आर एस राणा
नई दिल्ली। भारतीय खाद्य निगम (एफसीआई) द्वारा खुले बाजार बिक्री भाव (ओएमएसएस) में गेहूं बेचने का भाव हाजिर मंडियों से उंचा रखने के कारण एक भी निविदा नहीं भरी गई। सूत्रों के अनुसार एफसीआई ने गेहूं के गैर उत्पादक राज्यों महाराष्ट्र, गुजरात, आंध्रप्रदेश और तमिलनाडु, तथा केरल और कर्नाटका आदि में गेहूं बेचने के लिए निविदा आमंत्रित की थी, लेकिन एक भी राज्य से फ्लोर मिलों ने गेहूं खरीदने के लिए रुचि नहीं दिखाई।
एफसीआई के एक वरिष्ठ अधिकारी के अनुसार आंध्रप्रदेष में एफसीआई ने गेहूं बेचने के लिए निविदा भरने का न्यूनतम भाव 2,074 से 2,109 रुपये तथा गुजरात में 2,178 रुपये प्रति क्विंटल तय किया था। पंजाब, हरियाणा और मध्य प्रदेश से गेहूं का बिक्री भाव 1,790 रुपये प्रति क्विंटल तय किया हुआ है जबकि इसमें परिवहन लागत व अन्य खर्च अलग हैं। व्यापारियों के अनुसार आस्ट्रेलियाई से आयातित गेहूं का भाव तुतीकोरन बंदरगाह पर 1,780 रुपये प्रति क्विंटल है, तथा फ्लोर मिलों में पहुंच इसका भाव 1,880 से 1,930 रुपये प्रति क्विंटल बैठ रहा है। इसीलिए फ्लोर मिलें दक्षिण भारत में आयातित गेहूं की खरीद ज्यादा मात्रा में कर रही है।
जानकारों के अनुसार दक्षिण भारत में करीब 14 स 15 लाख टन गेहूं का स्टॉक जमा है, इसलिए अभी फ्लोर मिलें एफसीआई से खरीद नहीं करेंगी। दिल्ली में गेहूं का भाव 1,740 से 1,745 रुपये प्रति क्विंटल है। प्रमुख उत्पादक राज्यों मध्य प्रदेश के साथ ही राजस्थान में गेहूं का स्टॉक ज्यादा है, साथ ही 10 फीसदी आयात शुल्क के बावजूद भी आस्ट्रेलियाई गेहूं सस्ता पड़ रहा है। ऐसे में गेहूं की कीमतों में सुधार तभी आ सकता है, अगर केंद्र सरकार गेहूं के आयात शुल्क को 10 फीसदी से बढ़ाकर 25 फीसदी कर दे।
चालू रबी विपणन सीजन 2017-18 में एफसीआई की न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) पर गेहूं की सरकारी खरीद 306.54 लाख टन से ज्यादा की हो चुकी है जबकि साल की समान अवधि में इसकी की खरीद 229.61 लाख की हुई थी।
केंद्रीय पूल में पहली जून को गेहूं का स्टॉक बढ़कर 334.40 लाख टन का हो चुका है जबकि पिछले साल पहली जून को 326.38 लाख टन गेहूं का ही स्टॉक मौजूद था।................ आर एस राणा
नई दिल्ली। भारतीय खाद्य निगम (एफसीआई) द्वारा खुले बाजार बिक्री भाव (ओएमएसएस) में गेहूं बेचने का भाव हाजिर मंडियों से उंचा रखने के कारण एक भी निविदा नहीं भरी गई। सूत्रों के अनुसार एफसीआई ने गेहूं के गैर उत्पादक राज्यों महाराष्ट्र, गुजरात, आंध्रप्रदेश और तमिलनाडु, तथा केरल और कर्नाटका आदि में गेहूं बेचने के लिए निविदा आमंत्रित की थी, लेकिन एक भी राज्य से फ्लोर मिलों ने गेहूं खरीदने के लिए रुचि नहीं दिखाई।
एफसीआई के एक वरिष्ठ अधिकारी के अनुसार आंध्रप्रदेष में एफसीआई ने गेहूं बेचने के लिए निविदा भरने का न्यूनतम भाव 2,074 से 2,109 रुपये तथा गुजरात में 2,178 रुपये प्रति क्विंटल तय किया था। पंजाब, हरियाणा और मध्य प्रदेश से गेहूं का बिक्री भाव 1,790 रुपये प्रति क्विंटल तय किया हुआ है जबकि इसमें परिवहन लागत व अन्य खर्च अलग हैं। व्यापारियों के अनुसार आस्ट्रेलियाई से आयातित गेहूं का भाव तुतीकोरन बंदरगाह पर 1,780 रुपये प्रति क्विंटल है, तथा फ्लोर मिलों में पहुंच इसका भाव 1,880 से 1,930 रुपये प्रति क्विंटल बैठ रहा है। इसीलिए फ्लोर मिलें दक्षिण भारत में आयातित गेहूं की खरीद ज्यादा मात्रा में कर रही है।
जानकारों के अनुसार दक्षिण भारत में करीब 14 स 15 लाख टन गेहूं का स्टॉक जमा है, इसलिए अभी फ्लोर मिलें एफसीआई से खरीद नहीं करेंगी। दिल्ली में गेहूं का भाव 1,740 से 1,745 रुपये प्रति क्विंटल है। प्रमुख उत्पादक राज्यों मध्य प्रदेश के साथ ही राजस्थान में गेहूं का स्टॉक ज्यादा है, साथ ही 10 फीसदी आयात शुल्क के बावजूद भी आस्ट्रेलियाई गेहूं सस्ता पड़ रहा है। ऐसे में गेहूं की कीमतों में सुधार तभी आ सकता है, अगर केंद्र सरकार गेहूं के आयात शुल्क को 10 फीसदी से बढ़ाकर 25 फीसदी कर दे।
चालू रबी विपणन सीजन 2017-18 में एफसीआई की न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) पर गेहूं की सरकारी खरीद 306.54 लाख टन से ज्यादा की हो चुकी है जबकि साल की समान अवधि में इसकी की खरीद 229.61 लाख की हुई थी।
केंद्रीय पूल में पहली जून को गेहूं का स्टॉक बढ़कर 334.40 लाख टन का हो चुका है जबकि पिछले साल पहली जून को 326.38 लाख टन गेहूं का ही स्टॉक मौजूद था।................ आर एस राणा
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