प्रति क्विंटल एक्स लुधियाना की दर पर कर रही थी। एफसीआई हर तीमाही में गेहूं के भाव में 55 रुपये प्रति क्विंटल की बढ़ोतरी करेगी। उन्होंने बताया कि शुक्रवार को बंगलुरु पहुंच गेहूं के भाव 2,400 रुपये प्रति क्विंटल हो गए हैं। सप्ताहभर में इनकी कीमतों में 125 रुपये प्रति क्विंटल की तेजी आई है। उन्होंने बताया कि गेहूं के भाव में तेजी तो आई है लेकिन अभी भी आयात पड़ते नहीं लगेंगे, क्योंकि गेहूं पर 40 फीसदी आयात शुल्क है।
उत्पादक राज्यों में मक्का का स्टॉक कम
आंध्रप्रदेश की निजामाबाद मंडी के मक्का कारोबारी पूनम चंद गुप्ता ने बताया कि दक्षिण भारत के राज्यों में मक्का का स्टॉक कम है, जिस कारण मक्का की कीमतें बढ़कर उत्पादक मंडियों में 2,300 से 2,350 रुपये प्रति क्विंटल हो गई हैं। इसीलिए पोल्ट्री फीड निर्माता गेहूं की खरीद कर रहे हैं। उन्होंने बताया कि चालू खरीफ में भी दक्षिण भारत के प्रमुख उत्पादक राज्यों कर्नाटक, महाराष्ट्र और तेलंगाना में बारिश सामान्य से कम हुई है जिस कारण खरीफ में भी बुआई पिछे चल रही है। वैसे भी खरीफ की मक्का की आवक अक्टूबर के बाद ही मंडियों में बनेगी।
सरकार ने पांच लाख टन मक्का आयात की दी हुई है मंजूरी
केंद्र सरकार ने हाल ही में पोल्ट्री उद्योग की मांग को पूरा करने के लिए 15 फीसदी शुल्क पर चार लाख टन मक्का आयात की अनुमति दी थी, जबकि इसके पहले भी एक लाख टन आयात की अनुमति दी हुई है। हालांकि अभी आयातित मक्का अभी भारत नहीं पहुंची हैं। कृषि मंत्रालय के तीसरे आरंभिक अनुमान के अनुसार फसल सीजन 2018-19 में रबी सीजन में मक्का का उत्पादन घटकर 70.19 लाख टन ही होने का अनुमान है जबकि पिछले साल रबी में 80.63 लाख टन का उत्पादन हुआ था। देश में खरीफ में मक्का का ज्यादा उत्पादन होता है। फसल सीजन 2018-19 में खरीफ और रबी सीजन को मिलाकर कुल उत्पादन 278.2 लाख टन होने का अनुमान है जबकि पिछले साल 287.5 लाख टन का उत्पादन हुआ था।
गेहूं का रिकार्ड उत्पादन अनुमान
मंत्रालय के तीसरे आरंभिक अनुमान के अनुसार फसल सीजन 2018-19 में देश में गेहूं का रिकार्ड 10.12 करोड़ टन उत्पादन होने का अनुमान है जबकि इसके पिछले साल 9.71 करोड़ टन उत्पादन हुआ था। पहली जूलाई को केंद्रीय पूल में 458.31 लाख टन गेहूं का स्टॉक है जोकि पिछले साल की समान अवधि के 418.01 लाख टन से ज्यादा है।.......... आर एस राणा
नई दिल्ली। मक्का की कमी होने के कारण पोल्ट्री फीड निर्माता गेहूं की खरीद कर रहे हैं, साथ ही सरकार ने खुले बाजार बिक्री योजना (ओएमएसएस) के तहत गेहूं के बिक्री भाव 55 रुपये बढ़ा दिए हैं, जिस कारण सप्ताहभर में ही गेहूं की कीमतों में करीब 100 से 125 रुपये की तेजी आ चुकी है। शुक्रवार को दिल्ली में गेहूं के भाव 2,100 से 2,125 और बंगलुरु में 2,400 रुपये प्रति क्विंटल हो गए।
