आर एस राणा
नई
दिल्ली। दलहन आयात पर केंद्र सरकार द्वारा सख्ती करने से आयात में तो भारी
कमी आई है। हालांकि अभी भी उत्पादक मंडियों में भाव न्यूनतम समर्थन मूल्य
(एमएसपी) से नीचे बने हुए हैं, लेकिन आगे मांग बढ़ने की संभावना है, जिससे
इनकी कीमतों में सुधार आयेगा। चालू वित्त वर्ष 2018-19 के पहले दो महीनों
अप्रैल-मई में दालों का आयात 82 फीसदी घटकर 1.87 लाख टन का हुआ है।
वाणिज्य
एवं उद्योग मंत्रालय के एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि चना, मसूर और मटर
के आयात शुल्क में बढ़ोतरी के साथ ही अरहर, उड़द और मूंग के आयात पर
मात्रात्मक प्रतिबंध से दालों के आायात में भारी कमी आई है। चालू वित्त
वर्ष के अप्रैल-मई में आयात घटकर 1.87 लाख टन का ही हुआ है जबकि पिछले
वित्त वर्ष 2017-18 की समान अवधि में 10.14 लाख टन दालों का आयात हुआ था।
मूल्य के हिसाब से चालू वित्त वर्ष के पहले दो महीनों में दलहन का आयात 545
करोड़ रुपये का ही हुआ है जबकि पिछले वित्त वर्ष की समान अवधि में 3,769
करोड़ रुपये का आयात हुआ था।
मंडियों में भाव एमएसपी से नीचे
उत्पादक
राज्यों की मंडियों में दलहन के भाव न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) से
नीचे होने के कारण किसानों को अपनी फसल समर्थन मूल्य से नीचे ही बेचनी पड़ी
है। रबी दलहन की प्रमुख फसल चना का एमएसपी केंद्र सरकार ने रबी विपणन सीजन
2018-19 के लिए 4,400 रुपये प्रति क्विंटल तय किया हुआ है लेकिन किसानों
ने अपनी फसल 3,200 से 3,600 रुपये प्रति क्विंटल की दर से बेचनी पड़ी। इसी
तरह से मसूर का एमएसपी 4,250 रुपये प्रति क्विंटल तय किया हुआ है जबकि
मंडियों में मसूर 3,200 से 3,400 रुपये प्रति क्विंटल पर बिकी।
दलहन के भाव में आयेगा सुधार
चना
समेत अन्य दलहन में मांग अच्छी बनी हुई है, आगे त्यौहारी सीजन होने के
कारण मांग और बढ़ेगी, इसलिए चना समेत सभी दालों के भाव में और सुधार आने का
अनुमान है। व्यापारियों के अनुसार चना की कीमतों में आगामी दिनों में 250
से 300 रुपये प्रति क्विंटल तक की तेजी बन सकती है।
वित्त वर्ष 2013-14 के बाद पहली बार 2017-18 में आयात घटा
वित्त
वर्ष 2017-18 में दालों का आयात 15 फीसदी घटकर 56 लाख टन का ही हुआ है
जबकि इसके पिछले वित्त वर्ष 2016-17 में 66.08 लाख टन दलहन का रिकार्ड आयात
हुआ था। खाद्य मंत्रालय के एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि वित्त वर्ष
2013-14 में दालों का आयात 36.5 लाख टन का हुआ था, उसके बाद से लगातार आयात
में बढ़ोतरी हो रही थी। उन्होंने बताया कि सरकार द्वारा आयात पर सख्ती और
घरेलू बाजार में बंपर उत्पादन के कारण ही आयात में कमी आई है। वित्त वर्ष
2015-16 में 59.97 लाख टन दालों का आयात हुआ था, जबकि वित्त वर्ष 2017-18
में बढ़कर यह रिकार्ड 66.08 लाख टन के स्तर पर पहुंच गया।
उत्पादन अनुमान ज्यादा
कृषि
मंत्रालय के तीसरे आरंभिक अनुमान के अनुसार फसल सीजन 2017-18 में दालों की
रिकार्ड पैदावार 245.1 लाख टन होने का अनुमान है जबकि पिछले साल दालों का
231.3 लाख टन का उत्पादन हुआ था। ...... आर एस राणा
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