आर एस राणा
नई
दिल्ली। गन्ना किसानों की समस्याओं से कोसो दूर किसानों का प्रतिनिधिमंडल
जहां प्रधानमंत्री की मेहमाननवाजी में मशगूल था, वहीं असली किसान सड़क पर
किसानों के हितों की लड़ाई लड़ रहे थे। 29 जून को प्रधानमंत्री ने गन्ना
किसानों के एक प्रतिनिधिमंडल से मुलाकात की, जबकि स्वाभिमानी शेतकरी संगठन
के सदस्यों ने संगठन के नेता और लोकसभा सांसद राजू शेट्टी के नेतृत्व में
गन्ना किसानों के बकाया भुगतान और दूध की उचित कीमतों के लिए पूणे में
कमिश्नर कार्यालय पर सड़क पर प्रदर्शन किया।
किसानों की समस्याओं
को लेकर देशभर के किसान संगठनों के लामबंद होने से केंद्र के साथ ही
राज्य सरकारें भी दबाव महसूस कर रही हैं। दबाव भी सही है क्योंकि चालू साल
के आखिर तक जहां कई राज्यों में विधानसभा चुनाव होने हैं, वहीं 2019 में
लोकसभा चुनाव है। अत: सरकार किसानों को नाराज नहीं करना चाहती। यहीं कारण
है कि प्रधानमंत्री में ने आननफानन में गन्ना किसानों के प्रतिनिधिमंडल को
मुलाकात के लिए बुलाया। यह अगल बात है इस बैठक में किसानों के बजाय राजनीति
से जुड़े ज्यादा लोग शामिल थे।
उधर पूणे में कमिश्नर कार्यालय
में हजारों की संख्या में एकत्र हुए किसानों को संबोधित करते हुए राजू
शेट्टी ने कहा कि दूध की कीमतों में आई भारी गिरावट से दूध किसानों को भारी
घाटा हो रहा है इसलिए राज्य सरकार दूध उत्पादकों को 5 रुपये प्रति लीटर की
दर से सब्सिडी दे, अगर राज्य सरकार ने ऐसा नहीं किया तो फिर 16 जुलाई से
मुंबई में दूध की आपूर्ति बंद कर दी जायेगी। दूध उत्पादकों को सब्सिडी देने
से राज्य सरकार पर मात्रा 400 करोड़ रुपये का खर्च आयेगा। उन्होंने कहा कि
कर्नाटक में राज्य सरकार पिछले पांच साल से दूध उत्पादकों को सब्सिडी दे
रही है।
दूध की उत्पादन लागत करीब 35 रुपये प्रति लीटर है जबकि
किसानों को 17-18 रुपये प्रति लीटर का दाम ही मिल रहा है। राजू शेट्टी के
अनुसार केंद्र सरकार द्वारा चीनी के न्यूनतम बिक्री भाव 29 रुपये प्रति
किलो तय कर दिए जाने के बाद, घरेलू बाजार में चीनी के भाव तेज हो गए है।
इसके बावजूद भी चीनी मिलें किसानों को भुगतान नहीं कर रही है जिस कारण
गन्ना किसानों को भारी आर्थिक दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है।.... आर एस राणा
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