बंगलुरु के गेहूं कारोबारी नवीन गुप्ता ने बताया कि गेहूं में पोल्ट्री फीड निर्माताओं की मांग बढ़ी है साथ ही सरकार ने ओएमएसएस के गेहूं के बिक्री भाव जुलाई से सितंबर की अवधि के लिए 55 रुपये बढ़ाकर 2,135 रुपये प्रति क्विंटल कर दिए हैं जिस कारण घरेलू मंडियों में गेहूं के भाव बढ़े है। एफसीआई अप्रैल से जून के दौरान गेहूं की बिक्री ओएमएसएस के माध्यम से 2,080 रुपये प्रति क्विंटल एक्स लुधियाना की दर पर कर रही थी। एफसीआई हर तीमाही में गेहूं के भाव में 55 रुपये प्रति क्विंटल की बढ़ोतरी करेगी। उन्होंने बताया कि शुक्रवार को बंगलुरु पहुंच गेहूं के भाव 2,400 रुपये प्रति क्विंटल हो गए हैं। सप्ताहभर में इनकी कीमतों में 125 रुपये प्रति क्विंटल की तेजी आई है। उन्होंने बताया कि गेहूं के भाव में तेजी तो आई है लेकिन अभी भी आयात पड़ते नहीं लगेंगे, क्योंकि गेहूं पर 40 फीसदी आयात शुल्क है।
उत्पादक राज्यों में मक्का का स्टॉक कम
आंध्रप्रदेश की निजामाबाद मंडी के मक्का कारोबारी पूनम चंद गुप्ता ने बताया कि दक्षिण भारत के राज्यों में मक्का का स्टॉक कम है, जिस कारण मक्का की कीमतें बढ़कर उत्पादक मंडियों में 2,300 से 2,350 रुपये प्रति क्विंटल हो गई हैं। इसीलिए पोल्ट्री फीड निर्माता गेहूं की खरीद कर रहे हैं। उन्होंने बताया कि चालू खरीफ में भी दक्षिण भारत के प्रमुख उत्पादक राज्यों कर्नाटक, महाराष्ट्र और तेलंगाना में बारिश सामान्य से कम हुई है जिस कारण खरीफ में भी बुआई पिछे चल रही है। वैसे भी खरीफ की मक्का की आवक अक्टूबर के बाद ही मंडियों में बनेगी।
सरकार ने पांच लाख टन मक्का आयात की दी हुई है मंजूरी
केंद्र सरकार ने हाल ही में पोल्ट्री उद्योग की मांग को पूरा करने के लिए 15 फीसदी शुल्क पर चार लाख टन मक्का आयात की अनुमति दी थी, जबकि इसके पहले भी एक लाख टन आयात की अनुमति दी हुई है। हालांकि अभी आयातित मक्का अभी भारत नहीं पहुंची हैं। कृषि मंत्रालय के तीसरे आरंभिक अनुमान के अनुसार फसल सीजन 2018-19 में रबी सीजन में मक्का का उत्पादन घटकर 70.19 लाख टन ही होने का अनुमान है जबकि पिछले साल रबी में 80.63 लाख टन का उत्पादन हुआ था। देश में खरीफ में मक्का का ज्यादा उत्पादन होता है। फसल सीजन 2018-19 में खरीफ और रबी सीजन को मिलाकर कुल उत्पादन 278.2 लाख टन होने का अनुमान है जबकि पिछले साल 287.5 लाख टन का उत्पादन हुआ था।
गेहूं का रिकार्ड उत्पादन अनुमान
मंत्रालय के तीसरे आरंभिक अनुमान के अनुसार फसल सीजन 2018-19 में देश में गेहूं का रिकार्ड 10.12 करोड़ टन उत्पादन होने का अनुमान है जबकि इसके पिछले साल 9.71 करोड़ टन उत्पादन हुआ था। पहली जूलाई को केंद्रीय पूल में 458.31 लाख टन गेहूं का स्टॉक है जोकि पिछले साल की समान अवधि के 418.01 लाख टन से ज्यादा है।.......... आर एस राणा
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