आर एस राणा
नई
दिल्ली। केंद्रीय पूल में दलहन का बंपर स्टॉक केंद्र सरकार के लिए चुनौती
बना हुआ है। सार्वजनिक वितरण प्रणाली (पीडीएस) में राज्यों की रुचि कम होने
के कारण सरकार ने खुले बाजार में बिक्री बढ़ाने का निर्णय किया है।
अक्टूबर में खरीफ दलहन की आवक चालू हो जायेगी, इसलिए सरकार नई फसल की आवक
से पहले गोदामों को हल्का करना चाहती है।
केंद्र सरकार ने
आनन-फानन में सार्वजनिक कंपनियों को दालों की बिक्री बढ़ाने का निर्देश
जारी कर दिया है। कृषि मंत्रालय के एक वरिष्ठ अधिकारी के अनुसार चालू खरीफ
में अभी तक दालों की बुवाई जरुर कम हुई है, लेकिन न्यूनतम समर्थन मूल्य
(एमएसपी) में हुई भारी बढ़ोतरी से दलहन की कुल बुवाई ज्यादा होने का अनुमान
है। ऐसे में आगामी खरीफ सीजन में दालों की समर्थन मूल्य पर खरीद भी ज्यादा
होने का अनुमान है, इसीलिए केंद्रीय पूल से दालें की बिक्री बढ़ाने का
फैसला किया गया है। कृषि मंत्रालय ने दालों की बिक्री बढ़ाने के लिए पहले
आओ-पहले पाओ की नीति को अपनाने का निर्देश सार्वजनिक कंपनियों को दिया है।
उन्होंने
बताया कि चना के भाव उत्पादक मंडियों में बढ़े हैं, इसलिए इसकी बिक्री
खुले बाजार में जल्द शुरू की जायेगी, हालांकि उड़द की बुवाई चालू खरीफ में
घटी है। इसलिए उड़द की बिक्री को 15 दिनों के लिए रोकने का निर्णय किया
गया है। सरसों बेचने के लिए भी सरकार ने नेफेड से अगले तीन दिनों में
प्रस्ताव देने का कहा गया है।
सूत्रों के अनुसार केंद्रीय पूल
में दलहन का बंपर स्टॉक 50 लाख टन से ज्यादा है, इसमें सबसे ज्यादा चना का
27.39 लाख टन है, इसके अलावा अरहर का स्टॉक भी ज्यादा है। नेफेड के पास
सरसों का 8.73 लाख टन का स्टॉक है जबकि मसूर का स्टॉक निगम के पास 2.43 लाख
टन का है।
चालू खरीफ सीजन में दालों की बुवाई घटकर 82.41 लाख
हैक्टेयर में ही हुई है जबकि पिछले साल इस समय तक 100.04 लाख हैक्टेयर में
दालों की बुवाई हो चुकी थी। खरीफ दलहन की प्रमुख फसलों अरहर की बुवाई चालू
खरीफ में घटकर 28.60 लाख हैक्टेयर में ही हुई है जबकि पिछले साल इस समय तक
इसकी बुवाई 31.87 लाख हैक्टेयर में हो चुकी थी।
उड़द की बुवाई पर
चालू खरीफ में 28.88 फीसदी पिछड़ कर केवल 22.16 लाख हैक्टेयर में ही हो
पाई है जबकि पिछले साल इस समय तक इसकी बुवाई 31.16 लाख हैक्टेयर में हो
चुकी थी। मूंग की चालू खरीफ में 23.38 लाख हैक्टेयर में ही हुई है जबकि
पिछले साल इस समय तक इसकी बुवाई 23.80 लाख हैक्टेयर में हो चुकी थी।.... आर एस राणा
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