आर एस राणा
नई
दिल्ली। किसानों की आय वर्ष-2022 तक दोगुनी का लक्ष्य लेकर चल रही मोदी
सरकार ने खरीफ फसलों के न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) कृषि लागत एवं मूल्य
आयोग (सीएसीपी) द्वारा विपणन सीजन 2017-18 के लिए तय फार्मूले ए2 प्लस
एफएल की तुलना में तो डेढ़ गुना से ज्यादा बढ़ाये गए हैं, लेकिन सी2 के
मुकाबले अधिकांश फसलों के एमएसपी में 25 फीसदी से भी कम की बढ़ोतरी की गई
है।
आम बजट 2018-19 में केद्र सरकार ने कहा था कि रबी फसलों के
एमएसपी लागत के डेढ़ गुना तय कर दिए है तथा खरीफ सीजन की फसलों के एमएसपी
भी लागत के डेढ़ गुना तय करने का वायदा किया था। केंद्र द्वारा जारी
विज्ञप्ति में कहा गया है कि खरीफ फसलों के एमएसपी लागत के मुकाबले 50.01
फीसदी से 96.97 फीसदी तक बढ़ाये गए हैं। अगर ए2 प्लस एफएल और सी2 के आधार
पर गणना करते हैं तो चालू खरीफ में अधिकांश फसलों के एमएसपी ए2 प्लस एफएल
के मुकाबले तो 50 फीसदी से ज्यादा बढ़ाये गए हैं, लेकिन सी2 से तुलन करे तो
अधिकांश फसलों के एमएसपी में 25 फीसदी से भी कम की बढ़ोतरी की गई है।
खरीफ
की प्रमुख फसल धान में कॉमन ग्रेड के एमएसपी में 200 रुपये की बढ़ोतरी कर
एमएसपी 1,750 रुपये प्रति क्विंटल तय किया गया है जोकि ए2 प्लस एफएल की
तुलना में तो 57.56 फीसदी ज्यादा है लेकिन सी2 के मुकाबले केवल 17.92 फीसदी
ही है। इसी तरह से ज्वार का एमएसपी 2,450 रुपये प्रति क्विंटल तय किया है
जोकि ए2 प्लस एफएल की तुलना में तो 57.45 फीसदी ज्यादा है लेकिन सी2 की
तुलना में केवल 17.28 फीसदी ही ज्यादा है।
दलहनी फसलों में मूंग
का एमएसपी रबी विपणन सीजन 2018-19 के लिए 6,975 रुपये प्रति क्विंटल तय गया
है जोकि ए2 प्लस एफएल के मुकाबले तो 62.73 फीसदी होता है लेकिन सी2 के
मुकाबले केवल 22.36 फीसदी ही है। इसी तरह से कपास में मीडियम स्टेपल का
एमएसपी 5,150 रुपये प्रति क्विंटल तय किया गया है, जोकि ए2 प्लस एफएल के
मुकाबले तो 57.20 फीसदी है लेकिन सी2 के मुकाबले केवल 17.68 फीसदी ही है।
क्रिसिल
रेटिंग्स के मुख्य अर्थशास्त्री धर्मकर्ती जोशी के अनुसार केंद्र सरकार ने
खरीफ फसलों के एमएसपी ए2 प्लस एफएल की तुलना में 50 से 97 फीसदी तक बढ़ाये
हैं जबकि पिछले साल की तुलना में 4 से 52 फीसदी की बढ़ोतरी हुई है।
उन्होंने बताया कि वेटेड एवरेज के लिहाज से एमएसपी में 13 फीसदी की बढ़ोतरी
हुई है। एमएसपी में बढ़ोतरी से केंद्र सरकार पर करीब 11,500 करोड़ रुपये
की सब्सिडी बढ़ेगी।
एमएसपी तय करने के फार्मूले
न्यूनतम
समर्थन मूल्य (एमएसपी) निर्धारित करने के लिए सरकार के पास तीन फार्मूले
है। इन्हीं में से किसी एक के आधार पर अधिकृत 22 फसलों के एमएसपी घोषित किए
जाते हैं। एमएसपी घोषित करते समय अखिल भारतीय स्तर पर विभिन्न राज्यों से
संबंधित फसल की खेती की लागत को आधार बनाया जाता है। इसके लिए केंद्र सरकार
ने कृषि लागत एवं मूल्य आयोग (सीएसीपी) का गठन किया है। सीएसीपी में एक
अध्यक्ष और विभिन्न क्षेत्रों के प्रतिनिधि इसके सदस्य मनोनीत किए जाते
हैं।
फार्मूला ए-2
इस फार्मूले में फसल
की खेती में आने वाली कुल लागत को जोड़ा जाता है, जिनमें नकदी खर्च के
साथ-साथ दूसरे और तरीके से आने वाले खर्च को भी लागत का हिस्सा माना जाता
है। आमतौर पर इसमें किसान की और से खेती में लगाए गए बीज, खाद, कीटनाशक,
खेतीहर मजदूरों की मजदूरी, उर्जा (बिजली, डीजल अथवा अन्य ईधन) और सिंचाई पर
आने वाला खर्च शामिल किया जाता है।
फार्मूला ए-2 प्लस एफएल
इस
फार्मूले में फसल की खेती में आने वाले सभी वास्तविक खर्च के साथ परिवार
के लोगो की मजदूरी भी लागत में जोड़ी जाती है। यानि इसमें ए-2 की लागत के
साथ खेतीहर परिवार के श्रम को जोड़ा जाता है जोकि आमतौर पर लागत का हिस्सा
नहीं माना जाता।
फार्मूला सी-2
तीसरे
फार्मूले में खेती की लागत की परिभाषा को काफी व्यापक कर दिया गया है,
इसमें उपर के दोनों फार्मूलों से अलग प्रावधान है। लागत में ए-2 प्लस एफएल
के साथ बटाई पर ली गई जमीन का किराया अथवा अपनी खेती होने की दशा में खेती
के मूल्य का ब्याज भी जोड़ा जायेगा। ब्याज की दर फिक्स डिपॉजिट के आधार पर
तय होगी।
केंद्र सरकार ने क्या-क्या जोड़ा
सभी
लागत सहित जैसे मजदूरी, पशु श्रम-मशीन श्रम, भूमि का पट्टा-किराया, बीज,
उर्वरक, खाद, सिंचाई लागत, अवमूल्यन एवं विविध कृषि खर्च और परिवार के
सदस्यों के श्रम की लागत ........... आर एस राणा
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